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पार्ट 2- दो करोड़ की लागत से बन रहे प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना की बदहाली का आलम ।

अगर कुरदर तरफ जाने की सोच रहे हैं तो संभल के जाईएगा क्योकि घाट पर बनी वाल धसक गई है ।

दबंग न्यूज लाईव
शनिवार 29.08.2020

 

रगीरोड कोटा दबंग न्यूज लाईव में कल कुरदर तक बन रही पीएमजेएसवाई की सड़क का हाल बताया गया था आज इस खबर का दुसरा हिस्सा पढ़िए मंजर भोपाली के इस शेर के साथ – जो चाहे किजिए कोई सजा तो है नही , जमाना सोच रहा कि खुदा तो है नही


बेहरामुड़ा से कुरदर तक लगभग 12 किमी में पीएमजीएसवाय के तहत लगभग दो करोड़ की लागत से सड़क का निर्माण हो रहा है । इसमें सड़क निर्माण के साथ ही रिटेनिंग वाल का भी काम है । लेकिन अपने बनने के साथ ही ये सड़क और रिटेनिंग वाल अपनी दुर्दशा की कहानी कहने लगे हैं ।


आप इसी से अंदाजा लगा सकतें हैं कि जो सड़क एक बारिश भी नही सह पा रही कितने दिनों तक साथ देगी जबकि फिलहाल इस सड़क पर आवागमन का कोई ज्यादा भार नही है । हांलाकि विभाग के अधिकारियों द्वारा सड़क की इस टूट के लिए उस स्थल की भौगोलिक परिस्थिति को अर्थात पहाड़ी की भूरभूरी मिटटी एवं इस वर्ष हुए अधिक बारिश को जिम्मेदार घटक बताया जा रहा है ।


समझने वाली बात ये है कि विभाग द्वारा इस पहाड़ी की भौगोलिक परिस्थिति को ध्यान में रखकर सड़क के निर्माण की योजना तैयार क्यों नही कि गयी ? क्यों सरकारी पैसे के धराशायी होने के बाद ये समझ विकसित हो पायी है कि सड़क का सर्वे कार्य और निर्माण ही सही ढंग से नही हो पा रहा ? जिसके कारण सड़क टूट रही है । या फिर निर्माण गुणवत्तापूर्वक नही किया जा रहा है पर सच तो यह है कि दोनो ही बातें सही है ।


स्पष्ट है कि इसके निर्माण के दौरान मानकों की अनदेखी की गयी है । यदि सड़क निर्माण के दौरान गुणवत्ता की जांच विभाग के द्वारा उचित तरीके से की गयी होती तो आज ये सड़क खस्ता हाल न होती सड़क निर्माण में इस हद तक थूक पालिश किया गया है कि जहां सड़क पर डामर की मोटी परत होनी चाहिए वहां हरी हरी घास उगी हुई है और विभाग के अधिकारी बेशर्मी से कहते हैं कि गुणवत्ता से कोई समझौता नही किया गया है अगर सड़क का निर्माण ईमानदारी से किया गया है तो डामर पर घास उगी कैसे ?

निर्माण की कुल राशि का एक बड़ा हिस्सा पांच वर्षों तक इस सड़क की मरम्मत के लिए सुरक्षित रखा जाता है । ठेकेदार इस मरम्मत कार्य के लिए सरकार से पांच वर्षों के लिए अनुबंधित होता है। इसका मतलब अगर गड़बड़ी हुई तो ठेकदार को भुगतना ही पड़ेगा अब मामला आकर अटकता है वहां के क्षेत्र की जनता पर कि वो कितनी सहनशील है अगर अनुबंध का यह समय बिना हल्लागुल्ला के बीत गया तो ठेकेदार के पैसे बच गये पर यहां विभाग के अधिकारियों की तो चांदी ही चांदी है उनको पहले का कमीशन तो मिलता ही है मरम्मत में गोलमाल का भी मिल जाता है। काम बिगड़ गया तो ठेकेदार जाने ।


पीएमजेएसवाई के कार्यपालन अभियंता  वरूण राजपूत का कहना था – जो रिटर्निग वाल धसक रही है वो पुरानी है अभी हम सिर्फ पांच रिटर्निग वाल ही बना रहे है और वो सुरक्षित है । वैसे वहां काम करना काफी मुश्किल है । यहां की मिट्टी भुरभुरी है और तेज पानी के बहाव के कारण ऐसा हुआ है ।

सहीं भी है कार्यवाही तो तभी होती है जब सदन में कोई सवाल उठाए ,अब हर चिज तो सदन में उठाया नहीं जा सकता ।

पार्ट 3 में पीएमजेएसवाय की एक और बदहाल सड़क का हाल जानिएगा ।

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