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DNL एक्सक्लूसिव – नाॅट फाॅर सेल का पचास रूपए का रेडी टू ईट गौशाला में बेचा जाता है दस रूपए किलो ।

आंगनबाड़ी के रेडी टू ईट के हितग्राही बच्चे और महिलाओं की जगह बन गए जानवर ।

जिला कार्यक्रम अधिकारी की लापरवाही के चलते योजना पहुंच गई तबेले में ।

दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 22.12.2020

बिलासपुर आंगनबाड़ी के जिस रेडी टू ईट के पैकेट पर नाॅट फाॅर सेल लिखा होता है वो गौशाला वालों को दस रूपए किलों में बेचा जाता है । ये सनसनीखेज मामला बिलासपुर जिले के तखतपुर विकासखंड से सामने आया है ।


महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा अपने आंगनबाड़ी केन्द्रों से महिलाओं और बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य एवं कुपोषण को दूर करने के लिए रेडी टू ईट योजना चलाई जा रही है । योजना के तहत समूहों को हर सेक्टर में रेडी टू ईट बनाने को काम दिया गया है और इस काम के बदले समूह को पचास रू.किलो के हिसाब से भुगतान किया जाता है ।


योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों और महिलाओं का कुपोषण दूर करना है लेकिन हतप्रभ करने वाली बात ये है कि रेडी टू ईट आंगनबाड़ी और हितग्राहियों को मिलने की जगह बोरों में भरकर सीधे गौशाला पहुंच रहा है । और इसके हितग्राही अब महिला और बच्चे नहीं जानवर हो रहे हैं ।


दबंग न्यूज लाईव को इस बात की जानकारी हुई कि जिले के तखतपुर विकासखंड के एक समूह के द्वारा बनाया गया रेडी टू ईट के पैकेट जिले के एक गौशाला में बेचे जा रहे हैं और गौशाला वाले इस किमती अनाज का उपयोग जानवरों के चारे के रूप में कर रहे हैं ।
जब इस बात की सत्यता जानने के लिए वहां जाकर देखा गया तो जानकारी सही निकली । गौशाला में बोरे में रेडी टू ईट के पैकेट भरे हुए थे । गौशाला में काम कर रहे एक व्यक्ति ने बताया कि मैं इसे दस रूपए प्रति किलो के हिसाब से लेता हूं । मेरे पास तो हर समय ये कई कई बोरों में आता है । एक व्यक्ति ने तो हर माह दो क्विंटल पैकेट लाकर देने की बात कही है ।


गौशाला के एक कमरे में रेडी टू ईट के भरे पैकट के साथ ही कई खाली रैपर भी मिले जिसमें तखतपुर विकासखंड के एक समूह का नाम लिखा गया था । जाहिर सी बात है यदि बोरों में भरकर पैकेट गौशाला या पशु आहार केन्द्रों में आ रहा है तो फिर ये काई हितग्राही तो बेच नहीं रहा होगा । ऐसे में ये जांच का विषय हो सकता है कि आखिर बाजार में जिस पैकेट पर नाट फार सेल लिखा होता है वो आखिर खुले बाजार में जानवरों के लिए कैसे बिक रहा है ।


लेकिन जांच करें कौन ? क्योंकि जिन अधिकारियों को जांच करनी है वो अपने कांच के कैबिन से बाहर ही नहीं निकलते । फिर कोई ऐसा काम अकेले अपने बुते तो कर नहीं सकता ।

इस संबंध में  तखतपुर के परियोजना अधिकारी चंद्रवंशी जी का कहना था कि ये तो मेरे संज्ञान नहीं है कि कैसे बिक रहा है हो सकता है हितग्राही बेच रहा हो । आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तो वितरण करती है । मैं पता करता हूं कि कैसे हो रहा है ।

इस खबर का अगला पार्ट कल पढ़िएगा …।

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