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मरवाही उपचुनाव रिजल्ट एक कदम दूर , लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं कोई जीते , कोई हारे ।

ना हारने पर सरकार पर कोई संकट ना जीतने पर फायदा ।

दबंग न्यूज लाईव
रविवार 08.11.2020

संजीव शुक्ला

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मरवाही – मरवाही उपचुनाव के नतीजे दस तारीख को सामने आ जाएंगे । लेकिन इस नतीजे से गणितीय संख्या के आधार पर ना तो कांगेस को फर्क पड़ना है ना भाजपा को । यदि कांग्रेस ये सीट जीत जाती है तो भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ता और हार जाती है तो भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा । यही हाल भाजपा का भी होना है हार जीत से उनकी पोजिशन पर कोई खासा अंतर नहीं आना है ।


लेकिन इस चुनाव के नतीजे आंकड़ों के दिगर कुछ और ही अहमियत रखेंगे । चुनाव के नतीजे तय करेंगे कि कांग्रेस और भाजपा ने इस चुनाव में क्या खोया और क्या पाया है ? दोनों प्रमुख दलों की आगे की रणनीति क्या होगी ? रही बात जनता कांग्रेस की तो उसने इस चुनाव में अपना आगला पिछला सब खो दिया है । पार्टी छिन्न भिन्न हो गई है । कार्यकर्ता और समर्थकों के साथ ही उसके विधायक भी दो खेमों में बंट गए हैं । जिस पार्टी ने प्रदेश में एक अलग और क्षेत्रीय पार्टी के रूप में काम करने का भरोषा प्रदेश को दिलाया था वो बीच मझधार में ही खो रहा है ।


पूरे चुनाव में यदि किसी पार्टी को नुकसान है तो वो है जनता कांग्रेस जिसका सब कुछ पीछे छुट गया । इस चुनाव ने उसके कुनबे की शक्ति को कम कर दिया ।

फाईल फोटो

लेकिन इस चुनाव के नतीजों के बाद ये भी तय होगा कि क्या दो साल के कार्यकाल में कांग्रेस चुनाव जीतने लायक काम कर पाई है । या फिर जिस प्रकार मरवाही में साम दाम दण्ड भेद की नीति अपनाई गई । जैसे मरवाही में जनता कांग्रेस को कंगाल किया गया और जैसे भाजपा को बैकफुट में डाला गया वैसी ही नीति आने वाले मुख्य चुनाव में भी कांग्रेस अपनाएगी । यदि कांग्रेस हार जाती है तो फिर उसे गंभीर मंथन करना होगा कि चुनाव को शालिनता से और अपने काम के दम पर लड़ना चाहिए ना कि दुसरी पार्टी को खतम करके अकेले मैदान में होने का भ्रम पालकर लड़ा जाए ।

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यदि कांग्रेस ये चुनाव हारती है तो इसका मुख्य कारण यहां पिछले तीन माह में कांग्रेस के किए प्रचार के तरीके और जनता कांग्रेस को खतम करने के लिए उतावले होने को जाएगा क्योंकि मरवाही की जनता देख तो सब रही थी । और यदि जीत जाती है तो फिर यहीं कहा जाएगा कि राजनीतिक चुनाव की एक नई परिपाटी इस चुनाव ने लिख दी है कि सत्ता में हो तो अपने विपक्षी को बुरी तरह मैदान से हटा दो ।

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रही बात भाजपा की तो शुरू से ही भाजपा यहां के चुनावी फे्रम में तीसरे नम्बर पर थी जब तक जनता कांग्रेस फे्रम से बाहर नहीं हुई थी । लेकिन जनता कांग्रेस के बाहर होते ही भाजपा सामने आ गई और लड़ाई आमने सामने की हो गई । यदि भाजपा जीत जाती है तो एक विधायक की गिनती विधानसभा में और बढ़ जाएगी और यदि हार गई तो भी कोई बात नहीं क्योंकि मरवाही तो वो हारते ही आ रही है ।

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सबसे ज्यादा नुकसान जनता कांग्रेस का है कि इस चुनाव के बाद अपने बिखरे कुनबे को कैसे संभालता है और आगे की लड़ाई लड़ी जाती है । क्योंकि जनता कांग्रेस के सामने अब उसके खुद के असतित्व का खतरा खड़ा हो गया है ।
लेकिन दस तारीख का इंतजार कीजिए नतीजे काफी कुछ गुना भाग लेकर आएंगे जो आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति और पार्टीयों की दिशा के साथ ही यहां के नेताओं के भविष्य भी तय करेगें ।

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