ढाई घंटे के अंदर लिए फैसले ने एक कलेक्टर को बना दिया बाद में मुख्यमंत्री ।
दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 13.05.2020
छत्तीसगढ़ – अजीत जोगी ? नाम के बाद सवाल का निशान इसलिए लगाया कि इस एक नाम ने प्रदेश की राजनीति और छत्तीसगढ़ को पहचान दी । सवाल इस लिए भी कि इस नाम का कोई जवाब ही नहीं है । इस एक नाम ने प्रदेश को ऐसा राजनीतिज्ञ दिया जो मेकेनिकल इंजिनियरिंग में गोल्ड मेडिलिस्ट है आईएएस और आईपीएस रह चुके हैं । अजीत जोगी सहीं मायने में जन नेता हैं जिन्हें सुनने और देखने के लिए भीड़ अपने आप पहुंच जाती है ।
ये अलग बात है कि पिछले तीन दिनों से प्रदेश के पूर्व सीएम अजीत जोगी की हालत खराब है और वे रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती हैं । तीन दिन पूर्व उनकी नाजूक हालत के चलते उन्हें भर्ती कराना पड़ा । पिछले 72 घंटों से उनकी हालत नाजूक बनी हुई हेै और प्रदेश का हर व्यक्ति फिर चाहे वो उनकी पार्टी का हो या किसी और पार्टी का या फिर गैर राजनैतिक ही हो सभी उनके शिघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहे है । ऐसा लग रहा है जैसे परिवार का कोई सदस्य अस्पताल में भर्ती हो और एक एक पल उनके बेहतर स्वास्थ्य की जानकारी के लिए आतुर हो ।
अजीत जोगी के राजनैतिक सफर के कई किस्से और कहानियां प्रचलित है । हम उन्हीं कहानियों को सिलसिलेवार आपके सामने रख रहे हैं कि कलेक्टर अजीत जोगी नेता अजीत जोगी कब और कैसे बन गए ।
बात है 01 नवम्बर 2000 की । भाजपा की केन्द्र सरकार ने एक साथ तीन नए राज्य की घोषणा की उन तीन राज्यों मे से एक था छत्तीसगढ़ । इस समय छत्तीसगढ़ के हिस्से की विधानसभा में जो नब्बे विधायक आए उनमें अधिकतर कांग्रेस के थे और अविभाजित मध्यप्रदेश की विधानसभा को तीन साल और बाकी थे । ऐसे में आने वाले तीन सालों के लिए प्रदेश में कांग्रेस की पहली सरकार बनना तय हो गया । फिर बात उठी की आखिर इस नए राज्य का सीएम कांग्रेस किसे बनाती है और नए प्रदेश का ताज किसके सर सजता है ।
इस समय कांग्रेस के कई दिग्गज इस दौड़ में थे । मोतीलाल बोरा , विद्याचरण शुक्ल ,श्यामाचरण शुक्ल और राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल । प्रदेश में पहले सीएम के लिए विद्याचरण शुक्ल का नाम लगभग तय नजर आ रहा था । केन्द्रिय हाईकमान से उनकी नजदीकियां भी काफी थी । लेकिन इन दिग्गजों के बीच एक नाम अचानक तेजी से उभरा वो था छत्तीसगढ़ के पेण्ड्रा के एक छोटे से गांव में 20 अप्रेल 1946 को जन्मे अजीत प्रमोद जोगी का । और यहां से अजीत जोगी छत्तीसगढ़ की राजनीति के केन्द्र में आ गए । मध्यप्रदेश के उस समय के सीएम दिग्विजय सिंह को पार्टी आलाकमान से अजीत जोगी के लिए सिग्नल मिल चुका था कि अजीत जोगी को विधायक दल का नेता घोषित कराना है ।
वैसे अजीत जोगी की राजनीति की शुरूवात 1985 में ही हो गई थी । 1985 जब अजीत जोगी इंदौर में कलेक्टरी कर रहे थे । एक रात उनका फोन बजता है जब कलेक्टर महोदय सो रहे होते हैं । एक कर्मचारी फोन उठाता है और कहता है कि कलेक्टर साहब सो रहे हैं तो दूसरी तरफ से आवाज आती है उठाईए और बात करवाईए । कलेक्टर अजीत जोगी को उठाया जाता है और बात करवाई जाती है । फोन पर दूसरी तरफ से आवाज आती है कि आपके पास ढाई घंटे हैं दिग्विजय सिंह लेने आ रहे हैं सोच लो राजनीति में आना है या कलेक्टरी ही करते रहना है । ये फोन काल था उस समय के पीएम राजीव गांधी के पीए का।
ढाई घंटे बाद मध्यप्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह आते हैं और तब तक कलेक्टर जोगी नेता जोगी बन चुके थे । यानी ढाई घंटे के वक्त ने मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ में एक जन नेता पैदा कर दिया था ।
अजीत जोगी कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर उन्हें राज्य सभा का सदस्य बना दिया गया । साथ ही उन्हें आदिवासी विकास वेलफेयर में सदस्य भी बनाया गया । अजीत जोगी अब आदिवासी और पिछड़ों के नए नेता के रूप में उभर चुके थे । जब 2000 में छत्तीसगढ़ अलग हुआ तो कांग्रेस के दिग्गजों में मुख्यमंत्री बनने की दौड़ शुरू हो गई । इस समय विद्याचरण शुक्ल के आसार सबसे ज्यादा थे कि वो इस नए प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे । लेकिन इसी बीच आदिवासी का कार्ड खेल दिया गया कि छत्तीसगढ़ आदिवासी राज्य है इसलिए इसके मुख्यमंत्री भी आदिवासी होने चाहिए । आदिवासी याने उस समय एक ही नाम था और वो था अजीत प्रमोद जोगी । और ऐसे अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के नए सीएम बन गए । इसके आगे की कहानी पार्ट 02 में ।