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झीरम नक्सली हमले में शहीद हुए योगेन्द्र शर्मा की जयंती पर लोगों ने किया याद ।

एक छोटे से गांव के किसान परिवार से आए थे राजनीति के शिखर में ।

दबंग न्यूज लाईव
गुरूवार 13.08.2020

Shyam Agrwal

धरसिंवा – 12 अगस्त 1962 जब धरसिंवा के एक छोटे से गांव टेकारी में रहने वाले किसान पण्डित विष्णु प्रसाद शर्मा के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ नाम रखा गया योगेन्द्र शर्मा । बचपन से ही तेज बुद्धि और लीडरशीप भगवान से प्राप्त थी । जैसे जैसे बड़े हुए राजनीति में दिलचस्पी लेने लगे । धीरे धीरे राजनीति में उनके कदम मजबूत होते गए । बड़े नेताओं के साथ ही आम जनता से उनका जुड़ाव जब गहराता गया तो वे जिला पंचायत के सदस्य भी चुन लिए गए । इसी समय उन्होंने मांढर के पास बेघर लोगों के लिए एक गांव बसा दिया गया नाम रखा गया योगेन्द्र नगर यहां रहने वाले लोग आज भी योगेन्द्र शर्मा को याद करते हैं । राजनीति में आने के बाद उनका झुकाव कांग्रेस की ओर हो गया और वे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में गिने जाने लगे । कहा जाता है कि क्षेत्र का विधायक कोई भी हो लेकिन चलती योगेन्द्र शर्मा की ही थी ।


लेकिन राजनीति में वे और आगे जाते उसके पहले ही वो दिन आ गया जिसने योगेन्द्र शर्मा को क्षेत्र के लोगों से अलग कर दिया । वो दिन था 25 मई 2015 वक्त दोपहर के बाद शाम चार बजे का । इस दिन कांग्रेस ने बस्तर से परिवर्तन यात्रा का शुभारंभ किया था । इन दिनों कांग्रेस का पूरा ध्यान प्रदेश में होने वाले चुनावों पर था । लाखों मनमुटाव के बाद सभी कांग्रेसी एक साथ इस परिवर्तन यात्रा में शामिल हुए थे । और इसी परिवर्तन यात्रा में शामिल होने योगेन्द्र शर्मा भी गए थी ।


कार्यक्रम के समापन के बाद कांग्रेसी नेताओं का काफिला कार्यक्रम स्थल से वापसी के लिए निकला लेकिन जैसे ही ये काफिला झीरम घाटी पहुंचा पहले से घात लगाए नक्सलियों ने उन पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया । इस हमले में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं जिनमें विद्याचरण शुक्ल ,महेन्द्र कर्मा , नंदकुमार पटेल उनके बेटे , उदय मुदलियार के साथ योगेन्द्र शर्मा भी शहीद हो गए । और इस तरह धरसिंवा टेकारी से एक जन नेता का साथ छुट गया ।


आज उनकी जयंति पर क्षेत्र के लोगों ने उन्हें याद करते हुए पूजा अर्चना की जिसमें धरसिंवा से विधायक उनकी पत्नि अनिता शर्मा , उनके पुत्र हर्षित शर्मा के साथ क्षेत्र के लोगों ने पूजा अर्चना कर उन्हें याद किया ।

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