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45 साल के लंबे सफर के बाद भी महिला बाल विकास विभाग अपने लक्ष्यों से दूर ।

कांच के केबिन में बंद उदासिन अधिकारियों की भेंट चढ़ती योजनाएं ।

NFHS 4 के सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 05 वर्ष से कम आयु वर्ग के लगभग 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण एवं 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की 47 प्रतिशत महिलायें एनीमिया से पीड़ित है।

 

दबंग न्यूज लाईव
शनिवार 19.12.2020

 

बिलासपुर – सन 1975 जब सरकार ने देश की महिलाओं और बच्चों के बेहतर पोषण और स्वास्थ्य के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों की शुरूवात की । उददेश्य था देश प्रदेश की महिलाओं और बच्चों से कुपोषण दूर करना । लेकिन 45 साल के बाद आज भी विभाग के उद्देश्य और लक्ष्य यही हैं । इन 45 सालों में विभाग समय समय पर कागजों में जरूर कुपोषण का कम करने का दावा करता है लेकिन जमीन हकीकत इससे कहीं अलग ही रहती है ।


आज भी प्रदेश में कुपोषण की समस्या गंभीर है । विभाग कुपोषण दूर करने के लिए दर्जनों योजनाएं चला रही है लेकिन नतीजा वो नहीं आ पा रहा जिसके लिए योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है । और ये सब होता है विभाग के गैर जिम्मेदार और सुस्त अधिकारियों के चलते जो जमीनी स्तर पर काम करने की अपेक्षा टेबल पर कलम चलाना ज्यादा करते हैं ।
छत्तीसगढ़ राज्य में NFHS .4 के सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 05 वर्ष से कम आयु वर्ग के लगभग 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण एवं 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की 47 प्रतिशत महिलायें एनीमिया से पीड़ित है।


छत्तीसगढ़ राज्य में 06 वर्ष से कम आयु के बच्चों में व्याप्त कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में व्याप्त एनीमिया एक चुनौती है जिसे जड़ से समाप्त करने का निर्णय प्रदेश सरकार ने लिया है प्रदेश सरकार ने 24 जून 2019 में दंतेवाड़ा से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया बाद में प्रदेश के अन्य जिलों में भी गांधीजी के 150 वीं जयंती के अवसर पर 02 अक्टूबर 2019 से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया गया है।


अभियान का प्रमुख उद्देश्य 06 वर्ष आयु तक के बच्चे में कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं को एनीमिया से मुक्त करना है। अभियान अंतर्गत प्रदेश के लगभग 1.85 लाख हितग्राहियों को गर्म भोजन एवं 3.53 लाख हितग्राहियों को अतिरिक्त पोषण आहार के रूप में अण्डा, चिकी, लड्डू, मूंगफली, दलिया आदि प्रदान किया जाना है। इसके अतिरिक्त एनीमिक बच्चे एवं महिलाओं के आई.एफ.ए. अथवा सिरप कृमि नाशक दवा एवं व्यवहार तथा खान पान में सकारात्मक परिवर्तन के लिए परामर्श सेवाएँ भी दिया जाना है ।


लेकिन कांच के आफिस में बंद अधिकारियों के चलते प्रदेश में अभी भी कुपोषण और एनिमिया के आंकडों में कमी नहीं आई है । विभाग जो आंकड़े कागज में दिखाता है जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही होती है ।

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