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बिलासपुर सांसद के शव वाहन देने का आश्वासन भी निकला जुमला । एक साल से फाईल ठंडे बस्ते में ।

एक साल पहले सांसद अरूण साव ने कोटा नगर पंचायत को शव वाहन देने की बात कही थी ।

 

दबंग न्यूज लाईव
शनिवार 26.03.22

संजीव शुक्ला

करगीरोड कोटा – प्रदेश में स्वास्थ्य की स्थिति कैसी है ये किसी से छुपी नहीं है । दो दिन पहले ही स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र में एक मजबूर बाप को अपनी बेटी के शव को गोद में उठाकर ले जाते देखना कितना कष्टप्रद होगा समझा जा सकता है । जिसने भी इस मजबूर बाप का वीडियो देखा और खबर पढ़ी होगी उसकी आंख नम हो गई होगी कि आखिर हमारी सरकारें स्वास्थ्य के क्षेत्र में कर क्या रही हैं ।

      March 2021 , Dabang News Live

सरकार चाहे किसी की भी हो और सत्ता में कोई भी हो  इनकी जुमलेबाजी कभी खतम ही नहीं होती । भाषण और कागज में ये ऐसी ऐसी बातें बोलते हैं कि लगता है कि इनसे ज्यादा समाज की सुध लेने वाला कोई नहीं होगा । सरगुजा से आई इस खबर ने हमारा ध्यान उस तरफ मोड़ दिया जिसमें बिलासपुर सांसद अरूण साव ने कोटा नगर पंचायत को एक शव वाहन देने का वादा किया था । दबंग न्यूज लाईव ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करते हुए सांसद का आभार माना था ।


ये बात है 27 अप्रेल 2021 कि जब सांसद महोदय ने बिलासपुर कलेक्टर को एक पत्र लिख कर सांसद निधी से 8 लाख रूपए से नगर पंचायत कोटा के लिए एक शव वाहन क्रय करने की बात कही थी । लेकिन एक साल हो गए ना शव वाहन नगर पंचायत कोटा पहुंचा , ना नगर पंचायत अध्यक्ष ने इस तरफ ध्यान दिया ना सांसद महोदय और ना ही कलेक्टर महोदय ने । इन जिम्मेदारों का हाल ये है कि इस एक साल में इन्होंने शायद ही एक बार भी इस विषय पर कोई संज्ञान लिया हो ।

 

इतनी उदासिनता यही दर्शाती है कि जिम्मेदारों को ऐसी खबरों से कोई फर्क नहीं पड़ता । आज ये कष्ट सरगुजा के उस गरीब मजबूर बाप को उठाना पड़ा कल कोटा क्षेत्र का कोई और गरीब बाप भाई ऐसे ही अपने कांधे पर अपने परिवार के किसी को कांधे पर उठाए दिख जाएगा और हम सिर्फ उसकी खबर बना कर चूप हो जाएंगे ।

हम बिलासपुर सांसद को उनके ही उस पत्र की याद दिला रहे हैं जो उन्होंने सत्ताईस अप्रेल को कलेक्टर को लिखा था । हम सांसद महोदय से अनुरोध करते हैं कि वो अपने इस पत्र पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर बिलासपुर से पूछे कि आखिर एक साल पहले लिखे उनके पत्र का क्या हुआ ? क्या शव वाहन कोटा नगर पंचायत पहुंच गया ? और नहीं पहुंचा तो आखिर कारण क्या है ?

इस संबंध में जब और जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि शव वाहन के लिए जो राशि दी गई थी वो कम थी और गाड़ी लेने में एक से डेढ लाख रूपए अधिक लग रहा है जिसके लिए हाल ही में एक इस्टीमटे फिर से दिया गया है । याने एक साल तक आंख मुंदने के बाद अभी इस्टीमेट रिवाईज हो रहा है अब इस इस्टीमेट में भी कब तक गाड़ी आ पाएगी पता नहीं । या हो सकता है फिर से गाड़ी का रेट बढ़ जाए तो फिर से नया इस्टीमेट बनाना पड जाए ।

नगर पंचायत अध्यक्ष के प्रतिनिधि प्रदीप कौशिक से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था – सांसद महोदय ने शव वाहन के लिए अपनी नीधि में से राशी दी थी लेकिन अभी तक ये वाहन नगर पंचायत में नहीं आया । शायद कोई तकनीकि दिक्कत के कारण ये वाहन नहीं आ पाया है ।

 

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