लाॅक डाउन तो है लेकिन सब खुल गया ।
अच्छा होता यदि क्वारंटाईन सेंटर प्रत्येक पंचायत की जगह विकासखंड स्तर पर होते ।
दबंग न्यूज लाईव
सोमवार 18.05.2020
रायपुर – देश में लाॅकडाउन का चैथा फेज शुरू हो गया है जो मई 31 तक रहेगा । लेकिन इस बीच प्रदेश में जिस तरह से लोगों की आवाजाही , बाजारों में भीड़ और लोगों की गतिविधियां बढ़ गई है उससे तो यही लगता है कि यदि ऐसे ही लाॅक डाउन करना है तो फिर मई 31 क्या 2031 तक भी कर दे तो कोई दिक्कत नहीं है ।
इस बीच प्रदेश में हर दिन प्रवासी मजदूरों का आना शुरू है । ये मजदूर ट्रेनों से , लिफ्ट से और पैदल ही कई हजार किमी की यात्रा करके पहुंच रहे हैं । प्रशासन के अधिकतर अधिकारी इन दिनों रेलवे स्टेशन पर डयूटी निभा रहे हैं जहां ट्रेनों से लोगों आ रहे हैं यहां से स्क्रिनिंग के बाद मजदूरों को उनके उनके ब्लाक भेज दिया जा रहा है । यहां दिक्कत ये हो रही है कि जो मजदूर ट्रेनों से आ रहे हैं उनका तो टेस्ट हो रहा है लेकिन जो लोग पैदल या अन्य साधनों से आ रहे है उनकी स्क्रिनिंग उतनी नहीं हो पा रही जितनी होनी चाहिए ।
सरकार ने इनके लिए पंचायत स्तर पर क्वारंटाईन सेंटर बना दिए है जहां इनकी व्यवस्था पंचायत के द्वारा की जा रही है । कई जगह अच्छी व्यवस्था है तो कई जगह कुछ भी नहीं । ऐसी अव्यवस्था वाले सेंटरो की खबर भी आते रहती है ।
बाहर से आ रहे लोगों के टेस्ट भी हो रहे हैं जिस तरह पिछले दो दिन में केस बढ़े है उसने चिंता की रेखाएं प्रेदश सरकार के साथ प्रशासन और आम लोगों के माथे पर ला दी है । बालोद और जांजगीर मे ंथोक के भाव केस सामने आ रहे हैं तो अन्य जिलों से भी केस सामने आने लगे हैं ।
प्रशासन ने बाहर से आ रहे इन लोगों के लिए गांव गांव में क्वारंटाईन सेंटरों की स्थापना की है । जहां की बदहाली की खबरें भी आने लगी है । इतनी भारी संख्या में क्वारंटाईन सेंटर बनने के बाद अधिकारी भी इनकी तरफ से उदासीन हो गए हैं कि इतने सेंटरों की व्यवस्था कैसे की जाए । यदि यही ंसेंटर ब्लाक स्तर पर किए जाते तो अधिकारियों के साथ ही बाहर से आए लोगों को भी ज्यादा सुविधा होती लेकिन हर विकाखंड में सौ से उपर सेंटर बना दिए गए । सेंटर भी गांव के स्कूलों में ंजहां ना पानी की व्यवस्था होती है ना बिजली की । उसी गांव के लोग उसी गांव में क्या चोैदह दिन क्वारंटाईन रहेंगे असंभव । और क्या अधिकारी इतने सेंटरों का नीरिक्षण कर पाएंगे और यहां व्यव्सथा करवा पाएंगे ये तो और भी असंभव है।
कई सेंटरों में रूके मजदूरों की अब डिमांड भी सामने आने लगी । ये ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे इनके पूरे आवभगत की जिम्मेदारी सरकार और पंचायत पर है और वे जो मांग करेगें उसे सरकार पूरा करेगी । क्वांरटाईन सेंटर चूंकि उन्हीं के गांव में है इसलिए सुबह शाम उनके परिवार के लोग भी यहां मजमा लगा लेते हैं ऐसे में कई बार व्यवस्था बिगड़ भी जा रही है । यहां सुरक्षा के भी कोई उपाय नहीं है और ये भी हमको समझना पड़ेगा कि इतने सेंटरों में सुरक्षा व्यवस्था कर पाना भी संभव नहीं है ।
इसलिए अच्छा ये होता कि गांव और पंचायतों की जगह विकासखंड स्तर पर दो से तीन सेंटर बनाए जाते । जहां सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही बाकी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध कराई जा सकती और अधिकारी भी यहां का आसानी से दौरा कर सकते । अभी भी ज्यादा कुछ बिगड़ा नहीं है गांव गांव हालात बिगाड़ने से अच्छा है विकासखंड स्तर पर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए ।