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भैंसाझार पंचायत ऐसे रोकेगा कोरोना का संक्रमण देख लिजिए।

रोजगार गारंटी में पिछले साल का ही मस्टर रोल जमा नहीं , लोगों का रूका भुगतान ।

काम करने वाले घरों पर और बैठने वाले काम पर ।

मनरेगा के कामों की मानिटरिंग करे कौन जब सब आफिस पहुंचते हो ग्यारह बजे ।

 

दबंग न्यूज लाईव
गुरूवार 28.05.2020

 

करगीरोड – कोटा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत भैंसाझार से सुबह सुबह जो तस्वीर और खबर आई है उसने ये बताया कि भैंसाझार पंचायत में कोरोना संक्रमण को लेकर कोई खतरा नहीं है इसलिए तो मनरेगा में चल रहे कामों में सभी साथ मिलकर एक साथ काम कर रहे हैं फिर एक साथ झुंड में बैठ रहे हैं कि इतने लोगों को एक साथ देखकर कोरोना भाग जाए । मास्क और सेनेटाईजर ये क्या बला है इसकी तो इस पंचायत को जरूरत ही नहीं है । तस्वीरें और विडियो देखकर लगता है कि इन्हें सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में किसी ने बताया ही नहीं ।

कोटा जनपद के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत मे मनरेगा के तहत तालाब खुदाई का काम चल रहा है और हर साल इसी तालाब पर चल रहा है । हर साल इस तालाब का गहरीकरण होता है यदि वाकई में इतने सालों से तालाब का गहरीकरण होता और जितना पैसा खर्च किया गया उससे यहां समंदर तो बन ही जाता लेकिन ये तालाब सभी को रोजगार दे रहा है हर साल पट जाता है फिर गांव वाले इसकी खुदाई करते हैं मनरेगा का पैसा खाते में आ जाता है ।

गांव वालों की शिकायत है कि जिन लोगों ने रोजगार की मांग किया उनका नाम ही नहीं आया ऐसे मे उनके सामने रोजी रोटी की समस्या है । सबसे गंभीर आरोप ये लगाया गया है कि पिछले साल का मस्टर रोल ही रोजगार सहायक ने जमा नहीं किया है जिससे कई लोगों को मजदूरी भुगतान नही हो पाई इसके अलावा भी पिछले कई सालो ंसे मनरेगा का भुगतान गांव वालों को नहीं हुआ है । गांव के कुछ लोगों ने कुछ दिन पहले ही जनपद पंचायत शिकायत करने गए तो यहां सभापति विद्या ओरकेरा से उनकी मुलाकात हुई । सभापति ने भरोषा दिलाया कि इस पूरे मामले की जांच की जाएगी ।

ग्राम पंचायत के पंच गिरीश राज का कहना था – मनरेगा का काम चल रहा है इसमें काफी अनियमितता सामने आ रही है । यहां ग्रामीणों को ना तो मास्क दिए गए हैं और ना ही सेनेटाईजर या साबून की व्यवस्था है । पता ये भी चला है कि पिछले साल के मनरेगा काम का दो हफ्तों का मस्टर रोल जमा ही नही हुआ है जिसके कारण कई लोगों का भुगतान बचा हुआ है ।

 

 

 

हमने इस मामले में सरपंच पति सहदेव राज से बात हुई तो उनका कहना थ कि – गांव वालों को कई बार समझाएं हैं हर घर में एक साबून और मास्क बांटा गया है फिर भी लोग नहीं लगाते क्या करें । मजदूरी भुगतान को लेकर उनका कहना था कि मैं तो नया हूं पिछले साल का मुझे कोई जानकारी नहीं है । जनपद से हफते भर पहले इंजिनियर आई थी मुर्गी शेड देखने उस समय मनरेगा का भी देखी ।
सरपंच पति की ये बात मान लेते हैं कि गांव वाले मास्क नहीं लगा रहे लेकिन इस पंचायत में जो लोग हाजरी भर रहे है उनमे रोजगार सहायक , और मेट पंच भी होंगे इनमें से भी किसी ने मास्क नहीं लगाया है । ऐसे में ये दूसरों को कैसे इसके लिए जागरूक करेंगें ।

 मनरेगा में कामों को देखने और मानिटरिंग के लिए दर्जनों कर्मचारी हैं लेकिन फिल्ड में कोई नजर नहीं आता यहां तक कि मनरेगा के प्रोजेक्ट आफिसर और अन्य स्टाॅॅफ भी बिलासपुर से आते हैं जो ग्यारह बजे के पहले कोटा पहुंचते नहीं और मनरेगा का काम पंचायतों में आठ बजे से पहले ही खतम हो जाता है ऐसे में मनरेगा के काम की मानिटरिंग करे कौन ?

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