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उसने एक आदेश निकाला और आशियां मेरा बिखर गया ,25 साल रह रहे गरीबों के आवास को सिर्फ अधिकारियों के लिए बनने वाली कालोनी के लिए हटाने का आदेश ।

जब जमीन सरकारी ही थी और यहां के लोगों ने अवैध कब्जा किया था तो फिर बिजली ,नाली ,सड़क , आवास और शौचालय क्यों दिया ?

दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 24.03.2021

 

सुनिल शुक्ला

रायपुर – उसने एक आदेश निकाला और आशियां मेरा बिखर गया । ये हालात है रायपुर जिले के धरसिंवा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव सेरीखेड़ी में लगभग 25 से 30 साल से रह रहे लोगों की । सेरीखेड़ी के पहन 77 में सरकारी जमीन पर यहां के दर्जनों लोग बरसों से निवास करते हैं । यहां इनके कच्चे पक्के मकान हैं , मकानों के राजनैतिक रूप से देखा जाए तो इंसान कम वोटर ज्यादा हैं क्योंकि वोट के ही चक्कर में ये यहां बस गए या बसा दिए गए । हर चुनाव में राजनैतिक पार्टी ने इनसे वोट लिए सरकारे बनीं और फिर यहां नल ,नाली ,सड़क,बिजली ,आवास और शौचालय जैसी स्थायी सुविधाएं दी गई । इन्हें लगा कि अब ये जगह उनके स्थायी निवास का ठिकाना बन गया है ।


लेकिन चार मार्च को निकले तहसीलदार के आदेश ने यहां के दर्जनों परिवार की निंद उड़ा दी है । आदेश है कि जल्द जल्द ये जगह छोड़ दें क्योंकि ये जगह राज्य के अधिकारियों के लिए बनने वाली कालोनियों के लिए आरक्षित कर दी गई है । और ये जमीन अब राज्य प्रशासनिक सेवा गृह निर्माण समिति रायपुर को दे दी गई है । यदि किसी के पास कोई दस्तावेज हो तो वो 25 मार्च तक न्यायालय में आकर जवाब दे वर्ना बेदखली की कार्यवाही की जाएगी ।

याने बरसों से बने गरीबों के आशियां सरकारी अधिकारियों के लिए बनने वाली कालोनी के लिए बिखेर दिए जाएंगे । मजे की बात ये है कि इस अन्याय के खिलाफ ना तो पंचायत ने कुछ बोला ना ना जनपद सदस्य ने , ना विधायक ने और ना ही यहां से व्होट लेने वाले राजनैतिक दलो ने ।


ये माना कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा गलत है तो फिर इस अवैध कब्जे मे पूरी सुविधा मुहैया करवाना क्या गलत नहीं है ? और फिर जब यहां सब करवा ही दिया गया तो क्या कालोनी बनाने के लिए दुसरी जगह चिन्हांकित नहीं की जा सकती ? या इन गरीबों का कहीं और व्यवस्थापन नहीं हो सकता ? सवाल बहुत है लेकिन सवाल का यदि कोई जवाब है तो वो यही ंकि 25 मार्च के बाद सेरीखेड़ी से दर्जनों परिवार को अपना आशियाना छोड़ना होगा ।

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