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पंचायत में पूर्व सरपंच के द्वारा बनाए गए मुख्य प्रवेश द्वार को वर्तमान सरपंच ने ही जेसीबी से तोड़ा ।

अदभूत हैं जनपद पंचायत के अधिकारी – पहले दिया उसी स्थान पर ले आउट और अग्रीम राशि अब कह रहे हैं निर्माण अवैध था ।

दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 01.09.2021

राजेश श्रीवास्तव ब्यूरो चीफ

पंडरिया – एक सरपंच ने अपने ही ग्राम पंचायत में विधायक मद से बने मुख्य प्रवेश द्वार को जेसीबी लाकर तोड़ दिया । सरपंच का कहना था कि ये मुख्य द्वार अवैध था इसलिए तोड़ा गया । इसके खिलाफ पूर्व सरपंच जिसने इसे बनाया है उसने वर्तमान सरपंच के खिलाफ थाने में शिकायत कर दी कि शासकीय मद से बने मुख्य द्वार को सरपंच ने तोड़ दिया है ।

पूरा मामला पंडरिया जनपद के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत खरहट्टा का है । यहां के आश्रित ग्राम केसलमरा 2012 -13 में एक विधायक मद से एक मुख्य द्वार स्वीकृत होता है । 2012-13 में स्वीकृत इस मुख्य द्वार का झगड़ा 2020 -21 में सामने आया ।


खरहट्टा के आश्रित ग्राम केसलमरा में पूर्व सरपंच नन्द कुमारी चंद्राकर ने विधायक मद से मिले एक लाख की राशि से मुख्य द्वार का निर्माण करवाया था । जिसे वर्तमान सरपचं ने तोड़ दिया । पूर्व सरपंच नन्द कुमारी चंद्राकर ने इस बारे में थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है कि उनके कार्यकाल में प्रस्तावित पंचायत के रुके हुए कार्याे के निर्माण के दरम्यान शासकीय आदेश से बनाये गए लोहे के प्रवेश द्वार को वर्तमान सरपंच गिरीश चन्द्राकर और उनके साथी रोहित चन्द्राकर , जगजीवन चन्द्राकर अमृत लाल चन्द्राकर आदि के द्वारा घर से जे सी बी लाकर बलपूर्वक ढहा दिया गया !

यहां तक तो बात समझ आई लेकिन इसके आगे की कहानी बड़ी रोचक है । थाने में पूर्व सरपंच के द्वारा शिकायत किए जाने पर थाने से जनपद के पास पूरे मामले की जानकारी के लिए पत्र आया कि मुख्य द्वार कब बना , कैसे बना ,किस मद से बना और क्या ये वैध है या अवैध ? इतने सारे सवालों का बड़ा ही मजेदार जवाब जनपद ने दिया और बताया कि ये मुख्य द्वार अवैध है ।


पंडरिया जनपद पंचायत के अधिकारी अदभुत हैं । पहले उसी स्थान पर सरपंच को गेट बनाने का ले आउट दिया गया फिर उसके लिए चालिस हजार की राशि अग्रिम भुगतान की गई । सरपंच ने आधा गेट बना दिया तो सीईओ ने कहा कि पूरा बना दो फिर एक साथ मूल्यांकन करके पैसे दे दिए जाएंगे । पूर्व सरपंच ने ये काम भी कर दिया लेकिन अब मामला फंस गया । वर्तमान सरपंच कैसे ये हजम करता कि पूर्व सरपंच इस समय भी काम करवाए । इसलिए उसने उस निर्माण को तोड़ दिया । जिस जनपद के अधिकारियों ने ले आउट और अग्रिम राशी दी थी उसने थाने में लिख कर दिया कि निर्माण अवैध था ।और मजे की बात इस काम के दौरान जो इंजिनियर थे उरईया जी अब वे एसडीओ बन गए हैं और उन्हें इस पूरे मामले की कोई जानकारी ही नही है ।

पूर्व सरपंच के प्रतिनिधि गजपाल चंद्राकर ने दबंग न्यूज लाइव से बात करते हुए बताया गया कि – जनपद पंचायत के अधिकारियों ने उनके कार्यकाल के कई कामों का अभी तक ना तो मूल्यांकन किया है और ना ही भुगतान । इस काम के भी चालिस हजार रूपए अग्रिम में जितना हो सका काम करवाया । जनपद सीईओ ने कहा था कि पूरा काम करवा दो फिर मूल्यांकन करके भुगतान कर दिया जाएगा ।


वर्तमान सरपंच गिरीश चंद्राकर से भी पूरे मामले की जानकारी ली गई तो उनका कहना था – पंचायत में निर्माण कार्यो की एजेंसी पंचायत ही होती है । इस काम की कोई जानकारी हमें नहीं है कि कैसे ये निर्माण कार्य हो रहा है ना तो ये काम स्वीकृत है और ना ही इसका फंड है । जनपद से पूछने पर भी उन्होंने इस बारे में नहीं बताया इसलिए तोड़ दिया गया ।


जनपद पंचायत के सीईओ नवीन भट्ट का कहना था – ये बहुत पुराना मामला है विधायक निधी से मुख्यद्वार स्वीकृत हुआ था । जिसके लिए पंचायत को चालिस हजार का अग्रिम दिया गया था ,ले आउट की जानकारी नहीं है । कार्य समय पर पूरा नहीं हुआ तो रिकवरी में चला गया ।


अब आप सोचिए कार्यवाही किस पर होनी चाहिए ?  पूर्व सरपंच पर ? वर्तमान सरपंच पर या उन सीईओ , एसडीओ और इंजिनियर पर जिन्होंने इस काम के लिए लेआउट दिया , अग्रिम राशी का भुगतान किया ? और ये भी नहीं देखा कि काम हो भी रहा है या नहीं ।2012 का स्वीकृत काम दस सालों में भी जनपद के सीईओ इंजिनियर और एसडीओ पूरा नहीं करवा पाएं तो फिर पंचायतों का विकास भगवान भरोसे ही होगा । क्योंकि पूर्व सरपंच की मानें तो उसके कार्यकाल में शुरू किए गए कई निर्माण कार्यो का अभी तक ना तो मूल्यांकन हुआ है और ना ही भुगतान । कई काम अभी भी अधुरे हैं ।

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