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रेडी टू ईट योजना शुरू होने के बाद असल हितग्राहियों को कितना मिला फायदा ?

क्या वाकई दूर हुआ कुपोषण या किसी और का हो रहा सुपोषण ?

बिलासपुर जिले में होने वाले अंदरूनी मूल्यांकन में अधिकारी क्यों देरी कर रहे ?

दबंग न्यूज लाईव
रविवार 20.12.2020

 

बिलासपुर प्रदेश में 2009 से महिला बाल विकास विभाग रेडी टू ईट का संचालन कर रहा है । इसके अंतर्गत आंगनबाड़ी में दर्ज बच्चों के साथ ही गर्भवती और शिशुवती महिलाओं को रेडी टू ईट के पैकेट दिए जाते हैं । हितग्राहियों को उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए ये पैेकेट मुफ्त दिए जाते हैं लेकिन इस पैकेट के लिए प्रति किलो के हिसाब से सरकार पचास रू तक समूहों को भुगतान करती है । टीएचआर में लगने वाले गेंहू भी समूह को पीडीएस की दुकान से सस्ते दरों पर प्राप्त होते हैं ।


बिलासपुर जिले के 76 सेक्टरों में लगभग 72 समूहों के द्वारा इस योजना का संचालन किया जा रहा है । सरकार ने महिला समूहों को आर्थिक रूप से सक्षम करने के लिए इस योजना के संचालन की जिम्मेदारी महिला समूहों को दी है लेकिन अधिकतर जगह समूह के नाम पर एकल व्यक्ति इस योजना को संचालित कर रहा है । महिला समूह की कई सदस्यों को इस योजना के बारे में जानकारी ही नहीं है या फिर समूह की चार छह महिलाएं यहां रोजी पर काम करती हैं और अपना मेहनताना लेती हैं जिसे बाद में समूह संचालक समूह का लाभांश वितरण दिखा देता है ।


बिलासपुर जिले में समूहों को काम उनके राजनैतिक पहुंच और अधिकारियों से सांठगांठ के बाद ही मिलता है । जिस समूह से मन माफिक मलाई नहीं मिल पाता उन्हें किसी ना किसी कारणवश हटाकर दूसरे समूह को काम दे दिया जाता है या अपने चहेते समूह में संलग्न कर दिया जाता है ये खेल जिले में धड़ल्ले से चल रहा है ।


सरकार को चाहिए कि ऐसे समूहों का सूक्ष्म मूल्यांकन किसी स्वतंत्र एजेंसी से पारदर्शिता के साथ करवाए और उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक करें ताकि लोगों को पता चल सके कि रेडी टू ईट की आड़ में जिन पात्र हितग्राहियों को लाभ मिलना चाहिए उनकी जगह असल लाभ कौन ले रहा है ? ये भी जांच होनी चाहिए कि आखिर रेडी टू ईट का संचालन करने वाले समूह चंद सालों में ही इसके पैसों से कैसे लाल हो गए हैं ?


बिलासपुर जिले में होने वाले अंदरूनी मूल्यांकन में अधिकारी क्यों देरी कर रहे ? आखिर क्या कारण है कि बिलासपुर डीपीओ मूल्यांकन के पहले कई बहाने बनाने लगे ? ऐसे कई सवाल हैं जिनकी जांच होनी चाहिए ।

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