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अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस – आज उंगली थाम के तेरी तुझे चलना मैं सिखलाऊं, कल हाथ पकड़ना मेरा जब मैं बूढ़ा हो जाऊं.I

करगीरोड कोटा – शुक्रवार 01.10.2021 – विश्व में पहली बार 1991 में अक्टूबर के पहले दिन अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस मनाया गया था उसके बाद से ये हर साल मनाया जाने लगा । कोटा जनपद में भी आज वृद्धजनों के सम्मान का कार्यक्रम आयोजित किया गया । जिसमें बिलासपुर जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण चोैहान के साथ ही कोटा जनपद पंचायत अध्यक्ष , कोटा जनपद सीईओ और अन्य लोग उपस्थित हुए ।

 

वर्तमान में छोटे परिवार की चाहत में लोग अपने बुजुर्गों से दूर हो रहे हैं। बच्चे दादा-दादी के प्यार से महरूम हो रहे हैं। हम आज जो भी हैं, घर के बुजुर्गों की ही बदौलत हैं। इसलिए हमें उनकी अनदेखी नहीं, बल्कि उनका सम्मान करना चाहिए। इसी के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से हर साल एक अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस मनाया जाता है। इसे अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस या विश्व प्रौढ़ दिवस भी कहा जाता है।

यह दिन प्रत्येक परिवार के वृद्धजनों को समर्पित है। अपने वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान करना, उनके सम्बन्ध में चिंतन करना तथा उनकी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखना आदि। सरकार के द्वारा भी समाज में वृद्धों की स्थिति को देखते हुए कानून और विधेयक पारित किए गए हैं । भारत में 2007 में माता-पिता एवं वरिष्‍ठ नागरिक भरण-पोषण विधेयक संसद में पारित किया गया।

वृद्धजनों के हितों की रक्षा के लिये 2007 में बने इस कानून में भरण-पोषण न्यायाधिकरण और अपीली न्यायाधिकरण बनाने की व्यवस्था है. ऐसे न्यायाधिकरण को वरिष्ठ नागरिक से शिकायत मिलने के 90 दिन के भीतर इसका निपटारा करना होता है और एकदम अपरिहार्य परिस्थितियों में यह अवधि 30 दिन के लिये बढ़ाई जा सकती है. भरण-पोषण न्यायाधिकरण ऐसे वरिष्ठ नागरिक को उसके बच्चे या संबंधी से भरण-पोषण के रूप में 10 हजार रुपए तक प्रतिमाह का भुगतान करने का आदेश दे सकते हैं.

इस कानून के तहत वरिष्ठ नागरिक का परित्याग दंडनीय अपराध है. इस अपराध के लिए तीन माह की कैद तथा पांच हजार रुपए जुर्माना हो सकता है. बावजूद, देश में बूढ़े माता-पिता का परित्याग करने की घटनाएं हो रहीं हैं.

कोटा जनपद सीईओ ने अपने उदबोधन में कहा – समाज के वृध्द जन समाज के पालक पोषक, मार्गदर्शक होते हैं । न केवल अपने परिवार के बल्कि पुरे समाज के वे संरक्षक होते हैं । बुजुर्गाे का समाज मे बहुत महत्वपूर्ण स्थान है इनका कभी किसी स्थिति में तिरस्कार और अपमान नही करना चाहिए बल्कि इन्हें हमेशा आदर और प्रेम देना चाहिए । प्रतिवर्ष वृद्धजन दिवस मनाने की सफलता इस बात में निहित है कि हम न केवल परिवार मे बल्कि समाज मे , कार्यस्थल में , सार्वजनिक स्थलों पर और अपने जीवन मे हमेशा वृद्ध जन जिस सम्मान के अधिकारी हैं उन्हें उनका अधिकार दें ।

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