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कोटा में एक पंचायत ने पंचायत भवन के प्रांगण में बना दिया गौठान ।

बकायदा बैरिकेड करके गायों को रखा जा रहा , ना चारे की व्यवस्था ना शेड की ।
वन विभाग ने खरीदा बारह हजार का गोबर जो अब बिकेगा लिटर के भाव ।

 

दबंग न्यूज लाईव
सोमवार 12.09.2022

करगीरोड कोटा -प्रदेश सरकार की गौठान योजना से कोटा जनपद पंचायत का एक पंचायत इतना प्रेरित हुआ कि उसने पंचायत के प्रांगण में ही गौठान बना दिया है । पूरा मामला आमामुड़ा ग्राम पंचायत से सामने आया है । यहां पंचायत और सामुदायिक शौचालय के पास की जमीन पर अघोषित गौठान यहां के सरपंच ने बना दिया । इसके बाद यहां गाय बैलों का रखा जाने लगा । पिछले कुछ दिनों से गिर रहे पानी की वजह से पुरा जगह दलदल बन गया है यहां न तो जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था है और ना ही शेड की ऐसे में जानवरों को यहां खुले में भूखे प्यासे रहना पड़ रहा है ।


पंचायत के सचिव के एक पत्र से ये जानकारी सामने आई है कि जब सचिव हड़ताल में थी जब वो वापस हड़ताल से आई तो उसने पंचायत के परिसर में गौठान देखा जहां गांव के मवेशी भरे पड़े थे । उसने गांव वालों से जानकारी ली तो पता चला कि सरपंच ने ही गांव वालों से कहा है कि यहां गौठान बना है यहीं रखो ।
इसके बाद सचिव ने एक लिखित पत्र सरपंच को देते हुए लिखा है कि – ’ आपके द्वारा ग्रामवासियों को पंचायत परिसर में गौठान बनाने की अनुमति दी गई है जो कि शासन के आदेशानुसार अनुचित है अतः तीन दिवस के अंदर गौठान को वहां से हटाकर दुसरे जगह व्यवस्था करें अन्यथा उचित कार्यवाही की जाएगी ।’’


सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आमामुड़ा में गौठान स्वीकृत हुआ है जिसे वन विभाग के द्वारा बनाया जाना है । लेकिन अभी तक इस गौठान का श्रीगणेश नहीं हुआ है । ऐसे में सरपंच ने पंचायत के बाउंड्रीवाल के अंदर ही बाड़ा बना दिया है और गांव वालों से वहीं अपने मवेशियों को रखने के लिए कहा है ।


जानकारी ये भी प्राप्त हुई है कि इसी जगह पर वन विभाग ने गांव वालों से लगभग बारह से पंद्रह हजार का गोबर खरीदी की और रखा था लेकिन मवेशियों को यहां रखने से और पानी गिर जाने से पुरा गोबर दलदल का रूप ले चुका है ।

पंचायत सचिव का कहना था – पंचायत में गौठान वन विभाग के द्वारा बनाया जा रहा है जो जंगल में है इसलिए गांव की महिलाएं गोबर बेचने वहां नहीं जा पा रही है इसलिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत यहीं गोबर खरीदी हो रही है । वन विभाग ने जो गोबर लिया था वो भी बह गया है ।

पंचायत और वन विभाग के द्वारा शासन की योजना और शासकीय पैसों का दुरूपयोग तो हो ही रहा है बजुबान मवेशियों के साथ भी ये अत्याचार हो रहा है ।

 

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