राजनेताओं और प्रशासकीय उदासिनता के चलते गटर में समाता पंडरिया।
ना सड़क , ना नाली , ना स्वास्थ्य , ना शिक्षा लेकिन जिला बनने का सपना पाल रहे लोग ।
दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 25.08.2021
यदि किसी नगर की भव्यता ,उसका वैभव जानना हो और उसकी तरक्की समझना हो तो वहां की मूलभूत सुविधाओं को समझना जरूरी होता है जिससे पता चले कि इस शहर ने परत दर परत कितनी तरक्की की है ।
आज हम बात कर रहे है उस नगर की जिसका इतिहास तो काफी वैभवशाली रहा है , जहां की संस्कृति और परम्पराओं ने अपने समय में खुब नाम कमाया । लेकिन आज की दशा में इस नगर की क्या हालत है और कैसे ये नगर अपनी दुर्दशा को ढो रहा है ? नगर की वर्तमान स्थिति कैसी है ? इस पर पुरी रिपोर्ट तैयार की है इसी नगर में रहने वाले हमारे कबीरधाम के चीफ राजेश श्रीवास्तव ने । खबर बड़ी है इसलिए दो पार्ट में आपके सामने रखी जाएगी ।
पंडरिया – कबीरधाम जिले की इस सबसे बड़ी तहसील में जब आप प्रवेश करेंगें तो गांधी चौक में नियॉन साइन में चमकता हुआ हमारा पंडरिया लिखा एक स्थान दिखेगा उसके थोड़े फासले पर गाँधी और नेहरू जी की प्रतिमा दिखेगी । वर्तमान में इस नगर की बस इतनी ही उपलब्धि है । लापरवाह जनता ,भ्रष्ट प्रशासन और क्षुब्ध राजनीति का समन्वय इस नगर के विकास को सदा बाधित करता आया है । जनता की मूलभूत सुविधाओं को मुहैया करवाने में प्रशासनिक अकर्मण्यता चरम पर है । किसी भी शासकीय योजनाओं का बंदरबांट और आपसी भाईचारा यहां खूब फलता फूलता है । नगर के विकास की दिशा में जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अमला संज्ञाशून्य है ।
सड़कों का संकट – लगभग 35 वर्ष पूर्व पंडरिया नगर में लोक निर्माण विभाग के द्वारा रिंग रोड की शक्ल में एक सड़क बनाया गया था जो गांधी चौक से महामाया , कुशालबन्द , समरूपारा गधी तालाब होते पुराने बस स्टैंड से मिल जाता था । यह नगर के सभी मुख्य वार्डों के बीच से निकलने वाला नगर का एकमात्र सुविधा जनक मार्ग है ।
लेकिन पुरी सड़क पर बड़े बड़े गड्ढे और गिट्टियां बिखरी मिलेंगी , जिसके चलते छोटी- मोटी दुर्घटनायें होना यहां आम बात है । इस सड़क को बनाने की दिशां में अनेक वर्षों से प्रयास किये जाते रहे है लेकिन कभी टेंडर कैंसिल हो जाता है तो कभी ठेकेदार पेमेंट लेकर भाग जाता है । कभी कभार दो चार ट्रक सीमेंट की जगह डस्ट में मिला कर ज्यादा बड़े हुए गड्ढो में गिट्टी जरूर भर दी जाती है ।
इसी तरह वार्ड 13 से नवागांव जाने के लिए आपको लगभग डेढ़ किलोमीटर दलदल में घुटनो से ऊपर कीचड़ से होकर गुजरना होगा । बरसात के दिनों में अनेक वार्ड में निकासी की समुचित व्यवस्था नही होने से नाली का गंदा पानी लोगों के घरों में घुस जाता है । ड्रेनेज की अव्यवस्था के कारण नालियों की गंदगी सीधे तालाबों में जाकर गिरती है ।
सबसे बड़ी समस्या नगर से लगे हरि नाले की है जिसके प्रवाह को अवैध कब्जा करके अवरुद्ध कर दिया गया है । बारिश होने पर यह नाला मार्ग को घण्टों अवरुद्ध कर देता है । हर वर्ष इस नाले में कई गाड़ियां फंस कर गिर जाती है । हांफ नदी में बना पुल भी पूरी तरह जर्जर हो गया है । पुल के ऊपर से गुजरें तो दहशत होता है। इस सम्बंध में अविलम्ब ठोस उपाय करने चाहिए ।
रेल के खेल में छला गया पंडरिया – रेलवे मंत्रालय ने सन 2018 में राजनांदगांव से कबीरधाम पोंडी , पांडातराई पंडरिया , लोरमी, मुंगेली आदि स्थान से होते हुए कटघोरा तक रेल लाइन बनाने की योजना शुरू की है । प्रस्तावित मार्ग में शक्कर के दो बड़े कारखाने और छोटे बड़े कस्बे नगर आदि जुड़ते थे । सभी तरह से इस मार्ग पर रेलगाड़ी का चलना मुफीद होता । सर्वे में जिन किसानों की जमीन निकलती वह लंबे मुआवजे के स्वप्न देखता रहा , इस बीच गोपनीय तरीके से कवर्धा से सीधे मुंगेली को जोड़ने वाले नए मार्ग का सर्वे हुआ और किनारे किनारे की जमीनों को जमीन के कारोबार से जुड़े दलाल और भूमाफियाओं द्वारा औने-पौने दामों में खरीद लिया गया । पुराने मार्ग को परिवर्तित करके अब अगर इस नए रुट पर रेलवे अपनी पटरी बिछाता है तो इन दलालों के बल्ले-बल्ले हो जाएंगे ।
रेलवे रुट को परिवर्तित किये जाने के विरोध में पंडरिया के हर वर्ग के लोगों ने पुरजोर तरीके से विरोध किया था । रेलवे संघर्ष समिति पंडरिया के बैनर तले लम्बे समय तक भूंख हड़ताल भी चला । यहां तक कि दिल्ली के जंतर-मंतर में भी नगर और आसपास के लोग धरना प्रदर्शन करके आ गए पर नतीजा अब तक वही ढाक के तीन पात नजर आता है । कुशल नेतृत्व के अभाव में हमारा पंडरिया सदा पिछड़ता आया है ….!
जिले का जंजाल – छत्तीसगढ़ शासन ने मंशा जताई है कि नाम के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य के 36 जिले होंगे । सम्भावित नगरों में पंडरिया के नाम जुड़ जाने और जिला बन जाने की संभावनाओं की कल्पना से लोग खुश होते दिख रहे हैं , पर यह प्रसन्नता भी रेल कॉरिडोर में पंडरिया को काट दिए जाने जैसी साबित होगी । राज्य विभाजन के बाद जब नए जिलों का गठन होना था तब नगर के नेतागण , जनप्रतिनिधियों और नागरिकों ने पंडरिया को जिला बनाये जाने के सम्बंध में उदासीनता बरती । किसी प्रकार की कोई मांग नही , आंदोलन नही । जिला बनाये जाने की सुगबुगाहट से लोग प्रसन्न भले हो रहे हों पर अनेक कारणों और अड़चनों के चलते पंडरिया के जिला बन पाने में सन्देह है ।