
सरकार को गंभीरता पूर्वक इस दिशा में संज्ञान लेते हुए प्राध्यापकों को मानसिक तनाव से मुक्त करना होगा ।
दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 03.11.2021
रायपुर – प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग Higher Education के प्राध्यापक इन दिनों गहरे मानसिक तनाव और अवसाद से गुजर रहे हैं । और इसका कारण है महाविद्यालय में इनसे गैर शैक्षणिक कार्य का लिया जाना । प्रदेश के महाविद्यालयों में शुरू से ही कार्यालयीन स्टाफ की कमी है ऐसे में प्राध्यापकों को शैक्षणिक कार्य छोड़कर लिपिकिय कार्य और अन्य दिगर कार्य करना पड़ रहा है । और ऐसे में प्रदेश के उच्च शिक्षा का हाल बेहाल हो रहा है ।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस (निम्हंस) ने 2016 में देश के 12 राज्यों में एक सर्वेक्षण करवाया था. इसके बाद कई चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं. आंकड़ों के मुताबिक आबादी का 2.7 फ़ीसदी हिस्सा डिप्रेशन जैसे कॉमन मेंटल डिस्ऑर्डर से ग्रसित है
कुछ दिन पहले 28 अक्टूबर को दुर्ग के शासकीय नागरिक कल्याण महाविद्यालय के प्राचार्य डा भुवनेश्वर नायक ने महाविद्यालय में ही आत्महत्या कर ली थी जो उनके मानसिक अवसाद को दर्शाता है । सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करते हुए इस स्थिति को सुधारना होगा ताकि प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के प्राध्यापक इस मानसिक अवसार के गर्त से बाहर आए और प्रदेश के युवाओं को बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकें ।
ये बड़ा हास्यास्पद और गंभीर विषय है कि प्रदेश के महाविद्यालय के प्रोफेसर जिनका काम बच्चों को शिक्षा प्रदान करना , उनका मार्गदर्शन करना और बेहतर युवा प्रदेश को देने का है वे बाबू की कुर्सी पर बैठ कर कालेजों की फाईल निपटा रहे हैं । बेहतर हो सरकार इस गंभीर मुद्दे पर विचार करते हुए प्राध्यापकों से सिर्फ शैक्षणिक कार्य ही ले ।
प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक और अधिकारी संघ ने अपनी इस व्यथा से उच्चशिक्षा विभाग के सचिव के साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री ,राज्यपाल महोदया और मुख्यमंत्री तक को अवगत करवाया है ।देखना है इस गंभीर मुद्दे को सरकार किस तरह से सुलझाती है और प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के गिरते शिक्षा स्तर को कैसे फिर से उच्च स्तर का बनाती है ।