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रात के अंधेरे में होने लगी कैम्प से मेहमानों की बिदाई ।

चिरचारी के राहत कैम्प में रह रहे लोगों ने तंग किया प्रशासन को ।

हर सुविधा के बाद भी चैन नहीं ,प्रशासन ने बिदाई करनी शुरू किया ।

लॉ-आर्डर की स्थिति से घबराया जिला प्रशासन

 

दबंग न्यूज लाईव
गुरूवार 16.04.2020

राजनांदगांव – 14 अप्रेल रात के अंधेरे में तीन से चार बस चिरचारी राहत कैम्प से निकलती है लेकिन कहां के लिए इसकी कोई जानकारी किसी को नहीं है । हर बस में तीस से पैंतिस लोगों के होने की संभावना व्यक्त की जा रही है । चिरचारी कैम्प के बारे में कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने यहां के लोगों को मेहमान की संज्ञा दी थी फिर ऐसा क्या हुआ कि मेहमानों को रात के अंधेर में बसो में बिठा के बिदा करना पड़ा । आखिर प्रशासन ने बसों में बिठा के लोगों को कहां के लिए रवाना किया इसकी कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है । लेकिन पुरा मामला समझने के पहले आपको चिरचारी के राहत कैम्प के बारे में जानना जरूरी है ।


राजनांदगांव जिले से लगभग सत्तर से अस्सी किमी की दूरी पर है चिरचारी राहत कैम्प । ये जगह छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा तय करता है । बाघ नदी के पुल के इस तरफ छत्तीसगढ़ और उस तरफ महाराष्ट्र । इसी के पास चिरचारी में प्रशासन ने लाॅक डाउन के समय से राहत शिविर लगाया है । जहां यूपी ,बिहार तथा झारखंड के लगभग साढ़े सात सौ लोगों को रखा गया है और ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि लाॅक डाउन के समय इन्हें किसी प्रकार की समस्या और दिक्कत ना हो ।


प्रशासन ने इन साढ़े सात सौ लोगों के रहने खाने और नास्ते की पूरी व्यवस्था की है इस कैम्प में लोग पिछले पंद्रह बीस दिनों से रह रहे हैं । लेकिन अब यहां रहने वालों की हरकतें प्रशासन के लिए सर दर्द बनने लगी है । साढ़े सात सौ की जनसंख्या मायने रखती है । और वो भी इतने लंबे समय के लिए उनके खाने पीने नास्ते की व्यवस्था करना और भी मुश्किलों भरा होता है । ऐसे में यहां रहने वालों को भी प्रशासन का सहयोग करना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है ।


जानकारी के अनुसार यहां रहने वाले लोग सुबह सात बजे से ही नास्ते और खाने की मांग करने लगते हैं । पिछले दिनों यहां से डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग फरार हो गए थे । प्रशासन ने यहां की व्यवस्था के लिए अपने कर्मचारियों की लंबी चोैड़ी फौज लगा रखी है लेकिन अब उसके सामने लायन आर्डर की समस्या सामने आ रही है ।

कैम्प से फरार हुए लोगों के बाद मंगलवार की दोपहर से जिला प्रशासन से हरकत में आया गया था । जिला प्रशासन को इस बात का पूरा आभास हो गया था कि शिविर में ठहरे मजदूर किसी न किसी प्रकार की घटना या अनहोनी को अंजाम दे सकते हैं इसलिए चिरचारी डिपों से मजदूरों को हटाए जाने बसों का अधिग्रहण करना शुरू दिया। बुधवार को भी चिरचारी डिपों में जागीरदार और हेवंस की करीब दर्जन भर बसें खड़ी रही।

राजनांदगांव कलेक्टर जे पी मौर्य ने मीडिया से कहा कि – यहां काफी दिनों से लोग रह रहे हैं सहयोग भी कर रहे हैं लेकिन अब वे थोड़ा असहज हो रहे हैं कभी कहते हैं भटा नहीं खाएंगे कभी बड़ी नहीं खाएंगे । इसलिए उनको उनके गृह राज्य तो नहीं भेज सकते ऐसे में अलग अलग जगह व्यवस्थित किया जा रहा है । चिरचारी कैम्प अभी भी पहले की तरह ही कार्य कर रहा है ।

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