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Higher Education दुर्ग जिले से बड़ी खबर – कलेक्टर का आदेश जिले के महाविद्यालयों की जांच करेंगे कनिष्ठ अधिकारी ।

इतिहास में पहली बार हो रहा ये काम । प्राध्यापकों में आक्रोश ।

दबंग न्यूज लाईव
शनिवार 14.01.2023

रायपुर – तेरह जनवरी को दुर्ग जिले के कलेक्ट्रेट से एक आदेश निकाला गया और इस आदेश के बाद प्रदेश भर के प्राध्यापकों में आक्रोश बढ़ गया । आदेश था जिले के सभी शासकीय और गैर शासकीय महाविद्यालयों के औचक निरीक्षण का ।


अब आप बोलेंगे कि इसमें आक्रोशित होने वाली क्या बात है महाविद्यालयों का यदि निरीक्षण हो रहा है तो ये अच्छी बात ही है । लेकिन कालेज के प्राध्यापकों के आक्रोशित होने के कई कारण है । प्राध्यापक संघ ने दुर्ग कलेक्टर को एक पत्र लिखकर इस आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया है ।


सबसे पहले ये कि दुर्ग जिले में जिन लोगों को निरीक्षण करने का काम दिया गया है वो सभी कनिष्ठ वर्ग के अधिकारी हैं जबकि कालेज प्राध्यापक इनसे वरिष्ठ श्रेणी में आते हैं ऐसे में कनिष्ठ अधिकारी कैसे अपने से वरिष्ठ अधिकारियों की औचक जांच कर सकते हेैं ?


दुसरा उच्च शिक्षा के इतिहास में ये पहली बार है जब कोई कलेक्टर इस तरह से आदेश जारी करके लोगों को इसके लिए नियुक्त कर रहे हैं । इसके पहले कभी भी कलेक्टेªेट से ऐसा आदेश नहीं निकला है और ना ही कलेक्टर के कार्यक्षेत्र में ही ये आता है ।


उच्च शिक्षा विभाग में निरीक्षण के लिए आयुक्त कार्यालय मंें पूर्व से ही व्यवस्था है और उच्च शिक्षा विभाग समय समय पर अपने कालेजों के निरीक्षण करवाते रहता है । सूत्रों की माने तो यदि निरीक्षण करवाना ही है तो राज्यपाल या फिर उच्च शिक्षा विभाग ही करवाए जिले के कनिष्ठ अधिकारियों को कैसे निरीक्षण का जिम्मा दिया जा सकता है ।

दुर्ग जिले में जो लिस्ट निकली है उसमें मत्स्य विभाग , नगरपालिका के अभियंता ,जिला शिक्षा अधिकारी , रोजगार कार्यालय के अधिकारी , पीडब्लूडी के अधिकारियों के साथ ही पीएमजेएसवाय ,कृषि विभाग , अतिरिक्त सीईओ जिला पंचायत ,पशुचिकित्सक जैसे अधिकारी हैं जो कि सेकेण्ड क्लास के अधिकारी होते हैं जबकि कालेज के प्रार्चाय और प्राध्यापक प्रथम श्रेणी के अधिकारी होते है।

इस संबंधत में उच्च शिक्षा विभाग की कमिश्नर शारदा वर्मा से बात की गई तो उनका कहना था – दुर्ग जिले में ऐसा कोई आदेश कलेक्टेªट से निकला है उसकी जानकारी उन्हें नहीं । आज तक तो जिले से ऐसा आदेश कभी नहीं निकला नहीं । अब ये कलेक्टर के कार्यक्षेत्र में है या नहीं इसको देखना पड़ेगा यदि उनके कार्यक्षेत्र से बाहर होगा तो उनसे बात की जाएगी और यदि ऐसा अधिकार उन्हें होगा तो फिर ठिक है ।

बहरहाल यहां सबसे बड़ा पेंच जो फंसेगा वो ये है कि क्या एक कनिष्ठ अधिकारी को अपने से वरिष्ठ अधिकारी के निरीक्षण का जिम्मा दिया जा सकता है । इसी बात को लेकर जिले भर के सहायक प्राध्यापक आक्रोशित हैं ।

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