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एटीआर की उम्मीदों पर फिरा पानी । अब फिर से उठने लगे सवाल क्या वाकई एटीआर में टाईगर नहीं ?

जिस टाईग्रेस को एटीआर का माना गया वो निकली बांधवगढ़ की ।

कानन में इलाज करा रही घायल बाघिन एटीआर की नहीं बांधवगढ से पहुंची है ? अब जंगल में छोड़ना उचित नही ?

 

दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 07.07.2021

 

बिलासपुर – अचानकमार टाईगर रिजर्व के अधिकारियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है । अचानकमार टाईगर रिजर्व में टाईगर होने और ना होने के सवाल के बीच जब एक घायल टाईग्रेस को एटीआर में देखा गया तो अधिकारियों ने कालर खड़े कर कहा कि अचानकमार में टाईगर है । लेकिन एक जानकारी के मुताबिक अचानकमार में जो टाईग्रेस मिली है वो अचानकमार की नहीं बांधवगढ़ की है और वहां से अचानकमार पहुंची है ।

फाईल फोटो

इस खबर ने एटीआर के अधिकारियों की उस खुशी पर पानी फेर दिया है जिसमें वे टाईग्रेस को अपने यहां का बता रहे थे । पिछले कुछ हफ्तों से मीडिया की सुर्खियों में रही अचानकमार टाइगर रिजर्व से लाई गई घायल बाघिन एटीआर की नही बल्कि यह बांधवगढ की है इस बात की पुष्टि देहरादून भारतीय वन्यजीव संस्थान ; ूपप द्ध ने की है और इस आशय का पत्र प्रदेश के पीसीसीएफ वन्यजीव के पास भेजी जा चुकी है, लेकिन शासन अपने स्तर पर सुरक्षागत कारणों से दबाकर रखा है । अधिकारी इस बात की पुष्टि करने से न तो इन्कार कर रहे है और नकार रहे हैं ?

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8 जून को एटीआर के छपरवा से घायल बाघिन को रेस्क्यू करके कानन पेंडारी जू हॉस्पिटल लाई गई थी। जहाँ पर इसका इलाज चल रहा है । बाघिन के रेस्क्यु के बाद से ही अधिकारी उसकी उम्र और उसके ठिकाने का पता लगाने में लगे थे । उनकी इस खोज को अंजाम दिया देहरादुन के भारतीय वन्य जीव संस्थान ने । वन्य जीव संस्थान के मुताबिक उक्त बाघिन को बांधवगढ टाइगर रिजर्व में सन 2006 में देखा गया था इसके बाद 2006 से 2014 तक का फोटो रिकॉर्ड प्राप्त किया गया है। देहरादुन संस्थान के मुताबिक बाघिन की उम्र 15 साल है तथा यहां बांधवगढ़ की बाघिन है जो अचानकमार टाईगर रिजर्व में आ गई थी ।

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कान्हा टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ रिजर्व के बीच संजय गांधी उद्यान पड़ता है और यहीं से अचानकमार टाईगर रिजर्व भी जुड़ता है । याने ये चारों उद्यान एक दुसरे से कहीं ना कहीं से जुड़े हैं और ये कारीडोर वन्य प्राणियों के आवागन का रास्ता है । हो सकता है यहीं से ये बाघिन अचानकमार पहुंची हो ।

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बाघिन का घायल होना अभी भी रहस्य ..यदि बाघिन बांधवगढ़ से यहां आई तो फिर घायल कैसे हो गई । कैसे उसके पीठ पर इतना गहरा घाव हो गया । ये भी जांच का विषय हो सकता है । क्या बाघिन की किसी दुसरे बाघ या बाघिन से लड़ाई हुई ? या शिकारियों ने इसे घायल किया ।

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क्या बाघिन को जंगल मे अब छोड़ना उचित होगा ?

कुछ दिन पहले ही शासन ने घायल बाघिन के व्यवहार को देखने और समझने के लिए एक टीम का गठन किया था । लेकिन बाघिन की उम्र और उसके ठिकाने का पता चलने के बाद अब ये सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या इस बाघिन को अचानकमार टाईगर रिजर्व में छोड़ा जा सकता है ? या फिर इस बाघिन को बांधवगढ़ में छोड़ा जाए ? या फिर कानन जू में ही रखा जाए ? क्या बांधवगढ़ की बाघिन को कानन में रखने के लिए बांधवगढ़ प्रबंधन की अनुमति की भी आवश्यकता होगी ?

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क्योंकि उम्र अधिक है साथ ही पहले जैसे स्वच्छंद शिकार करने की स्थिति में नहीं रही क्योकि यदि जंगल मे छोड़ा गया तो कोई न कोई शिकार भी कर देगा साथ ही जंगल मे रहने की अंतिम सीमा तक पहुंच गई थी और पहले जैसे स्थिति में नही रही या फिर छोड़ा जाएगा उस स्थिति में बाघिन जंगल से लगे गांव के आसपास ही रहने लगेगी क्योकि उसकी खाने की आदत में कोमल मांस जैसे चिकन तक ही सीमित रह गई है और तो और मटन भी नही खाती हैं। ऐसे स्थिति में सरकार को जू के हवाले ही में रखना चाहिए अन्यथा बाघिन के लिए खतरा भी हो सकता है ? हालांकि अंतिम निर्णय शासन द्वारा गठित समिति ही लेगी की उसे रखना है अथवा जंगल में छोड़ना है ?  खैर ये सब अब सरकार और उनके द्वारा बनाई गई टीम ही देखेगी ।

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लेकिन इस पुरी जानकारी ने फिर से अचानकमार टाईगर रिजर्व में टाईगर के होने और ना होने की बहस को फिर से गरम कर दिया है ।

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