लेकिन पोषण से जुड़ी दो महत्वपूर्ण खबरें जो आपको झाकझोर देंगी ।
एक बच्चे की कुपोषण से मौत तो दूसरी तरफ विभाग के 56 तकनीकी सलाहकारों के सामने रोजगार की गंभीर स्थिति ।
दबंग न्यूज लाईव
मंगलवार 01.09.2020
रायपुर से सुनिल शुक्ला के साथ बलरामपुर से धिरेन्द्र द्विवेदी ।
रायपुर – महिला एवं बाल विकास विभाग आज से प्रदेश में पोषण माह का शुभारंभ कर रहा है । जाहिर है जब विभागीय योजना और कार्यक्रम है तो जोर शोर से प्रचार प्रसार होगा । विभाग के अधिकारी आंगनबाड़ी तक कई कार्यक्रम चलाएंगे । लेकिन इस पोषण माह के आज शुरूवाती दिन ही प्रदेश में पोषण को लेकर दो बड़ी खबरें सामने आ रही है । दोनों खबरें अपने आप में काफी महत्वपूर्ण और संवेदनशील है ।
पहली खबर बलरामपुर जिले से आ रही है जहां कोडाकू जनजाति के एक बच्चे की भूख और कूपोषण से मौत हो गई । ये परिवार है बिफन का जिसका दो साल का नाती भूखमरी और कुपोषण से मर गया।
बिफन के 2 साल के नाती की तबीयत खराब हुई तो वो उसे लेकर अस्पताल पहुंचा लेकिन डाक्टरों ने उसे काफी कुपोषण ग्रस्त बताया। प्राम्भिक इलाज कर उसे घर भेज दिया बाद में बच्चे की मौत हो गई। वही महिला बाल विकास की माने तो सेक्टर के सीमा विवाद को लेकर आपस में ही कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारी से मुकर रहे है। महिला बाल विकास विभाग के कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये हमारे सेक्टर में नही आते है। जिसके चलते आज तक मृतक को रेडी टू इट,दूध,अंडा,तक नही मिला। और कुपोषण से उसकी मौत हो गई पूर्व में उसकी मां की भी मौत हो गई थी ।
इस संबंध में वाड्रफनगर विकास खंड के अनुविभागीय अधिकारी विशाल महाराणा ने बताया कि बच्चे की मौत कुपोषण से ही हुई है और महिला बाल विकास की घोर लापरवाही है अगर समय पर उसे पोषित आहार दिया गया होता तो उसकी मौत नहीं हुई रहती ।
इस मामले में एक और बात सामने आ रही है जो सबसे गंभीर है । इस बच्चे का पंजीयन यहां के आंगनबाड़ी केन्द्र में नहीं हुआ था । अधिकारी का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही होगी । जिस केन्द्र के अंतर्गत उसे आना था वहां बच्चे का पंजीयन क्यों नहीं हुआ ? आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की गलती है कार्यवाही होगी । याने अब उच्च अधिकारियों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस मामले में सूली में टंगाने मिल गई है । जबकि कार्यवाही सेक्टर सुपरवाईजर के साथ ही सीडीपीओ पर भी होनी चाहिए ।
दूसरी खबर प्रदेश के उन 56 तकनीकी सलाहकारों की है जिनकी सेवाएं आज से फंड ना होने और आगे की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण खतम कर दी गई है । इनके सामने भी अब अपने रोजगार , जीवन को लेकर संकट खड़ा हो गया है ।
2016 से प्रदेश के 12 जिलों में 56 लोग विभाग के स्वास्थ्य एवं पोषण कार्यक्रम के बेहतर संचालन के लिए तकनीकी सहायक के रूप में कार्य कर रहे थे । विभाग ने इनकी भर्ती आउट सोर्सिग के जरिए की थी जिले एवं विकासखंड स्तर पर की थी । और तीन तीन माह के लिए इनकी सेवा अवधी बढ़ाई जा रही थी । लेकिन सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब विभाग ने आउट सोर्सिग कंपनी काल मी को बोल दिया है आगे इनकी सेवा के लिए अनुमति प्राप्त नहीं हो रही है इसलिए इनकी सेवाएं समाप्त की जा रही है ।
हमने इन दोनों घटनाओं पर विभाग की डेप्यूटी डायरेक्टर श्रुती नेरकर जी से बात की लेकिन उन्होंने कहा कि वे इसके लिए अधिकृत नहीं है इसलिए कुछ नहीं बता सकती ।
जबकि तकनीकी सलाहकारों को कहना है कि विभागीय उदासिनता के चलते उनके सामने रोजगार और आर्थिक संकट पैदा हुआ है । विभाग के उच्च अधिकारी जिन्हें इस योजना में निर्णय लेना है नहीं ले पा रहे हैं ।
हमने इस संबंध में विभाग की मंत्री अनिला भेड़ीयाजी से भी बात करने कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई । अपने भविष्य को लेकर चिंतित तकनीकी सलाहकार कल रायपुर में धरना देने की सोच रहें हैं । शायद इनके भविष्य पर सरकार कोई ठोस निर्णय लेने का आश्वासन दे ।