सीएम साहब ने बैठक में कहा प्रदेश में चार गुना बढ़ने चाहिए टाइगर ।
टाइगर की गिनती तो चार गुना बढ़ जाएगी लेकिन क्या वाकई टाइगर भी बढ़ पाएंगे ।
दबंग न्यूज लाईव
मंगलवार 20.12.2022
रायपुर – प्रदेश में कल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बैठक में वन विभाग के अधिकारियों से कहा कि प्रदेश में टाइगरों के संख्या चार गुणा बढ़ना चाहिए । लेकिन समस्या ये है कि चार साल पहले जब टाइगरों की गिनती देश में हुई थी तो पूरे देश से पॉजीटिव रिजल्ट आए थे और टाइगरों की संख्या 741 बढ़ गई थी लेकिन छत्तीसगढ़ में 46 टाइगर घट कर 19 ही रह गए थे । और इस साल टाइगर की गणना के चार सालना आकड़े जारी नहीं हुए हैं। फिर भी यह कहा जा सकता है कि बढ़ोतरी 19-20 हुई होगी।
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल की सदारत में कल 19 दिसम्बर सोमवार को रायपुर में हुई बैठक में छत्तीसगढ़ में टाइगर की संख्या चार गुना बढ़ोत्तरी पर माथा पच्ची हुई। लक्ष्य कोई अधिक नहीं इस छोटे राज्य में जंगल का क्षेत्रफल काफी है और यहां नदियां भी काफी हैं इसलिये सीएम की चाह पूरी हो सकती है।
मप्र के पन्ना में 2008 में टाइगर खत्म हो गई थे लेकिन अब इस टाइगर रिजर्व में 46 टाइगर का कुनबा है। ये सब उसके बाद पन्ना में लाये गए दो मादा और एक नर की बाद बढ़ी सन्तति है। तो फिर छत्तीसगढ़ में टाइगर की बढोत्तरी क्यों सभवः नहीं है ? लेकिन पन्ना में जो काम श्रीनिवास मूर्ति ने कर्मठता से किया, वैसी सोच,जानकारी और कार्यशैली के अफसर छत्तीसगढ़ में है क्या ? कोई भी जानकर कहेगा, नहीं यहां अभी वैसी तकनीकी दृष्टि से काम लेने वाला अफसर नहीं हैं।
बिग केट में संतान की बढ़ोतरी दर अच्छी होती है। क्योंकि वो शिकारी जीवों के राजा भी हैं इसलिए बाकी जीव उनसे दूरी बनाए रखने में भलाई समझते हैं। मां अपने शावकों की देखभाल जी जान लगा कर करती है और गुणात्मक गति से संख्या बढ़ती है। पर यह सब तभी हो सका है जब पन्ना के श्रीनिवासन मूर्ति सा कोई अफसर और वर्क कल्चर का माहौल बना सके।
इसके लिए जरूरी है वह वन विभाग के मोटी तनख्वाह पाने वाले अफसर जहाँ टाइगर हैं या लाये जाने वाले हैं वहां पहले प्री बेस बना लेवें। साथ ही टाइगर के लिए चीतल सांभर की पर्याप्त वृध्दि कर लेवें। जंगल की सीमा में उतने ही गांव रहे जीतनों को जंगल में काम मिल सकता है।
जंगल में मवेशी चराई पूरी तरह बन्द हो , गांवों का विस्थापन जल्द से जल्द हो जाये और जंगल से लकड़ी कटाई बंद हो , गर्मी के दिनों में भी जंगल में वन्यजीवो के पीने के लिए पानी की कमी नहीं होना चाहिए।
प्रदेश का अचानकमार टाइगर रिजर्व टाइगर रिजर्व तो बन गया लेकिन अभी तक इस टाइगर रिजर्व में कितने टाइगर हैं इसकी कोई पुख्ता जानकारी अधिकारियों के पास नहीं है । साथ ही अभी तक यहां के कोर जोन तक में गांव बसे हैं और चारागाह बने हुए है । स्टाप डेम बनाने के नाम पर कोर जोन में भारी मशीनों से खुदाई होती है और सैकड़ों पेड़ काट दिए जाते हैं जिनकी खबर समय समय पर सामने आते रहती है और हद तो ये है कि अभी भी कोर जोन में लोग बेधड़क रात गुजार आते हैं । ऐसे में अचानकमार में टाइगर की संख्या बढ़ेगी मुश्किल है ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सपना तभी साकार होगा जब वन विभाग के अफसरों की रात शहर के बंगले में नहीं जंगल में हो । बैठक में चार गुना टाइगर छतीसगढ़ में बढ़ाने की बात केवल जुगाली बन कर न कर रहे जाएं। उसे अंजाम तक वन विभाग पहुँचाए यह वन्य जीवों के साथ ही मानव समाज के लिए भी आवश्यक है ।
( लेख-आंशिक संशोधन के साथ वाईल्ड लाईफ बोर्ड के पूर्व सदस्य श्री प्राण चडढाजी की वाल से साभार I सभी तस्वीर शोसल मीडिया से साभार । )