एक महिला ने दो अलग अलग उपनाम से फार्म भरा ।
2020 में बने सरपंच ने 2018 में बने प्रमाण पत्र पर अपने हस्ताक्षर कर प्रमाण पत्र जारी किया ।
दबंग न्यूज लाईव
Monday 31-01-2022
करगीरोड – कोटा विकासखंड में अलग अलग गांव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के लिए रिक्त पदों पर भर्ती के लिए पद निकाले गए थे । जिसमें कई लोगों ने आवेदन पत्र प्रस्तुत किए थे और कुछ दिन पहले ही विभाग ने इन पदो के लिए आए आवेदनों में मेरीट के अनुसार लिस्ट जारी करते हुए दावा आपत्ति मांगा था ।
लेकिन दावा आपत्ति के बाद इस तरह का एक फर्जी वाड़ा सामने आ जाएगा किसी ने सोचा भी नहीं था । ये मामला फर्जीवाड़े की जड़ों को बताने के लिए काफी है कि शासन की योजना और अपने लाभ के लिए लोग कैसे केैसे प्रमाण पत्र कैसे कैसे बनवा लेते हैं और हद तो ये हो जाती है कि ऐसे प्रमाण पत्र वो जारी कर देता है जो उस टाईम पीरियड में उस पद पर ही नहीं होता ।
विभाग द्वारा जारी लिस्ट के बाद सेमरिया की एक आवेदिका ने दावा आपत्ति करते हुए बताया है कि कोटा परियोजना के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत सेमरिया में आंगनबाड़ी क्रमांक एक और क्रमांक दो के रिक्त पदों पर भर्ती होनी थी । इसके लिए सविता बर्मन ,हेमलता खांडेकर ,हेमलता बर्मन और प्रिया पोर्ते ने भी अपना आवेदन जमा किया था । विभाग द्वारा जारी लिस्ट में आंगनबाड़ी क्रमांक 01 में हेमलता खाण्डेकर का और केन्द्र दो में हेमलता बर्मन का चयन हुआ है जबकि दोनों एक ही महिला हैं ।
दावा आपत्ति करने वाली आवेदिका ने यह भी आरोप लगाया कि हेमलता ने अपने आवेदन के साथ परित्यक्ता जो प्रमाण पत्र जिसे पंचायत द्वारा जारी किया गया है वो भी फर्जी है । शिकायतकर्ता का कहना है कि प्रमाण पत्र 2018 में जारी किया था और प्रमाण पत्र में जिस सरपंच के हस्ताक्षर हैं वो 2018 में नहीं 2020 में सरपंच बनी है ।
हेमलता खांडेकर के परित्यक्ता प्रमाण पत्र पर जारी तारीख 2018 है । इस समय पंचायत में भरत लाल जगत सरपंच थे जबकि प्रमाण पत्र में 2020 में सरपंच कुंवरिया बाई जगत के हस्ताक्षर हैं । अब सवाल ये उठता है कि जब कंुवरिया बाई 2020 में सरपंच बनीं तो 2018 में उनके हस्ताक्षर प्रमाणपत्र पर कैसे आ गए ।
दावा आपत्ति करने वाली सविता बर्मन ने बताया कि फर्जी परित्यक्ता का प्रमाण पत्र बनाया गया है यहां तक कि शादी के बाद हेमलता बर्मन हेमलता खांडेकर हो गई और उन्होंने दोनों उपनाम से आवेदन जमा कर दिया जिसके बाद दोनों केन्द्र में कार्यकर्ता के लिए उनका नाम पहले स्थान में आ गया । जबकि वो दोनों नाम से अपने मायके और ससुराल दोनों जगह शासन की योजनाओं का लाभ ले रही हैं ।
इस संबंध में ग्राम पंचायत के सरपंच पति का कहना था -अब बना तो दिए हैं क्या करें । अब जो करना है शासन प्रशासन करें ।
सरपंच पति के इस बयान से इतना तो समझ आ रहा है कि फर्जी काम करने के बाद भी इन्हें अपने गलत किए काम पर किसी प्रकार का डर नहीं है और ये इतने बड़े फर्जी काम को बड़ी आसानी से एकदम सामान्य बात मान लेते हैं ।
यदि चयनित आवेदिका का आवेदन निरस्त होता है तो फिर सरपंच पर भी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए जिसने फर्जी परित्यक्ता का प्रमाण पत्र जारी किया है ।