करगी रोडकोरबापेंड्रा रोडबिलासपुरभारतमरवाहीरायपुर

एक्सक्लूसिव – बिलासपुर जिला परियोजना अधिकारी की निष्क्रियता से रेडी टू ईट की योजना पहुंची तबेले में ।

नाट फाॅर सेल लिखा टीएचआर का पैकेट दस रूपए में कैसे और कौन बेचता है बाजार में ?

तखतपुर विकासखंड के रेडी टू ईट के पैकेट जिले के एक तबेले में ।

दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 25.12.2020

 

बिलासपुर – प्रदेश में महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत महिलाओं और बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र से वितरण किये जा रहे रेडी टू ईट की योजना पर पलीता लगते जा रहा है क्योंकि जिस योजना का लाभ महिला एवं बच्चों को मिलना चाहिए उसका उपयोग बिलासपुर जिले में असल हितग्राहियों की जगह जानवरों को मिल रहा है । ऐसे में कुपोषण केैसे दुर होगा ।


विभाग द्वारा मुफ्त वितरित किए जा रहे इस पैकेट पर साफ साफ नाट फाॅर सेल यानी के बेचने के लिए नहीं लिखा होता है लेकिन ये जिले में धड़ल्ले से खुले बाजार में बिक रहा है । दबंग न्यूज लाईव ने कल इस बारे में एक खबर प्रकाशित की थी कि कैसे विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते सरकार की ये महत्वपूर्ण योजना तबेले में जा रही है ।


बिलासपुर जिले के 76 सेक्टरों में 72 समूहों द्वारा रेडी टू ईट का निर्माण किया जा रहा है जिसकी देखरेख के लिए आंगनबाड़ी सुपरवाईजर , विकासखंड परियोजना अधिकारी और जिला परियोजना अधिकारी हैं लेकिन इन सबकी नजर के नीचे से ये आहार जानवरों के लिए बाजार में पहुंच जा रहा है ।


दबंग न्यूज लाईव ने जिस गौशाला में देखा वहां जिले के तखतपुर विकासखंड के एक समूह द्वारा निर्मित रेडी टू ईट बोरे में भरा था । गौशाला की देखरेख करने वाले व्यक्ति ने बताया कि वो इन पैकेट को थोक के भाव में दस रूपए किलो में खरीदता है । गौशाला में रेडी टू ईट के कई पैकेट खुले भी पड़े थे और कई पैकेट बोरे में भरे हुए थे । ये मामला काफी गंभीर है लेकिन अभी तक किसी भी जिम्मेदार ने इस तरफ संज्ञान नहीं लिया है । प्रदेश में ग्यारह साल से चल रही इस करोड़ों रूपए की योजना के बावजूद कुपोषण के स्तर में वो कमी नहीं आई जो आनी चाहिए थी , फिर आती भी कैसे क्योंकि हितग्राहियों को मिलने वाला सुपोषण आहार तो तबेले में जा रहा है ।


इस संबंध में तखतपुर के परियोजना अधिकारी का बयान भी ये बताने के लिए काफी था कि इस मामले में अधिकारियों की रूची कितनी और कैसी है । उन्होंने सारा मामला हितग्राहियों पर ही थोपने की कोशिश की कि वो बेच देते होंगे । लेकिन सोचने वाली बात ये है कि आखिर कोई हितग्राही बोरा भर पैकेट कैसे बेच देगा ? क्या कोई ऐसा व्यक्ति सक्रीय है जो हितग्राहीयों से पैकेट जमा करता हो और उसे एक मुश्त बेच देता हो ? या फिर कहीं और से ही गड़बड़ी हो रही है ? ये भी देखना होगा कि विभाग के द्वारा रेडी टू ईट के लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियान का क्या हो रहा हैं ? क्या रेडी टू ईट हितग्राही तक पहुंच भी रहा है या सीधे समूह से गौशाला तक पहुंच जा रहा है और सब वितरण कागजों में हो जा रहा है ? ये सब जांच और कार्यवाही के विषय हैं लेकिन यहां सब चलता है ।

 

Related Articles

Back to top button