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मंडला राजा के बावन गढ़ों में से एक था पंडरिया , 1750 ईसवी में राजा दलपत शाह ने इस नगर का निर्माण करवाया था ।

जंगल पहाड , सुरंग ,नाले सभी रहस्यमय , ऐसी जगह जहां जाने के बाद आपको लगेगा कि आप दुसरी दुनिया में आ गए हैं ।

दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 13.06.2021

सालों साल पहले आखिर लोग कैसे रहते होंगे ? कैसे जीवन यापन करते होंगे और कैसे हम उस दौर से निकलकर यहां तक आ गए कि अपनी विरासत और अपने आस पास की जगह से अनजाने हो गए । आज हमें कोई हमारे उसी आस पास की जगह ,घटनाओं और उसके इतिहास के बारे में बताता है तो हमें आश्चर्य होता है कि क्या वाकई ऐसा हुआ था या हुआ होगा ? लेकिन जो अवशेष मिलते हैं वो इतिहास की बातों की पुष्टि करते हैं । आज के दुसरे अंक में पंडरिया के आस पास की अदभुत जगहों के बारे में बता रहे हैं पर्यटक संपादक राजेश श्रीवास्तव

पंडरिया –
कबीरधाम जिले के पंडरिया तहसील के इर्द गिर्द कई किमी के दायरे में आपको अत्यंत मनोरम , रोमांचक , ऐतिहासिक , पौराणिक और पुरातात्विक महत्व के अनेकों स्थल देखने को मिल जाएंगे । पंडरिया नगर निर्माण से पूर्व मुकुटपुर परतापगढ़ के नाम से वर्तमान नगर से दूर पहाड़ों और जंगलों के बीच आबाद था । यह गढ़ मण्डला राजा के बावन गढ़ों में से एक था । सन 1750 ईस्वी में राजा दलपत शाह ने पंडरिया नगर का निर्माण करवाया ।

इस राज्य की सीमाओं के भीतर प्राचीन काल के अनसुलझे , अबूझे और रोमांचक रहस्यों को अभी भी बहुत कम लोग जान पाते हैं , आइये जानते हैं पंडरिया क्षेत्र के कुछ अनसुलझे रहस्यों को ।

मन्त्र से प्रकट जलस्त्रोत (चितावर) -पंडरिया से दस किलोमीटर उत्तर पूर्व दिशा में बदौरा नामक एक वन ग्राम है जहां मन्त्रशक्ति से चितावर की स्थापना करके जल का स्त्रोत नाला के रूप में प्रकट किया है । यह चितावर उस स्थापित क्षेत्र में बारहों महीने जल आपूर्ति करता है । इस चितावर का एक रहस्य यह है कि यह नाला इसी ग्राम से निकल कर इसी ग्राम में लुप्त हो जाता है । चितावर के उद्गम स्थल के करीब भ्रामरी-देवी की एक छोटी सी मड़िया बनी है । ऐसे चितावर की रचना बड़े बड़े मांत्रिक तांत्रिक लोग ही कर सकते थे , इसलिए इसे एक अलौकिक नाले के रूप में माना जाता है । बारहों महीने इस नाले में स्वच्छ निर्मल और शीतल जल प्रवाहित रहता है । बदौरा में वन विभाग की नर्सरी और प्राचीन डाक बंगला है । इस जगह में भालू की बहुतायत है इसलिए किसान पेड़ों के ऊपर मचान बनाकर अपने फसलों की रखवाली करते हैं ।


पोंडाडोंगर – बदौरा के अंदर की पहाड़ियों में एक स्थान है पोंडाडोंगर । पोंडा छत्तीसगढ़ी में छेद को कहा जाता है । इस पहाड़ी में अनेकों भूलभुलैया रूपी सुरंगें हैं । पुराने लोग बताते थे कि एक अंग्रेज अफसर शिकार खेलते हुए एक घायल शेर का पीछा करते हुए इसी पोंडाडोंगर की एक गुफा में घुसा था और दुर्भाग्य से उस गुफा से वापस नही लौट सका । आज भी यहां की उस गुफा में उसका मृत कंकाल और राइफल मौजूद होगा । सागौन के घने और शताब्दी वन होने के कारण यह जंगल भालुओं , हिरणों , तेंदुओं आदि जंगली जानवरों का प्राकृतिक आवास है ।

सुरजपुरिहा , छेरीखुरी और नँगारा कोनहा – बदौरा के दक्षिण भाग में अत्यंत प्राचीन एक गुफा है जिसे स्थानीय जन सुरजपुरिहा के नाम से पुकारते हैं । जनश्रुति है कि कभी सूरजपुर के राजा ने अपने लाव लश्कर के साथ इस स्थान पर पड़ाव डाला था । ग्रामीण जनों ने बताया कि इस स्थान से पूर्वकाल में लोहे के अनेकों औजार यत्र तत्र बिखरे पड़े थे । इस गुफा के बाहरी छोर की तरफ एक दरार से लोहे का मोटा सांकल लटका हुआ है ।

 

अनेक लोगों ने यहां अथाह सम्पत्ति होने और देखने का दावा किया है । पहाड़ी के एक खास कोने में एक बेहद चिकना पत्थर है जिस पर प्रतिदिन जंगल का राजा बैठता है और पहाड़ी के तीनों तरफ निगाह रखता है । यहां पर भी भ्रामरी देवी का निवास माना जाता है । किसी भी प्रकार के गलत कार्य होने पर लाखों की संख्या में मधुमक्खी टूट पड़ती हैं । पर्वत के नीचे कुछ फर्लांग आगे एक पहाड़ी दर्रा है इसके चारों तरफ की चट्टानों में बकरी के खुर के निशान बने हुए हैं इसलिए इस स्थान को छेरीखुरी के नाम से जानते हैं । कुछ आगे जाने पर नँगारा कोनहा नामक एक स्थान हैं जहां नगाड़े के बनावट की तरह पत्थर है । इसे पत्थर से ठोकने पर नँगाड़े की आवाज आती है ।


लक्ष्मण पांव – बदौरा की इन रहस्यमयी पहाड़ियों के आगे एक लक्ष्मण पांव नामक स्थान है । जहां एक विशाल शिलाखण्ड पर दो चरण युगल के चिन्ह निर्मित है । वनवास काल मे इन्ही क्षेत्रों को पार कर प्रभु श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण जी आगे दण्डकारण्य की दिशा में अग्रसर हुए थे । यह पहाड़ी अत्यंत रहस्यों से भरी हुई है , किवदंती है कि इस पर्वत पर इच्छाधारी और मणियुक्त नाग का जोड़ा अनन्तकाल से निवास कर रहे हैं । अनेकों बार लेखक सहित ग्रामवासियों ने इस पर्वत पर कभी एक कभी दो रोशनी पुंजों को दूर से देखा है । तीव्र प्रकाशमान यह रोशनी पुंज घण्टों तक एक जगह प्रकाशित रहते हैं ।


आज की दुनियां इन रहस्यमयी और अलौकिक बातों पर भले इत्तफाक न रखती हो लेकिन इन जगहों में जाने के बाद आपका भ्रम टूट जाता है ।

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