92 साल की उम्र में लता दीदी छोड़ गई दुनियां ।
दबंग न्यूज लाईव
रविवार 06.02.2022
मुबंई – लता मंगेशकर या लता दीदी 92 साल की उम्र में दुनिया से अलविदा कर गई । तेरह साल की उम्र में भारतीय सिनेमा में अभिनय और गायकी शुरू करने वाली लता मंगेशकर ने बाद मे ंअभिनय का छोड़ सिर्फ गायकी में ध्यान दिया और अपनी गायकी से पूरे विश्व को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
उम्र के इस पड़ाव में भी उन्होंने अपने से कई साल छोटी अभिनेत्रियों के लिए गाने गाए लेकिन काल के गाल से कोैन बचा है । लताजी का आज मुंबई के एक नीजि अस्पताल में देहांत हो गया । पिछले कई दिन से वो आईसीयू में थी और आज सुबह से ही रह रह के उनके स्वास्थ्य को लेकर अफवाहें फैल रही थी । और इसके साथ ही गायकी की एक विरासत का अंत हो गया । लताजी आज भले हमारे बीच ना हो लेकिन उनकी मधुर आवाज हमेशा लोगों के कानों में गंुजेंगी ।
जिस समय लताजी ने पार्श्वगायिकी में कदम रखा तब इस क्षेत्र में नूरजहां, अमीरबाई कर्नाटकी, शमशाद बेगम और राजकुमारी आदि की तूती बोलती थी. ऐसे में उनके लिए अपनी पहचान बनाना इतना आसान नही था. लता का पहला गाना एक मराठी फिल्म कीति हसाल के लिए था, मगर वो रिलीज नहीं हो पाया.
28 सितम्बर 1929 को इंदौर में लता मंगेशकर का जन्म गोमंतक मराठा समाज परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सबसे बड़ी बेटी के रूप में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता रंगमंच के कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना।
लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। लता दीदी को भारत सरकार ने भारतरत्न से सम्मानित किया है।
1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म महल के आयेगा आनेवाला गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और
पुरस्कार – फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993, 1994) राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975, 1990) महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966,1967) 1969 – पद्म भूषण , 1974 – दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड , 1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार , 1993 – फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार , 1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 1997 – राजीव गान्धी पुरस्कार , 1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार, 1999 – पद्म विभूषण, 1999 – ज़ी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 2001 – भारत का सर्वाेच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न , 2001 – नूरजहाँ पुरस्कार, 2001 – महाराष्ट्र भूषण ।