
जिम्मेदार अधिकारियों के ना रहने पर दैनिक कर्मचारी अपने को डीएफओ से कम नहीं समझते ।
एक कर्मचारी का कहना रेंजर का नम्बर सरकारी नहीं है जो किसी को भी देते रहें उनका पर्सनल नम्बर है ।
दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 25.08.2021
करगीरोड कोटा – अचानकमार टाईगर रिजर्व का लाखों रूपए खर्च करके बनाया गया एक कार्यालय कोटा में भी है । यहां अचानकमार टाईगर रिजर्व के सभी जोन कोटा रेंज , अचानकमार ,सुरही,छपरवा तथा लमनी रेंज के कार्यालय के साथ ही एसडीओ साहब का भी कार्यालय है । बड़ी सी बिल्डिंग में बने इस महत्वपूर्ण कार्यालय का सारा काम काज कुछ दैनिक वेतन कर्मचारियों और कम्प्यूटर आपरेटरों के भरोषे चलता है और ये आपरेटर भी साहबों के ना रहने पर अपने आप को साहब से कम नहीं समझते ।
इस आफिस में सूचना के अधिकार से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी प्रदर्शित करता बोर्ड नहीं है जिससे पता चले कि यहां इस कानून का पालन करने के लिए कौन से साहब जिम्मेदार हैं । यदि आपको अचानकमार टाईगर रिजर्व से संबंधित कोई जानकारी चाहिए तो आपको यहां कई चक्कर लगाने पड़ेंगे उसके बाद भी शायद आपको जानकारी मिलना तो दूर आपका आवेदन लेने वाला भी कोई नहीं मिलेगा ।
अचानकमार टाईगर रिजर्व में अधिकारी तो मौज में हैैं ही यहां के कर्मचारी और अवैध शिकार करने वाले भी मौज में हैं । कुछ माह पहले ही दबंग न्यूज लाईव में एटीआर में हो रहे वन्य प्राणीयों के शिकार की खबरों को प्रमुखता से लगाया गया था । जिसके बाद एटीआर प्रबंधन ने हिरण के शिकार के साथ ही कई शिकारियों को रंगे हाथ पकड़ा था ।
एटीआर के अंदर वन्य प्राणियों की प्यास बुझाने के लिए कई स्टाप डेम और नाले बन रहे हैं लेकिन इसकी जानकारी किसी को नहीं दी जाती । अब जंगल के अंदर किस स्तर का तालाब और डेम का निर्माण हो रहा है भगवान जाने ।
आरटीआई के तहत आज यहां आवेदन करने गए लोगों को यहां के बाबू कम साहब लोगों ने दो दिन भटका दिया कि साहब नहीं है , सील नहीं है , पावती नहीं है कैसे आवेदन लें ले । पोस्टल आर्डर ले आओ । आवेदक ने जब अधिकारी का नम्बर मांगा तो कर्मचारी का कहना था साहब को नम्बर सरकार ने नहीं दिया है उनका नीजि नम्बर है कैसे दे दें । सहीं भी है अधिकारियों को सरकार से नम्बर मांग लेना चाहिए ताकि लोगों को दे सकें । ऐसा ही अधिकारी सरकारी गाड़ी के उपयोग में भी ध्यान रखें जब सरकारी गाड़ी को अपने नीजि काम के लिए उपयोग करते हैं ।
सौभाग्य से आज यहां के एसडीओ प्रहलाद यादव से मुलाकात हो गई तो उन्होंने माना कि – जब वे कटघोरा में थे तब अपने आफिस में आरटीआई का बोर्ड लगवाए थे । यहां नहीं लग पाया है ।

बहरहाल यहां के अधिकारियों को अपनी कार्यप्रणाली बदलनी चाहिए । आफिस का सील ठप्पा आफिस में ही रहे तो अच्छा है । दूसरा अधिकारी या तो सरकार से नम्बर लेकर लोगों के लिए उपलब्ध करवाएं या फिर अपना नीजि नम्बर कम से कम अपने मातहतों को देकर रखें जिससे कभी जरूरत हो तो बात हो सके । तीसरा जिस प्रकार नीजि नम्बर का उपयोग सरकारी काम में नहीं करते उसी प्रकार सरकारी गाड़ी का भी उपयोग अपने नीजि काम में ना करें तो बेहतर होगा । और यदि निर्माण कार्य के दिगर वन्य प्राणियों के बारे में भी सोचें तो और अच्छा होगा ।