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Pandriya – पंडरिया में अतिक्रमण का खेल , शासकीय भूमि , मन्दिर और तालाबों की जमीन निशाने पर ।

राजस्व रिकार्ड में हेरफेर और कूटरचना
श्मशान में बस रहे लोग नगर पंचायत बेखबर

दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 29.10.2021

राजेश श्रीवास्तव

अगर आप पंडरिया के निवासी हैं और अपनी किसी जमीन को छोड़कर आठ दस सालों से नगर के बाहर हों तब हो सकता है जब आप लौटकर आएं तो वह जमीन किसी और की हो चुकी होगी ..अतिक्रमणकारी की नजरें इस पर पड़ चुकी होगी ।


नगर की अनेक शासकीय जमीनों , तालाबों के पार या किसी मंदिर की खाली जमीन या आपकी खुद की खाली पड़ी जमीन इनके निशाने पर हो सकती है । आप कब्जा करिए कुछ सालों बाद कमीशन देकर राजस्व विभाग से अपने नाम से पर्ची पट्टा बी वन कुछ भी बनवा सकते है ।


नगर के प्रमुख तालाब गोपीबन्द, लक्ष्मी बंद आदि के इर्द गिर्द बेजा कब्जाधारियों ने अवैध कब्जा कर बाकायदा घर भी बनवा लिया है । आलम यह है कि लोग अब श्मशान में भी बसने लगे हैं । वर्षों से नगर में शासकीय भूमि , मन्दिर की जमीन , और तालाबो के राजस्व रिकार्ड में कूटरचना करके राजस्व अमले ने कई लोगों पर उपकार किया है । दबंग न्यूज लाइव के पास ऐसे अनेकों मामलों के दस्तावेज उपलब्ध हैं जिसमे वर्षों से होते आ रहे फर्जी नामांतरण और कूटरचना कर राजस्व रिकार्ड से छेड़छाड़ की गई है ।


मुर्दों की जान खतरे में …शायद यह कहावत इसी लिए बनी हो कि जब मनुष्य मरकर शांति से अपने कब्र में सो रहा हो और उस जगह पर जिंदा इंसान जाकर बसने लगे तब उस मुर्दे की जान को खतरा हो .. लोगों का यही दुस्साहस इसी बात को चरितार्थ करता है । वर्षों से गोपीबन्द मुहल्ले में स्थित श्मशान में मृतकों के दाह संस्कार और अन्य कार्यों के लिए एक सर्व सुलभ कक्ष शेड चबूतरा पेयजल आदि की मांग की जाती रही है लेकिन नगरीय प्रशासन के कानों पर जूं नही रेंगता । लोग मजबूरी वश खुले में चिता जलाने पर मजबूर होते हैं । गर्मी और बारिश के दिनों में तो लोगो की हालत खराब हो जाती है । अगर कभी इस पर कोई योजना भी बनती है तो आधी अधूरी जिस पर तुर्रा यह कि कमीशन के खेल में या किसी रसूखदार व्यक्ति के दबाव में योजना की राशि बंट जाती है , कागजों पर खर्च दर्ज हो जाता है और समस्याएं जस की तस रह जाती है ।


हर पांच वर्ष में नगर पंचायत के प्रतिनिधि बदलते हैं जनता आस लगाए देखती है , आश्वासन और झूठे वादे कर लोग सत्ता में आ जाते है फिर वह भी हिस्से बांटे की गणित हल करने में व्यस्त हो जाता है । इस तरह आमजन की बुनियादी सुविधाएं और आवश्यकताएं अगले परिवर्तन तक के लिये अधूरी रह जाती है , फिर और फिर बस यही खेल होते रहता है ।
जब तक इस नगर में प्रशासन कठोरता से कम नही करता , जनप्रतिनिधि अपनी भूमिका का निर्वहन ईमानदारी से नही करता , जनता जागरूक होकर सही गलत में फर्क नही करती तब तक इस नगर की दशा दिशा में सुधार आ जाए यह सम्भव नही दिखता ।

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