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CG पर्यटन आस्था का आयाम – चरन तीरथ प्रकृति की गोद मे बसा हुआ सुरम्य स्थल

CG पर्यटन प्रागैतिहासिक कालीन गुफा और कन्दराएँ , जमदग्नि मुनि के तपस्यास्थल का वन्यप्रदेश I

प्रभु श्री राम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास काल मे व्यतीत किया था चातुर्मास ..

 

   राजेश श्रीवास्तव

ब्यूरो चीफ कबीरधाम .

दबंग न्यूज लाईव की कोशिश होती है कि प्रति रविवार अपने आस पास के पर्यटन स्थल और उसके इतिहास के बारे में अपने पाठकों को बताए । आज हम कबीरधाम जिले के बोडला ब्लाक में स्थित चरन तीरथ की सैर आपको कराते हैं । यदि आप भी पर्यटन के शौकिन हैं और अपने आस पास के किसी पर्यटन स्थल के बारे में जानकारी देना चाहते हैं तो हमें वहां की जानकारी भेज सकते हैं जिसे आपके नाम एवं फोटो के साथ प्रकाशित किया जाएगा ।

अगर आप प्रकृति  से बहुत लगाव महसूसते हैं और उसको आत्मसात करना चाहते हैं तो कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखण्ड और मध्यप्रदेश के मण्डला जिले की सीमा रेखा पर स्थित ’चरन तीरथ ’ में प्रकृति की सुरम्य वादियों के इस क्षेत्र में मानसिक शांति , प्रकृति का मौन दर्शन , पंछियों और जीव जंतुओं के मधुर संगीत से आह्लादित हो उठेंगे ।

बोड़ला विकासखण्ड के तरेगाँव (जंगल ) से लगभग 18 किलोमीटर पश्चिम की दूरी पर साल सागौन के गहन वन में स्थित है चरन तीरथ । शांत और मनोरम पर्यटन स्थल CG पर्यटन के रूप में जिले में यह स्थान लोकप्रिय है ।प्रचलित मान्यताओं के श्रीराम प्रभु ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास काल का एक चतुर्मास यहां व्यतीत किया था ततपश्चात वे माता शबरी के आश्रम शिवरीनारायण गए थे ।


बेंवर काश्त की जमीन तलाशते बैगाओं ने की थी खोज  वर्षाे पहले बैगा समाज के कुछ लोगों ने अपनी पारम्परिक खेती बेंवर काश्त  के लिए पहाड़ों मे जगह तलाश रहे थे तभी साफ सफाई करते हुए उन्होंने एक गुफा से निकलती जलधारा और समीप में प्रस्तर पर निर्मित चरण युगल को देखा । धीरे धीरे लोगों को इस स्थान की जानकारी होती गई और यह स्थान एक तीर्थ का रूप लेता गया ..!


नर्मदा जल से भरा रहता है पवित्र कुंड  चरण तीरथ में पहाड़ों के भीतर से एक गुफा में बहती आई है माँ नर्मदा की जलधारा , बारहों महीने एक ही प्रकार की धार में बहने वाली यह धारा चरण युगल को धोते एक विशाल कुंड में समाहित होकर लुप्त हो जाती है । मान्यता है कि इस कुंड के जल से स्नान करने पर चर्म रोग ठीक हो जाता है । इन पहाड़ों में अनेको प्रागैतिहासिक कालीन गुफा और कन्दराएँ हैं जिन्हें देखकर लगता है किसी काल मे साधक तपस्वी इन स्थानों में जप तप और साधना करते रहे होंगे ।


मनोरम नयनाभिराम दृश्यों से भरी वादियां – यहां प्रकृति ने मुक्त हस्त से सौंदर्य लुटा रखा है । यहां की गहरी घाटियों से नीचे झांकने पर भय और रोमांच उत्पन्न होता है । कुंड के दक्षिण दिशा में कपिलधारा है जहां लगभग 45 फ़ीट की ऊंचाई से एक मनोरम झरना बहता है ।

वहीं उत्तर पूर्व दिशा में दूधधारा और लटाधार को देखकर आप मुग्ध हो उठेंगे । जलहरि के आकार वाले एक विशाल शिलाखण्ड में शिवलिंग की तरह एक विशालकाय शिला टिका हुआ है जिसे स्थानीय जन  शक्ति पत्थर  के रूप में पूजते हैं ।


प्रतिवर्ष मकर संक्रांति को यहाँ दो दिवसीय विशाल मेले का आयोजन स्थानीय ग्राम पंचायत और चरन तीरथ CG पर्यटन सुरक्षा समिति के द्वारा किया जाता है , जिसमे क्षेत्र के ग्रामीण जन बड़ी संख्या में आते हैं । श्रावण मास में कांवरिये इस कुंड का पवित्र जल भरकर भगवान भोलेनाथ के शिवालयों में अभिषेक करते हैं ।


महर्षि जमदग्नि की साधना स्थली है यह वन्य प्रदेश – पुराणों के अनुसार यह वन्यप्रदेश भगवान परशुराम का जन्मस्थल और महर्षि जमदग्नि की साधना स्थली है । इन्ही क्षेत्र में उनका आश्रम था । कैप्टन यार्ड , पादरी हिस्लाप , हीरालाल ,रशल आदि विद्वानों ने भी इस जगह का उल्लेख किया है ।


गन्धर्व लोक और इन्द्रपुरी है यह वन्यप्रदेश रू मान्यताओं के अनुसार इस स्थान को गन्धर्व लोक औऱ इन्द्रपुरी की संज्ञा दी गई है । इन क्षेत्रों में अधिकतर गन्धर्व , मानिकपुरी पनिका समाज के लोग निवास करते हैं । युवतियां अन्य क्षेत्रों की बनिस्बत काफी आकर्षक और सुंदर चेहरे वाली होती हैं ।

रानी रेणुका के साथ गन्धर्वों के राजा चित्रसेन से इन्ही क्षेत्र में जलक्रीड़ा की थी । भगवान श्रीराम के दादा महराज अज को गन्धर्व कुमार प्रियम्बद ने यहीं सम्मोहन विद्या चलाने और लौटाने का मंत्र दिया था ।

इस बार आप भी अवसर निकालिये और रूबरू होइए इस खूबसूरत वादियों से …!!

 

sanjeev shukla

Sanjeev Shukla DABANG NEWS LIVE Editor in chief 7000322152
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