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कोटा विकाखंड में दो ऐसे बैल हैं जो दिन में देते हैं एक हजार किलो गोबर । चोैंक गए ? पढ़िए पूरी खबर ।

गोबर खरीदी में ऐसा घोटाला जो शायद कहीं ना हुआ हो ।

खैरा पंचायत में गौठान समिति के अध्यक्ष के दो बैलों ने दिया एक हफते में 12800 का गोबर यानी 6400 किलो।

दबंग न्यूज लाईव
मंगलवार 24.11.2020

 

करगीरोड कोटा – कोटा विकासखंड के खैरा ग्राम पंचायत में ऐसे दो बैल हैं जिन्होंने अपने गोबर से अपने मालिक को रातों रात नोटों से तौल दिया और एक हफते में छह हजार चार सौ किलो गोबर दे दिया जिससे इन बैलों के मालिक ने एक हफते में 12800 रू कमा लिए ।


इन बैलों ने 29.09.2020 से 05.10.2020 के बीच छह हजार चार सौ किलो गोबर दिया जिससे इसके मालिक को दो रूपए के हिसाब से बारह हजार आठ सौ रू की आवक हुई । अब आप पूछेंगे ऐसे होनहार बैल कहां हैं । तो बता ही देते हैं ये बैल हैं कोटा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले खैैरा ग्राम पंचायत के और ये बैल हैं ग्राम पंचायत के गौठान समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार साहू के ।


जानकारी के मुताबिक इनके यहां सिर्फ दो ही बैल हैं और इन्होंने एक ही हफते में छह हजार किलो से अधिक का गोबर बेच दिया है । नियम के अनुसार एक जानवर से अधिकतम पांच किलो गोबर खरीदा जा सकता हैं ऐसे में इनके यहां दो सौ से अधिक जानवर होने चाहिए । जबकि जो जानकारी प्राप्त हुई है उसके अनुसार इनके यहां मात्र दो ही बैल हैं । और ये पिछले कई हफते से अपने मालिक को ऐसे ही गोबर से मालामाल कर रहे हैं ।


दबंग न्यूज लाईव को सितम्बर माह का जो रिकार्ड प्राप्त हुआ है उसके अनुसार 29 सितम्बर से 05 अक्टूबर के बीच खैरा ग्राम पंचायत की गौठान समिति ने जो गोबर खरीदा है उसके अनुसार यहां के गौठान समिति के अध्यक्ष ने छह हजार किलो से ज्यादा गोबर बेचा है जिसकी किमत बारह हजार से भी ज्यादा है ।


हो सकता है इस प्रकार के जानवर छत्तीसगढ़ के और गांवों में भी हो । यदि ईमानदारी से गौठान समिति में बिकने वाले गोबर और जानवरों की जांच पड़ताल हो जाए तो ऐसे कई जानवर मिल जाएंगे जो हर दिन क्विंटल के हिसाब में अपने मालिक के लिए गोबर कर रहे हैं । 


हमने इस गांव में गौवंशीय जानवरों की जानकारी ली तो पता चला कि इस गांव में गौवंशीय जानवरों की संख्या ही 557 हेै जबकि भैंस वंशीय जानवरों की संख्या मात्र 47 ही है ।

खेैरा के सरपंच जगन्नाथ आर्मो से बात की गई तो उनका कहना था – कृष्ण कुमार साहू के पास पांच ही जानवर है लेकिन उन्होंने आस पास के लोगों से गोबर खरीदा है और बेचा है क्योंकि बाकी लोगों का बैंक एकाउंट नहीं है इसलिए पूरा गोबर उन्होंने अपने नाम से खरीदा है । अब ऐसा हो सकता है या नहीं इसकी जानकारी मुझे नहीं है ।

ग्राम पंचायत के सचिव का कहना था – उस समय गोबर खरीदने का काफी दबाव था । लोग गोबर नहीं बेच रहे थे और किसी का अकाउंट भी नहीं खुला था इसलिए अध्यक्ष ने सबसे गोबर खरीद कर अपने नाम से बेच दिया बाकी ऐसा कुछ नहीं है सब ठीक है ।

सरकार और उसके जिम्मेदार अधिकारियों को देखना चाहिए कि गोबर खरीदी की आड़ में गौठान समिति किस प्रकार से गोबर खरीदी कर रही है । शासन के बनाए नियमों के दिगर गौठान समिति ने अपने ही नियम बना लिए हैं और शासन को चूना लगाने का काम किया जा रहा है ।

 

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