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गरीबों को घरों से निकालने की गृह निर्माण मण्डल की साजिश , ूमण्डल कर रहा प्रायवेट कालोनाईजर के समान व्यवहार ।

पहले दिखाएं ख्वाब अब आशियाना छिनने की तैयारी ।
किसी भी वादे पर खरा नहीं उतरा गृह निर्माण मण्डल ।

दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 15.01.2021

 

बिलासपुर – गृह निर्माण मण्डल बिलासपुर ने पहले तो गरीबों को उनकी छत का ख्वाब दिखाया लेकिन अब उनका आशियाना छिनने में लगा है । कोटा में भी गृह निर्माण मण्डल ने गरीबों के लिए आवास बनवाए मजे की बात ये है कि अभी भी आवास पूरे नहीं हुए है । गृह निर्माण मण्डल ने आज से दस साल पहले जब यहां मकान बनवाना शुरू किया तो गरीबों को कई हसीन ख्वाब दिखाए। उस समय आवास की लागत एक लाख रूपए थी जो बाद में बढ़ते बढ़ते दो लाख के लगभग पहुंच गई ।

गृह निर्माण मण्डल ने उस समय गरीबों को भरोषा दिलाया कि उन्हें बैंक से लोन दिलवाया जाएगा और पंद्रह सालों में ये लोन उन्हें वापस करना होगा । गरीब खुश था कि इस योजना से उन्हें एक छत नसीब हो जाएगी । लेकिन गृह निर्माण मण्डल ने बैंक से लोन दिलवाना तो दुर जिन लोगों को पजेशन दिया वो भी आधा अधुरा ही था चार साल पहले मण्डल ने कई लोगों को लाॅटरी सिस्टम से चयन करके आवास दिया लेकिन पहले दो साल तक आवास की कितनी राशि जमा करनी है कैसे करनी है इसकी कोई जानकारी हितग्राहियों को विभाग ने नहीं दिया ।


लेकिन अब दो साल बाद विभाग अचानक से हितग्राहियों को नोटिस पर नोटिस दे रहा है कि पिछले दो से तीन साल की पूरी किश्त एक मुश्त ब्याज के साथ जमा करो वर्ना मकान खाली करो । गृह निर्माण मण्डल के इस रवैये से हितग्राही परेशान हैं तथा कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं । गृह निर्माण मण्डल की इस कार्यवाही के पीछे साफ तौर इन मकानों को गरीबों से खाली करवाकर दुसरों को उंचे किमत में बेचने की साजिश नजर आ रही हैं । जब मकान पंद्रह साल की किश्त में गरीबों को दिया गया है तो फिर विभाग कैसे उनसे दो से तीन साल में ही खाली करवा रहा है या एक मुश्त पैसे की मांग कर रहा है । विभाग में बैठे अधिकारी गरीबों के साथ इस कोरोना काल में घिनौना मजाक करने से बाज नहीं आ रहे हैं तथा कई लोगों को उनके आवास से बेदखल किया जा रहा है ।


जबकि विभाग को चाहिए कि वो मासिक किश्त पर ही अपनी राशी वसूले तथा गरीब जिस सुविधा से पैसे जमा कराना चाहे उसे उसकी छुट दे तभी शासन की इस योजना का लाभ गरीबों को मिल सकेगा ।हमने इस संबंध में विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से बात करनी चाही लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई ।

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