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क्या विधायक या जनप्रतिनिधि को है लाॅक डाउन का उल्लघंन करने का अधिकार ।

एफआईआर दर्ज होने पर क्यों भड़के विधायक शैलेष पाण्डेय ।

दबंग न्यूज लाईव
सोमवार 30.03.2020

संजीव शुक्ला

विकास तिवारी

बिलासपुर में विधायक शैलेष पाण्डेय पर पुलिस ने लाॅक डाउन के समय धारा 144 के उल्लघंन करने का दोषी पाते हुए अपराध दर्ज कर लिया । अपराध दर्ज होने के बाद विधायक शैलेष पाण्डेय भड़क गए हैं । और पुलिस को हाईकोर्ट तक देख लेने की बात कर रहे हैं । उन्होंने इस पर उनके विशेषाधिकार का भी उल्लंघन होना बताया है । और साथ ही इसे विरोधियों की चाल भी कह रहे हैं ।


लेकिन हम बात करते हैं इसके कानूनी पक्ष की । बिलासपुर में भी लाॅक डाउन चल रहा है । और धारा 144 लगी हुई है । सरकार ,पुलिस और जानकार इस समय कोरोना से बचने का सबसे आसान तरीका यही बता रहें है कि सोशल डिस्टेंसिंग सिस्टम का पालन किया जाए  और जितना हो सके घर पर ही रहें ।


लाॅक डाउन के बाद गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों के सामने राशन ,भोजन की समस्या खड़ी हो गई थी । इस बीच विधायक शैलेष पाण्डेय ने भी ऐसे जरूरतमंद लोगों के लिए राशन वितरण की व्यवस्था की और यहीं से बात बिगड़ गई ।

शैलेष पाण्डेय के द्वारा अपने सरकारी बंगले से ही राशन वितरण का काम शुरू कर दिया था जिससे यहां लोगों की भारी भीड़ उमड़ने लगी । ऐसे में पुलिस ने धारा 144 और लाक डाउन का इसे उल्लघंन माना और विधायक शैलेष पाण्डेय पर धारा 288 और 169 के तहत अपराध दर्ज कर लिया है । इसके बाद विधायक भड़क गए और अपने विशेषाधिकार के उल्लघंन का मामला बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौति देने की बात कही ।

देश में इस समय महामारी नियंत्रण कानून 1897 के अनुसार सरकार को अधिकार है कि महामारी नियंत्रण के समय कड़े कदम उठा सकती है तथा धारा 269 , 270 और 188 के तहत कार्यवाही कर सकती है । इस कानून के तहत आरोपी को दो साल की सजा और जुर्माना भी हो सकता है ।
भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के अनुसार – जो कोई व्यक्ति कानून के खिलाफ जाकर या नियमों की अवहेलना कर ऐसा कोई काम करेगा जिससे की किसी संक्रमण या बिमारी से जनता के जीवन के लिए संकट खड़ा हो सकता है या किसी रोग के संक्रमण के फैलने की संभावना हो तो उसे छह माह तक की जेल हो सकती है या जुर्माना देना पड़ सकता है या दोनों से ही उसे दंडित किया जा सकता है । धारा 269 का उद्देश्य लोगों के लिए खतरा बन सकने वाले किसी रोग के संक्रमण को फैलने की संभावना कम करना है ।
भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार – जिले के लोक सेवक जो कि एक आईएएस होते हैं उसके द्वारा लागू विधान का उल्लघंन किया जाता है तो ये सरकारी आदेश में बाधा और अवज्ञा के अंतर्गत आता है । जब प्रशासन की ओर से लागू किसी ऐसे नियम जिसमें जनता का  हीत छुपा हुआ होता और ऐसे में कोई इसकी अवमानना करता है तो प्रशासन उस पर धारा 188 के तहत कार्यवाही कर सकता है । जो लोग बेवजह घरों से निकल रहे हैं तथा लाॅक डाउन का पालन नहीं कर रहे हैं ऐसे लोगों पर 188 के तहत कार्यवाही करने के आदेश हैं ।
विधायक शैलेष पाण्डेय इस मामले को अपने विशोषाधिकार का उल्लघंन बता रहे हैं जबकि विशेषाधिकार का हनन के तहत यदि विधानसभा में कोई सदस्य इनके अधिकारों का हनन करता तब विशेषाधिकार का हनन माना जाता । जबकि विधायक पाण्डेय ने प्रदेश में लगे धारा 144 का उल्लघंन किया है । ऐसे में हर व्यक्ति चाहे वो आम हो या खास भीड़ इकट्ठी नही कर सकता और ऐसे समय में जब देश में महामारी संक्रमण का संकट हो ।
देखना होगा विधायक शैलेष पाण्डेय इसके लिए आगे क्या कदम उठाते हैं और क्या वाकई हाईकोर्ट में इसे चुनौति देते हैं । वैसे जानकारों और कानूनविदों का कहना है कि इस मामले में विधायक शैलेष पाण्डेय का पक्ष ज्यादा मजबूत नहीं है ।
वरिष्ठ अधिवक्ता हैरिस लाल का कहना था कि – कानून के उल्लघंन की इजाजत तो किसी को भी नहीं होती चाहे वो आम आदमी हो या विधायक या सांसद । इस समय लाॅक डाउन लगा है और ऐसे में भीड़ इकटठा करना 144 का उल्लघंन है । यदि विधायक अपने पे हुई कार्यवाही को विशेषाधिकार का हनन मानते हुए हाईकोर्ट में चुनौति देने की बात करते हैं तो ये कोई मजबूत आधार नहीं है ।

वरिष्ठ अधिवक्ता आक्रोश त्रिवेदी का कहना था कि – जिले और प्रदेश में 144 लगा हुआ है ऐसे में भीड़ इकट्ठा होने पर कानून का उल्लघंन तो है ही । लेकिन सोचने वाली बात ये है कि इतनी बड़ी तादात में लोग जमा कैसे हो गए जबकि 144 लगा हुआ है और चप्पे चप्पे पर पुलिस लगी हुई है । फिर भी कानून के उल्लघंन का मामला बनता है विधायक को किसी पर आरोप लगाने से बचना चाहिए वे हाईकोर्ट में इसे चुनौति देने के लिए स्वतंत्र है ।

 

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