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मुंह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन ? आवाजों के बाजारों में खामोशी पहचाने कौन ?

जिस ऋण पुस्तिका में कीमत 10 रूपए दर्ज होती है उसे बनवाने अपनी जान की कीमत देनी पड़ी ।

दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 02.04.2021

 

Sanjeev Shukla

बिलासपुर – मुंह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन ? आवाजों के बाजारों में खामोशी पहचाने कौन ? निदा फाजली का ये शेर उस समय बरबस ख्यालों में आ गया जब एक किसान इस भीड़ और शोर भरे बाजार से खामोशी से चले गया । वो गया जरूर खामोशी से लेकिन बाजार में एक सवाल छोड़ गया । सवाल ये क्या किसान ऐसे ही मरते रहेगा ? क्या कोई सुनने वाला नहीं ? या कोई सुनकर भी अनसुना कर दे रहा ?

फाईल फोटो , प्रतिकात्मक।

रंगपंचमी का दिन । जब चेहरे रंग गुलाल से रंगे होने चाहिए ऐसे में एक गरीब किसान के परिवार के चेहरे का रंग उड़ा हुआ क्योंकि उस परिवार का पालनहार अपने परिवार को छोड़कर इतनी दूर चले गया जहां से वापस आना संभव ही नहीं होता । सरकार के कमाऊ विभागों यो पूतों मे एक है राजस्व विभाग । लेकिन ये विभाग कमाई में इतना मशगुल हो जाता है कि फिर आगा पिछा कुछ नहीं देखता ।


बिलासपुर जिले के तखतपुर विकासखंड के एक छोटे से गांव राजाकापा का एक किसान इसी राजस्व विभाग के एक कमाऊ कर्मचारी पटवारी का शिकार हो जाता है जिसकी किमती उसे अपनी जान देकर गंवानी पड़ी है । यहां के पटवारी ने किसान से सिर्फ ऋणपुस्तिका बनाने के लिए पांच हजार रूपए ले लिए जिसकी किमत पुस्तिका पर मात्र दस रूपए दर्ज होती है ।

तखतपुर के हल्का नम्बर 10 याने निगारबन्द के पटवारी उत्तम प्रधान से कथित रूप से तंग आकर आत्महत्या करने वाले किसान छोटूराम कैवर्त के घर पहुंच कर राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती हर्षिता पांडेय ने परिवार को ढांढस बंधाया। उन्होंने पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हुए 25 लाख रुपये के मुआवजे और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की बात कही है।

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