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पंचायत सचिवों और रोजगार सहायकों के हड़ताल पर सरकार का कड़ा रूख ।

पिछले एक माह में सरकार ने अपने कर्मचारियों से बात करने की बजाय अब नया फरमान जारी किया ।

24 घंटे के भीतर काम पर लौंटे वर्ना नई नियुक्ति की जाएगी ।

दबंग न्यूज लाईव

शुक्रवार 22.01.2021

रायपुर प्रदेश में पंचायत सचिव और रोजगार सहायक पिछले 26 दिसम्बर से हड़ताल पर हैं जिसके कारण पंचायतों के कई कार्य अटक गए हैं । इस दौरान सचिव संघ ने अपनी एक मात्र जायज मांग को लेकर भुख हड़ताल पर हैं लेकिन इन 25 दिनों में सरकार ने इनसे बात करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है । अधिकारियों को समझना चाहिए कि प्रदेश में कम से कम नियुक्तियों में एक समानता रहनी चाहिए । कई विभाग में दो साल में नियमतिकरण हो रहे हैं तो फिर पंचायत सचिवों को अपने नियमतिकरण के लिए एक दो दशक का इंतजार क्यों करना पड़ रहा है ?


खैर शासन ने पंचायत सचिवों और रोजगार सहायकों को समझाने और भरोषे में ले कर हड़ताल समाप्त करने की जगह अब इन्हें 24 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया है कि वे काम पर लौटे वर्ना उनकी जगह नई नियुक्ति की जाएगी ।

इस परिपेक्ष्य में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने दो पत्र सभी जिला पंचायतों के सीईओ को जारी किए हैं जिसमें कहा गया है कि पंचायत सचिवों के हड़ताल पर चले जाने से कई हितग्राही मूलक कार्य प्रभावित हो रहे हैं । इसलिए कार्यो की अनिवार्यता को देखते हुए अपने स्तर पर सविचों के लिए दिशा निर्देश जारी करें कि वे 24 घंटे के अंदर काम पर लौटे वर्ना यदि वे काम पर नहीं लौटते तो नियमानुसार उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए नई नियुक्ति के संबंध में कार्यवाही की जाएगी ।
इसी प्रकार एक और पत्र विभाग से रोजगार सहायकों के लिए भी निकला है जिसमें सभी जिले मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी को आदेश दिया गया है कि लगातार 07 दिवस से अनुपस्थित रोजगार सहायकों की जगह नवीन ग्राम रोजगार सहायकों की नियुक्ति की जाए।

सरकार ने हड़ताल कर रहे सचिव संघ और रोजगार सहायकों से बात करने से मना कर दिया है ऐसे में देखना होगा कि अब सचिव संघ आगे क्या रास्ता चुनता है क्या डयूटी में लौटेंगे या फिर अपनी मांग को लेकर धरने ओैर हड़ताल पर रहेंगे । लेकिन इतना तय है कि सचिव संघ के द्वारा 24 तारिख से अपने आंदोलन की धार को तेज करने के बाद सरकार और प्रशासन की हर कोशिश होगी कि हड़ताल को 24 तारीख के पहले किसी भी रूप में समाप्त करवाया जाए ।


जबकि सरकार को चाहिए कि अपने घोषणा पत्र के अनुसार इनसे बात करके इनकी समस्याओं को दूर करे और उन्हें भरोषा दिलाए कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा । लेकिन ये भी सच है कि सत्ता में आने के बाद सरकार की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं ।

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