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रोजगार सहायक का कारनामा – मस्टर रोल में भर दिया अपने मां बाप और चाचा-चाची का नाम ।

जांच रिपोर्ट में पाया गया गबन का दोषी लेकिन अभी तक कार्यवाही नहीं ।

दबंग न्यूज लाईव
12.04.2022

विकास तिवारी

करगीरोड कोटा – एक रोजगार सहायक ने मस्टर रोल में श्रमिकों की जगह फर्जीवाड़ा करते हुए अपने मां बाप और अन्य रिश्तेदारों का नाम भर दिया और सारा पैसा गबन कर लिया । हद्द तो ये हो गई कि जांच होने और जांच प्रतिवेदन जमा होने के कई माह बाद भी रोजगार सहायक पर कोई कार्यवाही नहीं हुई । क्यांे नहीं हुई इसका कारण हमें नहीं मालूम आप अपने हिसाब से कारण लगा सकते हैं ।

मामला है कोटा जनपद पंचायत के करगीखुर्द ग्राम पंचायत का । यहां के रोजगार सहायक ने मनरेगा के कामों में जमकर भ्रष्टाचार किया । सरकार चाहे जितने ऑनलाईन प्रोसेस कर ले जिसे गड़बड़ी करनी होती है वो कर ही लेता है ।
यहां के रोजगार सहायक ने भी मनरेगा के मजदूरी में वास्तविक मजदूरों की जगह अपने मां बाप और चाचा चाची का नाम भरकर मजदूरी निकलवा लिया । पूरे मामले की शिकायत गांव के ही संतोष मानिकपुरी ने अक्टूबर 2021 में जनपद पंचायत में की । मामले को पहले तो ठंडे बस्ते में डाल दिया गया लेकिन जब दबाव बना तो एक जांच टीम गठित कर दी गई जिसने सत्रह अक्टूबर 2021 को पंचायत जाकर पुरे मामले की जांच की तो परत दर परत सारा मामला सामने आ गया ।

जांच अधिकारी ने अपने जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि गांव में पंचायत में हरिराम पिता झगर का आवास स्वीकृत हुआ है । रोजगार सहायक ने जो मस्टर रोल जारी करवाया उसमें आनंद , पुष्पा ,गौरीशंकर और अमरीका के नाम दर्ज करवा दिए । आनंद और पुष्पा रोजगार सहायक के चाचा चाची और गौरीशंकर और अमरीका उसके माता पिता हैं इस प्रकार उसने अपने निजी रिश्तेदारों के नाम से मस्टर रोज जारी करवा लिया जो कि गलत है ।

इसी प्रकार रोजगार सहायक ने मस्टर रोल में हेमलता/पूरन , श्वेता/पटवारी के नाम भी चढाए हैं जबकि इस नाम का कोई व्यक्ति करगीखुर्द पंचायत में रहता ही नहीं इस प्रकार रोजगार सहायक ने फर्जी मस्टर रोल जारी करवाकर राशि का गबन किया है ।

इसी प्रकार जयसिंह/जंगली के भूमि समतलीकरण के लिए भी लगभग तेईस हजार सात सौ अस्सी रूपए का आहरण हुआ है जबकि यहां काम ही शुरू नहीं हुआ । जांच रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि तकनीकि सहायक के द्वारा इस कार्य का मूल्यांकन भी किया गया है ।

सवाल ये उठता है कि जब जांच टीम ने अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार और गडबड़ी की बात कही है तो फिर अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं हो रही ? मनरेगा के कामों में मजदूरी भुगतान तभी होती है जब उस काम का मूल्यांकन तकनीकि सहायक के द्वारा कर दिया जाता है तो क्या तकनीकि सहायक भी इस गड़बड़ी में शामिल है ?

जांच टीम के द्वारा इस प्रतिवेदन को महिनों पहले ही जनपद में सौंप दिया गया है लेकिन इस फाईल पर अभी तक जिम्मेदार अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया है । देखना होगा ऐसे मामलों में कुछ कार्यवाही होती भी है या नहीं ।

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