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कोटा में कांग्रेस की वापसी लेकिन विधानसभा ने अपनी परिपाटी जिंदा रखी ।

छत्तीसगढ़ बनने के बाद से नहीं टुट रहा रिकार्ड ।

दबंग न्यूज लाईव
रविवार 03.12.2023

sanjeev Shukla

बिलासपुर – जब से छत्तीसगढ़ बना है उसके बाद से कोटा विधानसभा में एक अलग ही परिपाटी चली आ रही है । प्रदेश में जिसकी सरकार होती है कोटा विधानसभा में उसका विधायक कभी नहीं होता । पृथक छत्तीसगढ़ के पहले आम चुनाव के बाद लगातार तीन बार प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो यहां विधायक कांग्रेस से रहे और जब कांग्रेस की सरकार बनी तो विधायक जनता कांग्रेस से और अबकी बार फिर से सरकार भाजपा की बन रही है तो विधायक कांग्रेस से । ये दिलचस्प आंकड़ा रूझान के समय से ही दिख रहा था जब रूझान में प्रदेश में कांग्रेस की बढ़त दिख रही थी तो यहां से भाजपा के प्रबल प्रताप आगे चल रहे थे और जैसे ही भाजपा की सरकार बनने की बारी आई तो यहां से कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव आगे हो गए ।


छत्तीसगढ़ का ये चुनाव ऐतिहासिक उलट फेर लेकर आया । सभी को उम्मीद थी कि एक बार जनता फिर से कांग्रेस को मौका देगी सारे चैनलों के एक्जिट पोल में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना दिखाई जा रही थी लेकिन जनता ने सारे दावों और वादों को ध्वस्त कर दिया ।


कोटा विधान सभा में सभी की नजर थी क्योंकि यहां आज तक भाजपा ने अपना खाता नहीं खोला है और इस बार उन्हें उम्मीद थी कि जुदेव जी के नाम का जादू यहां चलेगा और भाजपा अपना खाता खोलेगी लेकिन एक बार फिर उसका अकाउंट नहीं खुल पाया और अब उसे फिर से आने वाले चुनाव में खाता खुलवाने को फार्म भरना होगा ।


रही बात जनता कांग्रेस की तो ये सभी को लग रहा था कि इस बार जनता कांग्रेस का वैसा जादू नहीं चलने वाला है जैसे 2018 में चला था । जनता कांग्रेस के पास उस समय अजीत जोगी जैसे नेता थे जिन्होंने अपने दम पर प्रदेश में जनता कांग्रेस को स्थापित कर दिया था उनके ना रहने के बाद पार्टी कमजोर हुई थी फिर कई विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद पार्टी और ज्यादा कमजोर हो गई । इसके बाद भी इस चुनाव में डा रेणु जोगी की उपस्थिति को किसी ने भी हल्के में नहीं लिया था लेकिन इस चुनाव में उन्हें सिर्फ 8884 व्होट ही मिल सके ।


अब बात करते हैं पिछले चुनाव में अपनी सीट गंवा चुकी कांग्रेस की । कांग्रेस ने इस सीट पर अटल श्रीवास्तव को अपना उम्मीदवार बनाया था और जिस प्रकार अटल श्रीवास्तव और उनकी टीम ने पूरे चुनाव को लड़ा उससे पहले ही ये लगने लगा था कि इस बार कांग्रेस अपनी पुस्तैनी सीट फिर से प्राप्त कर लेगी । कांग्रेस ने यहां अपनी पूरी शक्ति झोंक दी थी । कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव के साथ ही उनकी पूरी टीम ने जिस प्रकार से मतदाताओं को साधा उसने अटल श्रीवास्तव के उन विरोधियों के मुंह बंद कर दिए जो ये कहते नहीं थक रहे थे जो पार्षद का चुनाव नहीं जीत पाये वो विधायक का चुनाव कहां से जीत लेंगे । लेकिन कोटा में कांग्रेस ने फिर से अपना परचम फहरा दिया और भाजपा को अच्छे खासे अंतर से हरा कर अपनी सीट फिर से अपने पाले में ले ली।


इस बीच एक और रोचक आंकड़ा सामने आया कोटा विधान सभा में पंद्रह उम्मीदवार खड़े थे और यहां के मतदाताओं ने किसी भी उम्मीदवार को निराश नहीं किया सभी उम्मीदवारों को कुछ ना कुछ व्होट मिले । कांग्रेस भाजपा और जनता कांग्रेस को छोड़कर इन बारह प्रत्याशीयों की बात की जाए तो इन बारहों ने मिलकर लगभग 12396 व्होट प्राप्त किए इनके साथ ही नोटा ने भी 3192 के आंकड़े को छुआ । इन बारह उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा व्होट गोगपा के नंदकिशोर राज को 4725 तो सबसे कम भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के मनोज कुमार को 150 मत प्राप्त हुए ।

बहरहाल तीन दिसम्बर भी निकल गया और प्रदेश में एक नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया है लोकतंत्र की यही खुबसुरती होती है मतदाता कब किसे राजा बना दे और कब किसे रंक कहा नहीं जा सकता । कांग्रेस को मध्यम वर्ग और सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी ने सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है । इस हार जीत के बाद सभी पार्टीयां अपने आत्म मंथन में जरूर लगेंगी और आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस कर तैयारी करेंगी ।

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