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कोटा ,लोरमी और तखतपुर एक दुसरे से गुंथे इन विधानसभा में भाजपा प्रत्याशीयों के सामने आएगी ये समस्या ।

भाजपा ने इन तीनों करीबी सीटों पर बाहरी प्रत्याशीयों पर खेला है दांव , देखना होगा बीजेपी मतदाता के साथ ही अपने टिकट दावेदारों को कितना समझा पाते हैं ।

दबंग न्यूज लाईव
शनिवार 14 अक्टूबर 2023

Sanjeev Shukla

बिलासपुर – छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है ऐसे में सभी राजनैतिक दल अपनी अपनी गोटी फिट करने में लग गए हैं और हार जीत के समीकरण का गुणा भाग चालू हो गया है । ऐसे में बिलासपुर की दो कोटा , तखतपुर और मुंगेली की एक विधानसभा लोरमी सीट जो आपस में जुड़ी हुई है उनका समीकरण भाजपा के प्रत्याशी घोषित करने के बाद दिलचस्प हो गया है ।इन तीनों सीट में जो तीन प्रत्याशी भाजपा ने उतारे हैं तीनों पर ही उस विधानसभा से दिगर बाहरी विधानसभा के होने का ठप्पा लग रहा है और सबसे ज्यादा कोटा विधानसभा में ।


यदि इन तीनों विधानसभा के प्रत्याशीयो का इन विधानसभा से नाता देखें तो ये काफी दिलचस्प होगा । लोरमी से विधायक पद के प्रत्याशी हैं अरूण साव जो कि बिलासपुर जिले के सांसद हैं और काफी मिलनसार और व्यवहार कुशल माने जाते हैं । तखतपुर से इस बार भाजपा ने लोरमी से पूर्व में कई बार कांग्रेस के और पिछली बार जनता कांग्रेस से विधायक रहे धर्मजीत सिंह को टिकट दी है जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं , ये कई सालों से लोरमी विधानसभा से ही कांग्रेस और जनता कांग्रेस के विधायक रहे हैं ऐसे में तखतपुर इनके लिए नयी सीट होगी वो भी भाजपा के चिन्ह पर।


अब बात करते हैं कोटा विधान सभा की भाजपा ने यहां दो बार स्थानीय कार्यकर्ता को टिकट दी लेकिन दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा , इस बार उम्मीद तो यही थी कि स्थानीय की अपेक्षा पार्टी बाहरी उम्मीदवार ही यहां उतारेगी ऐसे में जो नाम सबसे उपर आ रहा था वो था सांसद अरूण साव का वो यहां के सांसद भी थे इसलिए उम्मीद ज्यादा थी इनके बाद आस पास के विधानसभा से ही कभी हर्षिता पाण्डेय तो कभी भूपेन्द्र सवन्नी का नाम सामने आ रहे थे लेकिन टिकट दी गई  स्व दिलीप सिंह जुदेव के बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को ।


ऐसे में इन तीनों विधानसभा सीटों पर बाहरी उम्मीदवारों पर भाजपा ने दांव खेल दिया । अब भाजपा के सामने इन विधानसभा के स्थानीय दावेदारों को मनाने की चुनौति सबसे बड़ी होगी क्योकि चुनाव मे पार्टियों को सबसे बड़ी चुनौति अपने स्थानीय नेताओं से ही मिलती हेै । पिछले चुनाव में कोटा विधानसभा से कांग्रेस को इसका अच्छा खासा अनुभव हो गया होगा ।


इन तीनों सीटों पर अब कांग्रेस के उम्मीदवारों का इंतजार सभी को बेसब्री से है । कोटा विधानसभा से कांग्रेस का उम्मीदवार भी बाहरी होने के संकेत हैं ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों के स्थानीय दावेदार अंदर अंदर कैसा रूख अपनाते हैं ये भी उनके हार जीत में बहुत बड़ा फैक्टर साबित होगा ।


यदि लोरमी विधानसभा में प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव की बात की जाए तो उन्हें लोकसभा चुनाव में लोरमी विधानसभा से कांग्रेस लगभग इक्कीस हजार वोटों से आगे थी और भाजपा को यहां इकहत्तर हजार से कुछ ज्यादा ही वोट मिले थे । लोरमी में साहू मतदाताओं के आंकड़ों को देखते हुए अरूण साव को यहां से उतारा गया है ऐसे में फिलहाल लोरमी से सांसद अरूण साव कांग्रेस से आगे ही नजर आ रहे हैं ।


तखतपुर से भाजपा के प्रत्याशी धर्मजीत सिंह काफी लोकप्रिय नेता रहे हैं तथा लोरमी विधायक रहते हुए आदिवासीयों के हक और अधिकार के लिए उन्हें हमेशा मोर्चा थामे देखा गया है । उनका जुझारूपन और उनकी लोकप्रियता के चलते और लोरमी से तखतपुर के जुड़े होने के कारण वे भी अच्छी टक्कर कांग्रेस को देंगे ।

भाजपा के लिए सबसे कठीन चुनौति कोटा में सामने आएगी । प्रबल प्रताप सिंह जुदेव वैसे तो पहले भी कई बार कोटा विधानसभा आ चुके हैं और युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं लेकिन मतदाताओं से उनका सम्पर्क वैसा नहीं है जैसा तखतपुर और लोरमी में दोनों भाजपा के उम्मीदवारों का है । कोटा में  प्रबल प्रताप सिंह अपने चुनाव प्रचार में निकल पड़े हैं , उनके काफिले में अभी युवा वर्ग ही ज्यादा नजर आ रहा है I

प्रबल प्रताप जुदेव हर वर्ग से मुलाकात कर रहे हैं और उन्हें इस चुनाव में भाजपा को साथ देने की बात समझा रहे हैं लेकिन आने वाले समय के साथ और कांग्रेस द्वारा अपने प्रत्याशी घोषित करने के बाद इन तीनों विधानसभा में चुनावी प्रचार में और तेजी आएगी तथा मतदाताओं का रूख समझ आने लगेगा । इस चुनाव में इन तीनों विधानसभा के नतीजों पर सभी की खास नजर  होगी क्योंकि कोटा में जनता कांग्रेस को भी दोनों पार्टियां हल्के में नहीं ले सकती ।

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