वनविकास ने तोड़ दिए नदी किनारे की झोपड़ियां ।
कभी सागौन तस्कर और बड़े कब्जाधारियों पर भी कार्यवाही कर ले विभाग तो मानें ।
दबंग न्यूज लाईव
गुरूवार 16.04.2020
करगीरोड कोटा – वन विकास निगम की एक टीम आज पोड़ी की तरफ सर्चिंग पर गई थी उन्हें जानकारी मिली थी कि यहां अवैध ईट भट्ठे लगे हैं और जंगल से बड़ी मात्रा में लकड़ियां काटी गई हैं । जिसमें रेंजर अभिनंदन गोस्वामी भी थे । वन विकास निगम की टीम वहां पहुंची लेकिर्न इंट भटठे और अवैध लकड़ियों पर कार्यवाही नही की ।
वन विकास की टीम नदी किनारे पहुंची जहां पोड़ी के ही कुछ लोग नदी किनारे झोपड़ी बनाकर जीवन यापन करते हैं और नदी के तट पर सब्जीयों का उत्पादन करते हैं । इसी जगह भारी मात्रा में लकउ़ी और इंट भट्ठा लगा हुआ है । लेकिन वन विकास की टीम अवैध इंट भटठे और लकड़ीयों को छोड़कर गरीब परिवार के झोपड़ों पर टुट पड़ती है । और झोपड़े सहीत उनके सामान , बिस्तर और खानों को फेक देती है ।
पीड़ित परिवार ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि वन विकास की टीम आई थी लेकिन अवैध लकड़ी और इंट पर कार्यवाही नहीं करती उनकी नजर झोपड़ी बना कर अपना जीवन यापन कर रहे गरीब लोगों पर पड़ती है । और फिर क्या था खाकी वर्दी का रंग ऐसा चढ़ा रेंजर साहब पर कि सारी झोपड़िया नेस्तानाबूत कर दी गई । महिलाओं को घसीटा गया , बच्चों को हटाया गया और झोपड़ी की पन्नी से लेकर टाटपट्टी तक उजाड़ दिए गए । पीड़ित परिवार ने वन विकास की टीम पर अवैध इंट भट्टे और लकड़ी पर कार्यवाही नहीं करने को लेकर आरोप लगाया कि लंबी रकम में सांठ गांठ करके उन्हे छोड़ दिया गया है और हमारी झोपड़ियां तोड़ दी गई फसल बर्बाद कर दिया गया ।
माना कि ये परिवार भी अवैध कब्जा करके रह रहा हो लेकिन वन विकास के अधिकारी इतने ही ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ हैं तो फिर लाखों की लकड़ी तस्करी रोक लेते । वन विकास की सैकड़ों एकड़ जमीन पर रसूखदारों द्वारा कब्जे हटवा दिए होते । लेकिन ये ऐसी जगह कार्यवाही नहीं करते है । इनकी नजर पड़ती है गरीब लोगों । माना कि वन विकास अपने नियमों के तहत कार्यवाही करेगा लेकिन क्या ये उपयुक्त समय था ? झोपड़ीयां तोड़कर महिला बच्चों को बेघर करने का ? अधिकारी उन्हें लाॅकडाउन हटने तक का समय दे सकते थे उसके बाद भी नहीं हटते तो ये कार्यवाही की जा सकती थी ।
पीड़ित परिवार के एक सदस्य ने बताया कि – साहब लोग आए और सीधे गाली बकते हुए झोपड़ीया तोड़ने लगे । उनके साथ चार महिला कर्मचारी भी थी जो महिलाओं को घसीट कर हटाने लगी । बच्चों को धकेल दिया गया तथा खाना बिस्तर बर्तन सब फेक दिए ।पीड़ित व्यक्ति ने रोते हुए कहा कि तीन माह की बच्ची सुबह से धूप में है तेल लेने को हमारे पास पैसा नहीं है । साहब लोग हमसे भी पैसा मंागे हम कहां से देते । इसलिए पूरी झोपड़ी तोड़ दिए ।
हमने इस पूरे मामले की जानकारी के लिए अभिनंदन गोस्वामी से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने काल रिसिव नहीं किया ।
ये वही रेंजर साहब है जो कुछ दिन पहले जप्त एक ट्रेक्टर से अपने विभाग में परिवहन का काम करवा रहे थे । ये वही रेंजर है जिन्होंने कुछ माह पहले खबर प्रकाशन को लेकर एक पत्रकार से अभद्रता की थी । ये वही रेंजर साहब हैं जो शहर मे रेत पकड़ते घुमते हैं । काश साहब ने गरीबों की झोपड़ी तोड़ते हुए मानवता का परिचय दिया होता । हम नहीं कहते कि अवेैध कब्जे वालों को हटाना नहीं चाहिए लेकिन कम से कम कार्यवाही तरीके से हो इसका ख्याल रखना चाहिए ।