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सेवा में कमी – नौकरी सरकारी डाक्टर , काम मेडिकल स्टोर्स में प्रायवेट प्रेक्टिस ।

पहले लगवाते हेैं नम्बर फिर समय नहीं है करके मरीजो से दुव्र्यव्हार ।

बिलासपुर – सिम्स में सरकारी नौकरी करने वाले डाक्टर प्रायवेट क्लिनिक खोल कर मजमा लगाने लगे हैं । हद तो ये हो गई कि अपने क्लिनिक में ये नम्बर तो मनमाने लगवा लेते हैं और जब दिन भर का टारगेट पैसा पूरा हो जाता है तो मरीजो को छोड़ उठ भागते हैं । याने इनकी नैतिकता ना तो शासकीय अस्पताल में मरीजो के प्रति है और ना ही अपने अवैध प्रायवेट क्लिनिक में ही ऐसे मामले पूरे पूरे सेवा में कमी को दर्शाते हैं ।


ऐसे ही एक डाक्टर हैं सिम्स के चर्म रोग विशेषज्ञ डा सवाईन । ये सिम्स में कैसी सेवा देते होंगे ये इसी से पता चल जाता है जब ये एक मेडिकल स्टोर्स के एक रूम में अपने प्रायवेट अवैध क्लिनिक में जहां मोटी फीस लेकर और हजारों की दवा लिखने के बाद भी मरीजों को बिना देखे बिना किसी उचित कारण के चले जाते हों तो फिर इनका व्यवहार सिम्स में आने वाले मरीजों जिनको इन्हें मुफत में देखना होता है उनके प्रति कैसा रहता होगा ।

कल चैदह तारीख को भी ये अपने पसंदीदा पे्ररणा मेडिकल स्टोर्स के एक रूम में जहां इन्होंने अपना क्लिनिक खोल रखा है वहां साढ़े छह बजे से बैठ गए । मेडिकल स्टोर्स वाले ने भी अपनी कमाई को नजर में रखते हुए मनमाने मरीजों को अप्वाईमेंट दे दिया जिसमें शहर के बाहर जांजगीर तक के लोग आए थे ।

लेकिन डाक्टर साहब का मुड आठ बजे के बाद बिगड़ गया और वे उठ कर चले गए जाते जाते मेडिकल स्टोर्स के कर्मचारियों को चमकाते हुए गए कि मैं नहीं देखूंगा अब बाकी लोगों को कल आने बोलना । उनके ऐसे व्यवहार को देखकर लोगों का भी पारा चढ़ गया जो सात बजे से इंतजार कर रहे थे और बाहर से आए थे ।

कुछ लोगों को कहना था यदि नहीं देखना था अप्वाईमेंट क्यों दिया । इनका दस मिनट किमती है तो हमारा भी समय मायने रखता है । जांजगीर से आई एक महिला पेसेंट नीतू साहू का कहना था – मैने कल से नम्बर लगाया था आज बुलाए लेकिन बिना देखे ही चले गए मैं आज छुट्टी लेकर आई थी ।

एक और पेसेंट हीरा साहू का कहना था – मैं सात बजे से यहां बैठा हूं फीस भी जमा कर दिया अब जब नम्बर आने का समय था डाक्टर नहीं देखूंगा करके चले गए ।

सिम्स के डाक्टर का मेडिकल स्टोर्स को फायदा पहुंचाने का ये काम शासकीय नियमों को अंगुठा दिखाने की है । सरकार कई बार ऐसे डाक्टरों को चेता चुकी है कि वे प्रायवेट प्रेक्टिस ना करें और कम से कम दवा कंपनियों और मेडिकल स्टोर्स से नजराना ना लें लेकिन ऐसे लालची डाक्टर मानने वाले कहां । जानते हैं सरकार नियम बनाएगी लेकिन उसे लागू तो अधिकारी ही करवाएंगे और हमको कौन क्या बोलेगा । इस अहंकार से ये अपने उन मरीजो को भी खूब चूना लगाते है जो इन पर भरोषा करके इनके पास जाता हैं।

सिम्स की पीआरओ डा आरती पाण्डेय का कहना था – यदि कोई सरकारी डाक्टर एनपीए मतलब नाॅन प्रेक्टिस एलाउंस लेता है तो फिर वो प्रेक्टिस नहीं कर सकता और यदि एनपीए नहीं लेता तब कर सकता है ।

बहरहाल यहां मामला एनपीए का बाद में है पहले डाक्टरी सेवा में सेवा की कमी का है । डाक्टर को उतने ही मरीजों को अप्वाईमेंट देना चाहिए जितने वो देख सकता है । मनमानी भीड़ लगवाकर और दूर दूर से मरीजों को बुलाकर सिर्फ ये कहते हुए कि मुझे नहीं देखना है समय हो गया ये साफ साफ सेवा में कमी को दर्शाता है ।

sanjeev shukla

Sanjeev Shukla DABANG NEWS LIVE Editor in chief 7000322152
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