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पैदल लौटे 14 प्रवासी श्रमिकों आधी रात में ग्रामिणों ने लाठी डंडे दिखाकर जंगल के रास्ते भगाया ।

जनपद सदस्य विद्यासागर बने इनका सहारा
प्रशासन को घटना की जानकारी तक नही ।

दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 10.06.2020

 

बेलगहना-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसद क्षेत्र बनारस से लाखों मुसीबत झेलकर छोटे-छोटे बच्चों सहित सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर जब ये प्रवासी मजदूर अपने ग्राम पंचायत की सीमा में दाखिल हुए तो उनके साथ जो हुआ उससे मानवता शर्मसार हो गयी ।

 

रात में ही ये ग्राम पंचायत उमरिया के आश्रित ग्राम चूनाखोदरा के प्राइमरी स्कूल में स्थानीय जनपद सदस्य विद्यासागर द्वारा काफी प्रयास के बाद इनके रात्रि में रूकने की व्यवस्था की गयी थी वहां के ग्रामीणों द्वारा रात में ही इन्हे लाठी डण्डे के जोर पर जंगल के रास्ते अपने गांव जाने के लिए मजबूर किया गया और ये सभी श्रमिक रात में ही घने जंगल के रास्ते पहाड़ चढ़कर अपने गा्रम पंचायत उमरिया पंहुचे।


जनपद सदस्य विद्यासागर ने बताया कि जब उन्हे इन श्रमिकों के पैदल पहुंचने की जानकारी मिली तो इन्होने उमरिया संरपंच सचिव से बात की तो इन्हे पता चला कि उमरिया स्कूल में पहले ही 6 लोग रखे गये है इसलिए इनकी व्यवस्था पहाड़ के नीचे उमरिया पंचायत के आश्रित ग्राम चूनाखोदरा के स्कूल में करनी पड़ेगी जिसपर उन्होने लूफा उपसरपंच नागेन्द्र पाण्डेय के सहयोग से प्रवासी श्रमिकों असडू राम बैगा,बुध सिंह बैगा,संतोष राम सौंता,संतू राम सौंता को इनके परिवार सहित प्रधान पाठक नरेन्द्र यादव से उक्त स्कूल खुलवाकर रात में ही रूकने का प्रबंध करवाया I

परन्तु उनके वापस लौटने के कुछ देर के बाद ही ग्रामीणों द्वारा उन्हे भगा दिया और साथ ही ये हिदायत भी दी की वे गांव से होकर न जाए बल्कि जंगल के रास्ते जाएं । जिस पर ये सभी श्रमिक अपने परिवार सहित जंगल के रास्ते वहां पहुंचे और अभी तक इनका कोई ठौर ठिकाना नही है ।

फाईल फोटो

 उल्लेखनीय है कि जो पहले से उमरिया स्कूल में नाममात्र के लिए क्वारिनटीन किये गये हैं उनकी अभी तक कोरोना जांच के लिए कोई सैंपल भी नही लिया गया है । अब हम प्रशासनिक गतिविधियों की तरफ देखें तो अभी तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी को इस घटना की जानकारी तक नही है कुछ करना धरना तो बाद की बात है ।

फाईल फोटो

मामला और अधिक चिंतनीय इसलिए हो जाता है जब इसके तार सीधे प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से जुड़ा हो । लापरवाही पराकाष्ठा तभी समझ आती है जब बनारस में रह रहे छत्तीसगढ़ के प्रवासी श्रमिकों की जानकारी प्रशासन के पास नही है और वे पैदल 800 किमी दूर घर तक आने को विवश हैं और उत्तरप्रदेश के बनारस जैसे कोरोना संवेंदनशील क्षेत्र से आने के बाद भी उनकी अभीतक जांच नही की गयी है ।

लूफा जनपद सदस्य विद्यासागर ओरकेरा – मै अधिकारियों की बदइंतजामी और उपेक्षा से दुखी हूं अपने स्तर पर जो कर पा रहा हूं अपने लोगों के लिए कर रहा हूं । अधिकारीयों से अपील है कि मेरे क्षेत्र की अधिकांश जनता बैगा एवं अन्य जनजातियों के हैं इनकी हर तरह से मदद होनी चाहिए। कोरोना काल में प्रशासन इस क्षेत्र की ओर बिलकुल ध्यान नही दे रहा इसका मुझे असंतोष है ।

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