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मनरेगा से बनी डबरी ने खम्हन की जिंदगी बदल दी ।

डबरी में मछली पालन कर खम्हन ने लॉक-डाउन में भी कमाया मुनाफा ।

डबरी के आसपास की जमीन में उगाते हैं सब्जियां, मुश्किल समय में कई ग्रामीणों को बांटी सब्जी ।

 

दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 05.06.2020

 

Sanjeev Shukla

रायपुर – मनरेगा के कामों में अनियमितता तथा भ्रष्टाचार के आरोप समय समय पर आते रहते हैं लेकिन इसी मनरेगा ने कई लोगों की जिंदगी में बदलाव ला दिया है । लोगों ने मनरेगा से अपनी आजीविका के संसाधनों को विकसीत किया है और अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की है । ऐसे ही एक किसान है जांजगीर जिले के मालखरौदा विकासखंड के चरोैदा गांव के किसान खम्हन बरेठ । इसी मनरेगा ने उन्हें अपनी 14 सदस्यी परिवार के जीवन यापन के सभी साधन मुहैया करवा दिए हैं ।

. मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) से हो रहे आजीविका संवर्धन के कार्यों ने कई परिवारों की जिंदगी बदल दी है। जीवन-यापन के साधनों को सशक्त कर इसने लोगों की आर्थिक उन्नति के द्वार खोले हैं। कोविड-19 से निपटने लागू देशव्यापी लॉक-डाउन के दौर में भी मनरेगा से निर्मित संसाधनों ने हितग्राहियों की आजीविका को अप्रभावित रखा है। नए संसाधनों ने उन्हें इस काबिल भी बना दिया है कि अब विपरीत परिस्थितियों में वे दूसरों की मदद कर रहे हैं।

लॉक-डाउन में जब लोग रोजी-रोटी की चिंता में घरों में बैठे हैं, तब जांजगीर-चांपा के सीमांत किसान खम्हन लाल बरेठ अपनी डबरी से मछली निकालकर बाजारों में बेच रहे हैं। डबरी के आसपास की जमीन में उगाई गई सब्जियां उन्हें अतिरिक्त आमदनी दे रही हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण पैदा हुए विपरीत हालातों के बीच भी उनका 14 सदस्यों का परिवार आराम से गुजर-बसर कर रहा है। खम्हन लाल की इस बेफिक्री का कारण मनरेगा के तहत उनके खेत में खुदी डबरी है। इस डबरी ने मछली पालन के रूप में कमाई का अतिरिक्त साधन देने के साथ ही बरसात में धान की फसल के बाद सब्जी की खेती को भी संभव बनाया है।

जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा विकासखंड के चरौदा गांव के किसान खम्हन लाल के खेत में निर्मित डबरी ने उनके जीवन की दशा और दिशा बदल दी है। मनरेगा के अंतर्गत 20 मीटर लंबी, 20 मीटर चैड़ी एवं 10 मीटर गहरी निजी डबरी ने जीवन आसान कर दिया है। इस डबरी के निर्माण के दौरान खम्हन लाल के परिवार के साथ ही अन्य ग्रामीणों को भी कुल 656 मानव दिवसों का सीधा रोजगार मिला। खम्हन लाल और उनकी पत्नी ने 38 दिन साथ काम कर 6346 रूपए की मजदूरी प्राप्त की।

खम्हन लाल बताते हैं – डबरी निर्माण के पहले वे धान की फसल के बाद मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन जब से डबरी बनी है वे धान की खेती के साथ मछली पालन भी कर रहे हैं। डबरी के आसपास चारों ओर सब्जी-भाजी तथा फलों के पेड़ भी लगाए हैं। पिछले दो वर्षों से वे मछली पालन और सब्जी बेचकर सालाना करीब 50 हजार रूपए की अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं।

खम्हन लाल के बेटे बसंत कुमार कहते हैं – मनरेगा ने उनकी जिंदगी बदल दी है। डबरी ने उनकी आजीविका को स्थायी और सशक्त बनाया है। अभी डबरी के आसपास नमी वाली जगहों पर फल और सब्जियां उगा रहे हैं। यहां हम लोगों ने केला, पपीता, कटहल, मुनगा, अमरूद, हल्दी, मिर्च, लहसुन, तरोई, टमाटर, लौकी, मखना और बरबट्टी लगाया है। लॉक-डाउन में सब्जी की जो भी पैदावार हुई, उसे बाजार में बेचने के साथ-साथ गांव के जरूरतमंद परिवारों को भी दिया है। मुश्किल समय में लोगों की मदद कर सकें, इसका सुकुन है।

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