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महिला एवं बाल विकास विभाग के सुपरवाईजर संघ की अजीब मांग ।

आज एक योजना से हटाने की मांग कल फिर किसी योजना से ।
रेडी टू इट है विभाग की दुधारू गाय ।

दबंग न्यूज लाईव
शनिवार 08.08.2020

 

रायपुर महिला एवं बाल विकास विभाग में कई महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित है । इनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण योजना है पोषण आहार योजना जिसके तहत गर्भवती , शिशुवती महिलाओं के साथ बच्चों के लिए सुखा राशन वितरण । ये योजना काफी बड़े बजट की भी है और पोषण आहार वितरण करने वाले समूह स्थानीय नेताओं और जुगाडु लोग संचालित कर रहे हैं ये अलग बात है कि कागज में ये किसी समूह के नाम पर पंजीबद्ध है ।


इस योजना से जुड़ने के बाद महिला और बच्चों को सुपोषण कितना हुआ इसका तो पता नहीं लेकिन इससे जुड़े सभी लोगों के दिन बदल गए । हितग्राहियों से लेकर सभी चैनल तक इस योजना से अपने हिसाब से अपनी हिस्सेदारी तय करने लगे ।


लेकिन आए दिन ये खबर सामने आती है कि विभाग के द्वारा बांटे गए पोषण आहार को लोग जानवरों को खिला रहे हैं या बाजार में बेच दे रहे हैं । इसका दो कारण हो सकता है कि या तो विभाग हितग्राहियों को ये नहीं समझा पा रहा है कि इस आहार का कितना महत्व है और ये कितना पौष्टिक है (कागज में ) या फिर ये आहार खाने योग्य ही ना हो । हो सकता है दोनों ही कारण संभव हो ।


लेकिन इस बीच प्रदेश में कार्यरत सुपरवाईजरों के संघ ने सरकार के सामने एक अजीब मांग रख दी है और मांग ये है कि उन्हें विभाग द्वारा वितरित किए जा रहे पोषण आहार कार्यक्रम से पृथक कर दिया जाए । और इस मांग का आधार ये है कि पर्यवेक्षकों पर निलंबन की कार्यवाही कर देना , नोटिस जारी कर देना , तथा कार्यालय अटैच कर देना , सेक्टर का प्रभार बदल देना ,और सबसे बड़ा कारण अधिकारियों का रेडी टू इट चलाने वाले समूहों और कार्यकर्ताओं को बचाते हुए उनकी शिकायतों पर सुपरवाईजरों पे कार्यवाही कर देना है ।


सुपरवाईजरों का आरोप हो सकता है कि सहीं हों लेकिन विभागीय योजनाओं से उस अधिकारी को कैसे पृथक किया जा सकता है जिसकी जिम्मेदारी ही योजनाओं को बेहतर ढंग से संचालित करवाने की हो ? जिसकी जिम्मेदारी योजनाओं के माॅनिटरिंग की हो ? और जिसकी जिम्मेदार समूह के साथ अपनी कार्यकर्ताओं की मानिटरिंग भी हो ? ऐसे में सुपरवाईजरों की ये मांग की किसी महत्वपूर्ण योजना से उन्हें पृथक कर दिया जाए अजीब है ।


हो सकता है जैसे अभी पोषण आहार से पृथक करने की बात हो रही हो आगे चलकर संघ बोले कि कई साल से सुपोषण अभियान और वजन त्यौहार चल रहा है लेकिन कुपोषण तो दूर नही ंहो रहा इसकी जिम्मेदारी हम पर क्यों इसलिए वजन त्यौहार से हमें अलग कर दिया जाए ? फिर धीरे धीरे बाकी योजनाओं के नाम भी ऐसा ही हो तो क्या हो ।
हमने इस बारे में संघ की प्रांताध्यक्ष रंजना ठाकुर से बात की तो उन्होंने जो कहा वो ज्ञापन से कुछ अलग ही था उनका कहना था – हम काम नहीं करेंगे ये नही बोल रहे लेकिन रेडी टु इट में लगे समूहों और कार्यकर्ताओं पर हम कितना ध्यान दे पाएंगे । यदि समूह रेडी टू इट में गड़बड़ी करता है तो हम उसकी चैेबीस घंटे निगरानी तो नहीं कर सकते ना । हम एक बार देख सकते हैं उसे बता सकते है इतनी मात्रा में अनाज मिलाना है फिर उसके बाद वो क्या करता है कैसे देखेंगे । कार्यकर्ता कहां कहां पैकेट वितरण कर रही हैं कि नही ंकर रही है ये कैसे हम देख सकते हैं हमारे पास बीस से तीस केन्द्र होते हैं । फिर अधिकारी लोग कार्यकर्ता और समूह वालों की बात ज्यादा सुनते हैं । जबकि हमारी मांग ये है कि हमारा पक्ष भी सुना जाए ।

बात सहीं है यदि शिकायत आती है तो उच्च अधिकारियों को सभी पक्षों की बात सुननी चाहिए और उसके बाद दोषी पर कार्यवाही की जानी चाहिए । लेकिन इन सबके बीच इतना तो तय है कि रेडी टू ईट ने विभाग के कई खर्चे उठा रखे हैं और समूह विभाग के दुधारू गाय हैं और सभी के हिस्से में इस दूध का कुछ भाग तो आता ही है ।

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