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pendra exclusive -दस दिन के अंदर तीन नोटिस और सरपंच ने चला दिया घरों पर बुलडोजर ।

एक तरफ सरकार भूमिहीन को जमीन दे रही दुसरी तरफ सरपंच ने लोगों को आवासहीन कर दिया ।

तहसीलदार का कहना – यदि लोगों के पास जमीन के कागज हैं या वो भूमिहीन हैं तो फिर सामने आना था ।

दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 15.10.2021

कृष्ण कुमार पाण्डेय

पेण्ड्रा – प्रदेश में इन दिनों राजीव गांधी भूमिहीन योजना के तहत सरकार ऐसे लोगों को भूमि देने की तैयारी कर रही है जिनके पास जमीन नहीं है । हर पंचायतों में इसके लिए बकायदा आवेदन लिए गए हैं और आने वाले समय में ऐसे लोगों को जिनके पास जमीन नहीं है उन्हें जमीन दिया जाएगा ।


लेकिन दुसरी तरफ पेण्ड्रा जनपद के अंतर्गत आने वाले नवागांव पंचायत में सरपंच ने वहां सालों से निवास कर रहे लोगों को दस दिन में तीन नोटिस देकर उनके घरों को तुड़वा दिया है । ऐसे में ये सभी बेघर लोग पेड़ों के निचे रहने को मजबूर हो गए हैंं ।


दशहरे और दिवाली के समय जब लोग अपने घरों में रंग रोगन और सजावट की तैयारी करते हैं उस समय नवागांव पंचायत के कुछ परिवार अपने आशियाने की बांस बल्ली और इंट पत्थरों को समेटने में लगे हुए हैं ।


पूरा मामला पेण्ड्रा जनपद के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत नवागांव का है यहां सालों से रामेश्वर ,फूलसिंह, पुरषोत्तम , किशोर ,वासुदेव, अमृतलाल सोनी बृजलाल वर्मा नंद कुमार रजक विजय कुमार निखिल आदि के परिवार निवासरत थे इनका कहना है कि उनके पास किसी भी प्रकार की अन्य जगह भूमि नहीं है और वे भूमिहीन हैं। पंचायत का कहना है कि ये सभी सरकारी जमीन पर निवासरत हैं और इनके पास अपनी खुद की भी जमीन है ऐसे में इनसे सरकारी जमीन खाली करवाई जाए । सरपंच ने इसके लिए दस दिन के अंदर तीन तीन नोटिस देकर यहां रह रहे लोगों के मकान तोड़ दिए ।


पंचायत के द्वारा पहली नोटिस 27 सितम्बर को , दूसरा तीस सितम्बर को और तीसरा नोटिस 5 अक्टूबर को देने के बाद 6 अक्टूबर को सभी के घरों को तोड़ दिया गया । मजे की बात ये है कि इस समय यहां तहसीलदार भी मौजूद थी लेकिन उन्होंने यहां रह रहे लोगों की बात ही नहीं सुनी कि उनके पास कोई दस्तावेज जमीन में रहने को लेकर हैं या नहीं या जो लोग यहां रह रहे हैं वो कितने सालों से यहां निवास कर रहे हैं ।


सरपंच का कहना था कि – जिस जमीन पर लोग निवास कर रहे थे वो जमीन बाजार के लिए प्रस्तावित है । इन लोगों के द्वारा बाकी जमीन पर अपने रिश्तेदारों को लाकर बसाया जा रहा है ऐसे में पंचायत की शासकीय जमीन ही खतम हो जाएगी तो फिर विकास कार्य कैसे हो पाएंगे ।


दबंग न्यूज लाईव से बात करते हुए तहसीलदार इंदिरा मिश्रा का कहना था – पंचायती राज में सरपंच को ये अधिकार है कि वो तीन नोटिस देकर जमीन खाली करवा सकता है । और यदि ये परिवार वहां सालों से निवासरत हैं तो उन्हें पहली नोटिस के बाद ही स्टे वगैरह ले लेना था ।

तहसीलदार मैडम और सरपंच की बात मान लो ठीक हो लेकिन क्या ये नहीं सोचा जाना चाहिए कि सालों से यहां रह रहे लोगों को सिर्फ दस दिन में तीन नोटिस देकर मकान तोड़ देना कहां तक जायज है ? क्या अधिकारियों को ये नहीं देखना चाहिए कि क्या पीड़ित लोगों के पास अपने जीवन यापन के लिए और साधन हैं कि नहीं ? यदि लोगों को ऐसे ही बेघर करना है तो फिर आवास योजना और राजीव गांधी भूमिहीन योजना की जरूरत ही क्या है ?

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