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पाटेश्वर धाम के अनुयायियों ने मदिरा दुकान खोले जाने का किया विरोध I

सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा I

दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 06.05.2020

कवर्धा – छत्तीसगढ़ पाटेश्वर धाम के आह्वान पर उनके अनुयायियों के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से कोरोना संक्रमण काल लाकडाऊन के दौरान शराब दुकान खोले जाने पर आपत्ति जताई गई है मौजूदा कोरोना संक्रमणकाल में शराब दुकानें 40 दिनों तक बंद रहीं। शराब को लेकर कहीं से भी इस तरह की कोई खबर नहीं मिली कि लोग इसके सेवन के बिना रह नहीं पा रहे हों। फिर 40 दिन के लॉक डाउन के बाद एकाएक शराब दुकानों को खोलने का निर्णय किस लिहाज से व्यावहारिक कहा जा सकता है।

 

केन्द्र सरकार ने लॉकडाउन के तीसरे चरण की शुरुआत के लिए जो गाइडलाइन बनाई थी, उनमें शराब दुकानों को खोलने न खोलने का जिम्मा राज्यों के ऊपर छोड़ा था। पंजाब की कैप्टन अमिरिंदर सिंह सरकार ने राज्य में शराब दुकानों को खोलने की मांग केन्द्र सरकार से की थी, इसके लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य को हो रहे 6 हजार करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का हवाला दिया था। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से ऐसी कोई मांग केन्द्र से नहीं की गई थी, फिर किस दबाव और किस वजह से प्रदेश में भूपेश सरकार ने शराब दुकानों को खोलने का निर्णय किया।

40 दिनों तक शराब दुकानों बंद रहने के बाद पूर्ण शराबबंदी किये जाने की घोषणा कांग्रेस सरकार के लिए सामाजित तौर पर तुरुप का पत्ता साबित हो सकती थी। लेकिन 4 मई को शराब दुकानों पर जिस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग और धारा 144 की धज्जियां उड़ी, उसके बाद कोरोना संक्रमणकाल में शराब दुकानों को खोलने और उसके बाद शराब की होम डिलीवरी करने का निर्णय राज्य सरकार पर भारी पड़ सकता है। पाटेश्वर धाम के पीठाधीश्वर रामबालक दास ने इस पर कड़ी निन्दा करते हुए कहा कि पाटेश्वर धाम सिर्फ सत्संग ही नहीं करती है छत्तीसगढ़ महतारी के ऊपर दाग लगाने वाले को रास्ते पर लाने का काम भी करती है इस तरह बता दिया इन लोगों ने कि भले ही आज छत्तीसगढ़ में स्कूल बंद हो जाएगा, दुकानें बंद हो जायेगी, मंदिर मस्जिद बंद हो जायेगा परंतु शराब बंद नहीं हो सकता। छत्तीसगढ़िया शराब के बिना नहीं रह सकते पूरे देश में छत्तीसगढ़ की ऐसी छवि बनाने वालों के खिलाफ आवश्यकता पड़ी तो हम सड़क पर उतर सकते हैं।

ग्राम पोलमी पाटेश्वर धाम के सदस्य संतोष श्रीवास ने दोहा के माध्यम से बताया कि अवगुण कहूं शराब का,आपा अहमक खोए, मानुष से पशुता करें, द्रव्य गांठ से खोये। अर्थात सरकार की मंशा लोगों को शराब का आदी बनाकर सत्ता में बने रहना है।

शराब के आदि हो चुके व्यक्ति धीरे धीरे शराब छोड़ने की स्थिति में आ चुके थे परंतु फिर से खुलने पर अब वही लोग घर के ही चांवल दाल को बेचकर शराब खरीद रहे हैं परन्तु पाटेश्वर धाम छत्तीसगढ़ के द्वारा इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया है।

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