भालू की मौत से करते रहे इंकार , दिनभर ढुंढने का नाटक जबकि रात में ही जला दिया था भालू के शव को ।
दबंग न्यूज लाईव पर मामले का खंडन छापने के लिए डाला जा रहा था दबाव ,लेकिन हमने नहीं मानी उनकी बात ।
दबंग न्यूज लाईव
मंगलवार 30.03.2021
Sanjeev Shukla
बिलासपुर – अचानकमार टाईगर रिजर्व में पिछले कुछ दिनों में जिस प्रकार से वन्य प्राणीयों की शिकार के चलते मौत हुई है उसने पुरे प्रदेश के वन्य प्रेमियों को हिला के रख दिया था लेकिन एटीआर प्रबंधन इतना निकम्मा निकला था कि उसने पूरे मामले से ही पल्ला झाड लिया था ।
दबंग न्यूज लाईव ने 21 मार्च को सबसे पहले बायसन की मौत की खबर प्रकाशित की । बायसन के शिकार को तीन दिन हो गए थे लेकिन अधिकारियों को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था । खबर के बाद अधिकारी कर्मचारी जंगल की तरफ भागे और अगले दिन मामले को दबाते हुए बायसन की मौत को स्वाभाविक मौत बता दिया जबकि हमने उस समय कहा था कि बायसन की मौत स्वाभाविक नहीं करंट द्वारा शिकार से हुई है ।
उसके बाद 26 मार्च को हमने भालू की शिकार की मौत की खबर प्रकाशित की इस खबर ने एटीआर प्रबंधन की नींद उडा दी । खबर प्रकाशित होने के बाद वन विभाग के अधिकारी रात में ही जंगल पहुंच गए थे और पूरी रात भालू को ढूंढते रहे । इसी रात तीन बजे से एटीआर प्रबंधन ने कुछ लोगों से हमें फोन भी कराया और लोकेशन जानने की कोशिश की । भालू को ढूंढने का नाटक एटीआर प्रबंधन दुसरे दिन बारह बजे तक करता रहा ।
अगले दिन एटीआर के एक रेंजर खान सुबह से ही हमारे पास पहुंच गए और भालू के ना मिलने की बात कहते हुए हमसे खबर का खंडन करने को कहने लगे जब हमने इस बात से इंकार किया तो वे हमारे सूत्रों के बारे में पूछने लगे जब हमने ये भी नहीं बताया तो वे फिर धमकी के स्वर में बोलने लगे कि खबर का खंडन का छाप दो या फिर कार्यवाही की जाएगी । इस पर हमने कहा कि आप लोगों को जो करना है वो कर सकते हैं ना खबर का खंडन किया जाएगा और ना ही सूत्रों के नाम बताए जाएंगे ।
एटीआर के जो अधिकारी रात और सुबह तक भालू की लाश को ढूंढने का नाटक करते रहे उन्होंने रात में ही भालू के शव को जला कर सबूत को नष्ट करने का काम किया था और भालू की मौत से साफ इंकार कर दिया था । एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर ने कई जगह इस खबर का खंडन करते हुए अफवाह बताया था ।
इस घटना के बाद ही अगले दिन ही तीन चितलों के शिकार का मामला सामने आ गया । जिसने एटीआर प्रबंधन के हर बात को झुठला दिया । बायन की मौत स्वाभाविक नहीं करंट द्वारा शिकार से हुई थी इसी प्रकार इसी दिन भालू की भी मौत हुई थी जिससे एटीआर प्रबंधन साफ इंकार कर रहा था । चितल के शिकारियों ने बाद में बताया कि उनके द्वारा ही दोनों वन्य प्राणियों का शिकार हुआ था ।
एटीआर प्रबंधन के इस झुठ ने वन्य प्राणियों की जान को और खतरे में डाल दिया है । भालू की लाश को जला कर सबूत नष्ट करने के बाद एटीआर के डाग स्क्वायड ने उसे ढूंढ निकाला ।
हद तो ये हो गई कि अधिकारियों ने इस अवशेष को भी ठिकाने लगा दिया । यदि जिम्मेदार अधिकारी इसी तरह शिकार की बात से इंकार करत रहे और दोषियों को बचाते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब एटीआर में वन्य प्राणीयों की संख्या नगण्य हो जाएगी ।
अचानकमार के रेंजर हमारे उपर दबाव डालने की अपेक्षा अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभाते तो शायद कई वन्य प्राणियों की जान बचाई जा सकती थी । एटीआर प्रबंधन अपने किसी भी कर्मचारी पर इसलिए भी कार्यवाही नहीं कर पा रहा है क्योंकि सभी के हाथ इन मामलों को दबाने में रंगे हुए हैं ।
एटीआर प्रबंधन ने भालू की मौत के खंडन पर प्रेस रिलिज जारी की लेकिन वो हम तक नहीं भेजी । जबकि उन्हें सबसे पहले इस खंडन को हम तक भेजना था । अब जबकि भालू की मौत की भी पुष्टि हो चुकी है तो देखना होगा कि सरकार एटीआर के अधिकारियों पर क्या कार्यवाही करती है ।