छत्तीसगढ़ राज्यकरगी रोडकोरबापेंड्रा रोडबिलासपुरभारतमरवाहीरायपुर

ATR – अधिकारियों की लापरवाही से गई चीतल की जान ।

जानकारी के बाद लेट लतीफी इतनी कि कानन पहुंचने में लग गए ढाई से तीन घंटे ।

दबंग न्यूज लाईव
रविवार 02.07.2023

करगीरोड कोटा – कल रात लगभग पौने ग्यारह बजे एटीआर के बफर जोन शिवतराई में एटीआर के रिसार्ट से पचास मीटर की दूरी पर गांव के कुछ आवारा कुत्तों के हत्थे एक व्यस्क नर चीतल लग गया फिर क्या था कुत्तों ने उसे बुरी तरह से घायल कर दिया । गांव के कुछ युवकों ने कुत्तों से चीतल को बचाया और एटीआर के अधिकारियों को इस बात की जानकारी देने का प्रयास किया । जब एटीआर के अधिकारियों से उनका संम्पर्क नहीं हुआ तो उन्होंने ये जानकारी दबंग न्यूज लाईव तक पहुंचाई ।


हमने इस संबंध में एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर विष्णु राज नायर को दो बार काल किया लेकिन उन्होंने कॉल रिसिव नहीं किया इसके बाद शिवतराई के रेंजर अजय शर्मा को कॉल किया गया लेकिन उनका मोबाईल भी बंद था इसके बाद एसडीओ संजय लुथर से बात हुई ।


लेकिन इस गंभीर घटना की जानकारी होने के बाद भी एटीआर का स्टाफ चंद कदम दूर पहुंचने में एक से डेढ घंटे लगा देता है इस बीच घायल चीतल का खून लगातार बहते रहता है । एटीआर के रिसार्ट में विभाग की कई गाड़िया खड़े रहती है लेकिन उनके ड्राईवर नहीं रहते बाद में एक गाड़ी को लाया जाता है और गांव के ही एक युवक राजेंद्र त्रिपाठी उसे चलाते हुए कानन पेंडारी ले के जाते हैं ।


इस सब प्रक्रिया और कानन पहुंचने में लगभग ढाई से तीन घंटे का समय लग जाता है कानन में उसका ईलाज शुरू होता उसके पहले ही चीतल की मौत हो जाती है । बाद में कानन प्रबंधन उसका पीएम करवाकर अंतिम संस्कार कर देता है । इस प्रकार एक चीतल की मौत एटीआर के लापरवाह और असंवेदनशील अधिकारियों के चलते हो जाती है ।


एटीआर के एसडीओ संजय लूथर से जब इस बारे में पुष्टि चाही गई तो उनका गैर जिम्मेदाराना बयाना था – “हमने चीतल को कानन पेण्डारी तक पहुंचा दिया अब उसके बाद वहां के लोगों की जिम्मेदारी है । आप लोगों को क्या लगता है हम लोग संवेदनशील नहीं है मेरी बात कानन पेण्डारी में नहीं हुई है इसलिए मैं नहीं बता सकता क्या हाल है आप कानन में एसडीओ या रेंजर से बात कर लें । ।”


अब यदि ये साहब इतने ही संवेदनशील होते तो जानकारी के बाद तत्काल गाड़ी स्टाफ की व्यवस्था कर देते और खुद घटनास्थल पर पहुंच जाते लेकिन एटीआर के सभी अधिकारी लापरवाही की सीमा लांघ जाते हैं ।

कानन पेण्डारी में आज सुबह घायल चीतल की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया और सभी जिम्मेदारों ने बड़े बड़े कारण गिना कर इसकी मौत की बात कहते हुए अपनी जिम्मदारियों से पल्ला झाड़ लिया ।


चीतल का जीना या मरना यदि उसके भाग्य का मान भी लें तो सवाल ये उठता है कि एटीआर में पदस्थ बड़े बड़े अधिकारी जिन पर वन्य जीवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है वो इनके लिए कितने संवेदनशील और जिम्मेदार हैं । यदि जानकारी के बाद भी पचास मीटर दूर पहुंचने में एटीआर प्रबंधन को डेढ घंटे लग जाए और पहंुचने के बाद भी वन्य जीवों के तत्काल उपचार की सुविधा उपलब्ध न करवा पाए तो फिर ऐसे प्रबंधन , ऐसे अधिकारियों को क्या कहा जाए । ग्यारह बजे की घटना के बाद शिवतराई से कानन पहुंचने में ढाई से तीन घंटे लग जाएं तो फिर किसी वन्य जीव के बचने की संभावना कैसे हो सकती है ।

 

Related Articles

Back to top button