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यहां जिंदों की पुछ परख नहीं साहब मरने के बाद कौन पूछेगा ।

हम भले 21वीं सदी और विश्वगुरू बनने का ढोल पिटे लेकिन एक शव को भी सम्मान नहीं दे सकते ।

जिले में एक शव वाहन तो है लेकिन वो खुद मरा हुआ है ।

 

दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 27.05.2020

 

गौपेम – हम भले 21 वीं सदी में विश्व गुरू बनने का ढोल पिटें , हम भले अमेरिका और रूश से एक साथ दोस्ती को अपनी जीत समझें , हम भले लाखों करोड़ के बजट की बात करें लेकिन जमीन हकीकत इतनी कड़वी है कि आप उसे निगल नहीं पाएगें और देश प्रदेश के कर्णधार तो और भी नहीं । यहां जिंदो को कोई नहीं पूछता मरने के बाद क्या खाक उनकी सुनी जाएगी ।

प्रदेश के गौरेला पेण्ड्रा और मरवाही जिला नाम इतना बड़ा है कि लिखते भी हाथ दर्द कर दे और बोलते मुंह । लेकिन जितना बड़ा इस जिले का नाम है यहां की स्वास्थ्य सुविधाएं उतनी ही छोटी है । जिले में मानवता को शर्मसार करने वाली खबर ये है कि इस जिले में मात्र एक शव वाहन है और वो भी शव से कम नहीं है क्योंकि इसकी सेवाएं जरूरतमंदों को मिलती ही नहीं और ऐसे में लोग अपने परिजनों की लाश को बांध के आटो या अन्य वाहन में ले जाने का मजबूर हैं ।

हम बात कर रहे है गौरेला थाना अंतर्गत ग्राम मंदरवानी की । यहां के एक युवक बैसाखू यादव ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था हालांकि उसके मृत्यु का कारण अज्ञात है । आत्महत्या के बाद पुलिस आई अपनी कार्यवाही की और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया पुलिस की डयूटी खतम अब अस्पताल वालों ने शव का पोस्टर्माटम किया और उनकी डयूटी भी खतम । अब परिवार वाले समझें अपने परिजन का शव वो कैसे अपने गांव ले जाएं । इस केस में भी यही हुआ सभी ने अपनी डयूटी निभा दी । परिजनों ने शव वाहन के लिए कहा तो उसकी व्यवस्था नहीं हो पाए ऐसे में परिवार वालों ने एक आटो किराया और आटो के फर्श पर शव को बांध कर अपने गांव ले गए । ऐसी तस्वीरें सरकारी सिस्टम पर सवाल उठाती है कि आखिर कब तक गरीब परिजनों को ऐसी दशा देखनी पड़ेगी !

मृत शव को इस तरह बांध कर लाना लेजाना निहायत ही शर्मनाक घटना है । जिम्मेदारों को इस पर संज्ञान लेना चाहिए कि इंसान जीते जी तो सम्मान नहीं पा रहा कम से कम मरने के बाद सम्मान पूर्वक उसकी अंत्येष्टी तो हो सके ।

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