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ATR – अचानकमार टाईगर रिजर्व में अब टाईगर संरक्षण के लिए दान लिया जाएगा ।

अचानकमार टाईगर रिजर्व पहले वन्य प्राणियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सिद्ध करें फिर लोगों से दान मांगे तो ज्यादा बेहतर ।

दबंग न्यूज लाईव
 03.02.2022

Sanjeev Shukla

बिलासपुर – छत्तीसगढ़ में वाईल्ड लाईफ का यदि मजा लेना हो तो सबसे बेहतर जगह अचानकमार टाईगर रिजर्व होना चाहिए । …अचानकमार को पहले बायोस्फीयर और फिर टाईगर रिजर्व घोषित किया गया । आज से दस पंद्रह साल पहले जितने वन्य प्राणी यहां थे अब उनकी संख्या कम हो रही है और लगातार कम हो रही है । इसका सबसे बड़ा कारण अचानकमार टाईगर रिजर्व को लेकर अधिकारियों की उदासिनता ,वन्य जीवों के संरक्षण और सुरक्षा के बेहतर उपाय न होना और लगातार वन्य प्राणियों के शिकार होने के साथ ही यहां आए फंड का दुरूपयोग है ।


अचानकमार टाईगर रिजर्व सतपुड़ा के जंगलों के बीच मैकल पर्वतों की श्रेणी में लगभग 553.286 वर्ग किमी में फैला हुआ घना वनक्षेत्र है । वाईल्ड लाईफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत 1975 में इस अभ्यारण्य की स्थापना की गई थी , 2007 में इसे बायोस्फियर घोषित किया गया और यहां बाघों की संख्या को देखते हुए 2009 में इसे टाईगर रिजर्व घोषित किया गया । अचानकमार को टाईगर रिजर्व बनाया जाना छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है । देश के लगभग 38 से 40 टाईगर रिजर्व में अचानकमार टाईगर रिजर्व का नाम आता है । यदि अचानकमार को और बेहतर करना हो तो इसे जल्द ही नेशनल पार्क बना दिया जाना चाहिए ।


अचानमार टाईगर रिजर्व के अधिकारी अब लोगों से बाघ संरक्षण के नाम पर दान देने की अपील कर रहे हैं । उनका कहना है कि बाघ के संरक्षण की जिम्मेदारी हम सब की है इसलिए बाघों के संरक्षण के लिए दान देंवे इसके लिए बकायदा अकाउंट खुलवाए गए हैं और उसके नम्बर भी जारी किए गए हैं ।

फाईल फोटो

ये सहीं है कि बाघ ही नहीं अन्य वन्य जीवों के संरक्षण की जिम्मदारी भी सिर्फ एक विभाग की नहीं अपितु सभी की होनी चाहिए । और वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन में सभी को अपने हिसाब से योगदान करना चाहिए । जिसके पास पैसे हैं वो पैसों से सहयोग करें , कोई इसके लिए जागरूकता का काम करें , कोई जंगल बचाने और वनों की सुरक्षा का काम करें ।
एटीआर प्रबंधन के द्वारा लोगों से दान लेने के पहले विभाग को ये बताना चाहिए कि विभाग एटीआर में आए फंड का कैसा और कहां इस्तेमाल कर रही है ? इसकी कोई पारदर्शिता नहीं है आप इस फंड के उपयोग ,एटीआर में किए गए वन्य प्राणियों के लिए काम आदि जानने के लिए जानकारी लेने के लिए घुमते रहे आपको मिलने वाला नहीं है ।

फाईल फोटो

लेकिन पहले वन विभाग ये तो बताए कि यहां जो फंड वन्य जीवों की सुरक्षा और उनके संवर्धन के लिए आए हैं उनका क्या हुआ ? एटीआर ने टाईगर संरक्षण के लिए क्या योजना बनाई है ? और दान मिलने के बाद की क्या योजना है ? टाईगर संरक्षण के लिए एटीआर ने ऐसी कौन सी योजना बनाई है जो राज्य सरकार , केन्द्र सरकार , एनटीसीए और कैम्पा से मिलने वाला फंड टाईगर संरक्षण के लिए कम पड़ रहा है ? एटीआर प्रबंधन को दान लेने से पहले अपनी इस योजना से भी लोगों को अवगत कराना चाहिए ।

फाईल फोटो

ऐसे में वन विभाग अब लोगों से बाघ संरक्षण के नाम पर दान मांगने वाला है और बकायदा अपने अकाउंट नम्बर जारी किए है । वन विभाग ने बाघ संरक्षण के लिए अपील करते हुए कहा है कि बाघ का संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है । सहीं भी है बाघों के सरंक्षण पर सभी को सहयोग करना चाहिए और खुलकर करना चाहिए क्योंकि ये हैं तभी वन है ।

इस माह से एटीआर में आने जाने वाली टु व्हीलर और फोर व्हीलर गाड़ियों को भी शुल्क देना होगा । विभाग ने दो पहिया गाड़ीयों के लिए पचास रूपए और चार चक्का गाड़ियों के लिए सौ रूपए का शुल्क रखा है । इस फंड का उपयोग भी टाईगर संरक्षण के लिए किया जाएगा ।

दबंग न्यूज लाईव से बात करते हुए एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर सत्यदेव शर्मा ने कहा – बाघ संरक्षण के लिए हमने एक फंड का निर्माण किया है और लोगों से इसके लिए सहयोग मांगा है । एक संस्था की तरफ से पहली सहयोग राशि पचास हजार की प्राप्त भी हो चुकी है । इस तरह का फंड टाईगर रिजर्व में आपातकालीन और ऐसे कामों में होगा जिसके लिए बजट नहीं है या उतना नहीं है जितने की आवश्यकता है । डिप्टी डायरेक्टर से जब ये कहा गया कि हम जैसे पत्रकारों को जो लगातार वाईल्ड लाईफ की खबरें और फोटोग्राफी करते हैं उनके लिए भी ये नियम है क्या तो उनका कहना था पत्रकारों के लिए यहां जाना निःशुल्क रहेगा ।

Bank – HDFC , IFSC -0003659 , Ac No.- 50200025484509

अगले अंक में पढ़िए अचानकमार टाईगर रिजर्व के  अंदर के हालात की कहानी ।

 

 

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