करगी रोडपेंड्रा रोडबिलासपुरमरवाहीरायपुर

प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत के बहाने कोटा विधानसभा में बिखरे कुनबे को जोड़ने की मशक्कत ।

कोटा विधानसभा भाजपा के लिए खट्टे अंगुर ही है अब तक ।
सबसे बड़ा सवाल क्या नए प्रदेश अध्यक्ष कोटा विधान सभा में परचम लहराएंगे ।

दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 14.09.2022

बिलासपुर – भाजपा के शिर्ष नेतृत्व ने प्रदेश में भाजपा की कमान दिग्गज नेताओं को दरकिनार करते हुए स्वच्छ छवी और उच्च शिक्षित बिलासपुर से पहली बार सांसद बने अरूण साव को सौंप दी है । प्रदेश अध्यक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौति प्रदेश में भाजपा के कुनबे को जोड़ने की होगी साथ ही प्रदेश में भाजपा की सरकार लाने की भी लेकिन इन सबके बीच आज प्रदेश अध्यक्ष कोटा पहुंच रहे हैं और उनके स्वागत की जोरदार तैयारी चल रही है ।


कोटा विधान सभा शुरू से ही भाजपा के लिए खट्टे अंगुर वाली कहावत लिए हुए है । यहां भाजपा को हर चुनाव में लगता है कि वो अच्छी स्थिति में है और चुनाव जीत रही है लेकिन नतीजा हार लिए ही आता है । पिछले चुनाव में कांग्रेस से जब डा रेणु जोगी को टिकट नहीं मिली और वे जनता कांग्रेस से मैदान में उतरी और कांग्रेस ने नए चेहरे विभोर सिंह को मैदान में उतार दिया तो भाजपा में खुशी का ठिकाना नहीं था कि अब तो विधान सभा उनकी झोली में है ।


भाजपा के खुश होने का कारण भी था जैसे आम जनता को लगा वैसे ही भाजपा को भी कि कांग्रेस की ताकत तो बंट चुकी है ऐसे मेें वे आसानी से कोटा विधानसभा के मिथक को तोड़ देंगे । लेकिन जब नतीजा आया तो डा रेणु जोगी फिर से कोटा की विधायक बन गई । और भाजपा की आस उनके गले की फास बनी रह गई ।
नए प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कोटा में भाजपा को लाभ मिल सकता है और यहां भाजपा एकजुट हो सकती है । लेकिन भाजपा में जिस प्रकार से बाहरी लोगों की नजर है उससे मामला बिगड़ सकता है । कोटा विधानसभा में नए नए दावेदार पैदा हो रहे है जो यहां से टिकट की चाहत रखते हैं ।

मुरारी गुप्ता पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष कोटा

कुछ दिन पहले ही एक नई महिला नेता कोटा विधानसभा में सक्रिय हुई है और आते ही उन्होंने शंखनाद करते हुए महिने भर पहले एक सम्मेलन भी कर डाला । उनकी सक्रियता को देखते हुए भाजपा के कई दावेदार सन्न हो गए । सूत्रों की माने तो उनका दांव इसी पर है कि पिछले दो बार से स्थानीय को टिकट दी गई तो नतीजा क्या आया ?

वेंकट अग्रवाल वरिष्ठ भाजपा नेता

उनके अलावा भी कोटा विधानसभा में एक बड़ी फेहरिस्त स्थानीय के साथ ही बाहरी दावेदारों की भी है ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनोैति इन दावेदारों को समझाने के साथ ही भीतरघात रोकना होगा । पेण्ड्रा क्षेत्र से भी भाजपा में कोई ऐसा सर्वमान्य नेता नजर नहीं आ रहा जिसे कोटा और रतनपुर के भाजपा कार्यकर्ता या जनता स्वीकार कर पाएं और शायद ये सीट गंवाने में यही कारण सबसे बड़ा हो क्योंकि इस विधान सभा के तीनों बड़े क्षेत्रों से कोई ऐसा नेता नहीं है जो तीनों क्षेत्र में सर्वमान्य हो ।


स्थानीय दावेदारों में जिनका पलड़ा भारी होगा उनमें दो बार टिकट पा चुके काशी साहू , पूर्व नगरपंचायत अध्यक्ष मुरारी गुप्ता , भाजपा के वरिष्ठ नेता और उच्च कमान में निकट संबंध रखने वाले वेंकट अग्रवाल , के साथ ही कई नए चेहरे भी है जो टिकट की मांग कर सकते हैं । इनके अलावा कई बाहरी नेता भी जो कोटा विधान सभा में अपनी किस्मत चमकाने की आस में है ।


कोटा में प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत के बहाने सभी दावेदार अपनी दावेदारी अभी से ठोंकते नजर आएंगे और ये भी तय है कि प्रदेश अध्यक्ष इस रस्साकशी को बेहतर ढंग से समझ भी जाएंगे । अखबारों में फुल फुल पेजों के विज्ञापन और शहर भर में होर्डिंग इस बात को और बल देती है कि नेतागिरी में जमीनी स्तर पर कुछ पकड़ हो या ना हो विज्ञापनों में चेहरा दिखना चाहिए । लेकिन इन विज्ञापनों में भी गुटबाजी साफ नजर आ रही है जिसमें से कोटा के दो वरिष्ठ नेताओं की फोटो ही गायब है । 


कोटा विधान सभा में कांग्रेस के पास भी दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है और उसे भी दिक्कत आने वाली है लेकिन पिछले दिनों मुख्यमंत्री से कोटा के नेताओं की मुलाकात के वक्त दावेदारों को मुख्यमंत्री ने एक लाईन में ही चुप करा दिया कि ’’ जो टिकट मांगेगा उसे नहीं मिलेगी ।’’ अब ऐसे में दावेदार बोल भी नहीं सकते और बिना बोले रह भी नहीं सकते । सबसे अच्छी स्थिति जनता कांग्रेस की है यहां ज्यादा दावेदार नजर नहीं आ रहे और जोगी मैडम के सामने कोई टिकट भी नहीं मांगेगा । अब ये डा. रेणु जोगी के उपर होगा कि वो खुद चुनाव लड़ेंगी या किसी को सामने करेंगी ।

बहरहाल देखना होगा कोटा विधान सभा की ये सीट आने वाले समय में किसके हाथों में होती है । लेकिन ये भी तय है कि किसी के भी हाथों में हो इसका उद्धार होने वाला नहीं है ।

Related Articles

Back to top button