नए सत्र में शिक्षा की चुनौती , प्रदेश में पिछड़ती शिक्षा व्यवस्था को कैसे पटरी पर लाएं ।
अनेक स्कूलों में एक शिक्षक के भरोसे पहली से पांचवी तक की क्लास ..
परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स में छत्तीसगढ़ का स्तर चतुर्थ श्रेणी का .
राजेश श्रीवास्तव (ब्यूरो चीफ)
कबीरधाम 26 जून सोमवार .
भीषण गर्मी के चलते लगभग 10 दिन विलंब से स्कूल शिक्षा का नया सत्र आज से आरम्भ हो गया है ..कबीरधाम जिले के 76 उच्चतर माध्यमिक शाला,70 उच्च माध्यमिक शाला,490 पूर्व माध्यमिक शाला तथा 973 प्राथमिक शालाओं में आज से 15 जुलाई तक प्रवेश उत्सव शुरू हो गया है ..!
छत्तीसगढ़ राज्य की शिक्षा व्यवस्था का आलम यह है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और स्कूली सुविधाओ के लिए 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में छत्तीसगढ़ का स्थान 34वां और श्रेणी चतुर्थ है ..इन मामलों में हमारा राज्य सिर्फ मेघालय और त्रिपुरा से आगे है ..! छत्तीसगढ़ में शिक्षा की स्थिति भयावह है ..! स्कूल शिक्षा में सुधार के नाम पर लगातार कुछ न कुछ प्रयोग सरकार के द्वारा किया जाता है लेकिन नतीजा सिर्फ ढाक के तीन पात ..
कबीरधाम जिले के अधिकांश स्कूल , भवन , शिक्षक और बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहते हैं ..जिले के प्राथमिक स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे पहिली से पांचवी तक के कक्षाओं का भार होता है वहीं सुदूर वनांचलों में स्कूलों में शिक्षकों के नही पहुंचने पर विद्यार्थी मवेशी चराते नजर आएंगे या अपने घरेलू कार्य करते ..! ग्रामीण अंचल के बच्चे बाढ़ बारिश और आवागमन की असुविधा से हर वर्ष बाधित होते हैं ..!
राज्य शासन और शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता लाने तथा स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अनेको प्रकार के संसाधन अपनाए जाते हैं फिर भी शिक्षा का स्तर हर बार न्यून होता है ..!
स्कूल शिक्षा मंत्री पर पोस्टिंग और ट्रांसफर के नाम से भी लेनदेन के अनेकों आरोप लगे हैं ..
शिक्षा एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने ज्ञान के हस्तांतरण का एक प्रयास होता है,शिक्षा एक संस्था के रूप में काम करती है ..शिक्षा व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में मुख्य भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाये रखती है ..बच्चे शिक्षा के द्वारा समाज के आधारभूत नियमों, व्यवस्थाओं, समाज के प्रतिमानों और मूल्यों को सीखता है..बच्चों की भाषा और आचरण को उचित दिशा देने ,उनके अनुभवों को व्यवस्थित करने, उनकी रुचि रुझान और योग्यतानुसार कार्य विशेष में प्रशिक्षित करने और शिक्षा के प्रचार प्रसार हेतु औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा का विधान होना आवश्यक है ..!
कबीरधाम के 56 स्कूल समूहों बोड़ला, लोहरा तथा पंडरिया के कुछ स्कूल में कुछ लोकप्रिय स्कूल – पवित्र साम्राज्य, करपात्री, नवीन उच्चत्तर स्कूल,, ज्योति विद्या मंदिर, भोरमदेव पब्लिक ,अशोक पब्लिक, दिशा, होलीक्रास, विवेकानंद, गुरुकुल, अभ्युदय इंग्लिश मीडियम, शेमफोर्ड, महाराणा प्रताप , सरस्वती शिशु मंदिर होली किंगडम ,एम्बिशन , विद्यापीठ आदि स्कूलों की गुणवत्ता कुछ ठीक है ..!!
शिक्षा में सुधार के बहुत उपाय करने होंगे तब जाकर कहीं छत्तीसगढ़ का स्तर सुधर पायेगा ..और शिक्षा में राजनीति हुई तो हालात भगवान भरोसे है ही ..!
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