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छ ग उच्च शिक्षा विभाग का आश्चर्यचकित करने वाला कारनामा ।

स्नातकोत्तर महाविद्यालय में स्नातक के प्राचार्य तो स्नातक स्तर पर स्नातकोत्तर के प्राचार्य अटके पड़े ।

सीनियर गए साईड में जुनियर आ गए फ्रेम में । कहीं कोई बड़ा खेला तो नहीं ?

दबंग न्यूज लाईव
रविवार 21.03.2021

 

रायपुर -प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में एक खेल बड़े गुपचुप तरीके से खेला जा रहा है । ये ऐसा खेल है जो उपर से तो नजर नहीं आता लेकिन जब गहराई से इसको देखा जाए तो एक बड़ा खेल सामने आ जाता है । उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत हर जिले में एक अग्रणी महाविद्यालय है जो स्नातकोत्तर महाविद्यालय होता है और और यहां के स्नातक महाविद्यालय इसके अंतर्गत आते हैं । इन लीड स्नातकोत्तर महाविद्याय में प्राचार्य भी स्नातकोत्तर प्राचार्य  ही होने चाहिए । जबकि महाविद्यालय में प्राचार्य यूजी स्तर के  याने स्नातक महाविद्यालय  प्राचार्य होने चाहिए । । लेकिन प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में इन्हीं पदों को लेकर खेल खेला जा रहा है ।

प्रदेश के कई लीड स्नातकोत्तर महाविद्यालय मे स्नातक प्राचार्य को स्नातकोत्तर कालेज का प्राचार्य बना दिया गया तो कई  स्नातकोत्तर लीड कालेज में स्नातक कालेज के प्राचार्य को प्राचार्य की जिम्मेदारी दे दी गई है । । अब ये कोई ऐसे ही तो हो नहीं जाएगा । याने जिसकी सेटिंग वो सीनियर के पद पर और जिस सीनियर की सेटिंग नहीं वो जुनियर के पद में ।

प्रदेश में अग्रणी स्नातकोत्तर महाविद्यालय की संख्या 27 है जबकि सिर्फ पांच जिलों अंबिकापुर , सुरजपुर , बिलासपुर , जशपुर और गरियाबंद में ही स्नातकोत्तर लीड कालेज में स्नातकोत्तर प्राचार्य की पदस्थापना है । जबकि बाकी 22 लीड कालेजों में स्नातक प्राचार्य को बिठा दिया गया है । जिनकी अच्छी सेटिंग है उनको स्नातक प्राचार्य होते हुवे भी स्नातकोत्तर प्राचार्य के पद पर अग्रणी महाविद्यालय में पदस्थ किया गया है ये जिले है ,बलौदाबाजार ,धमतरी ,कोरबा ,कवर्धा ,कांकेर,तथा जिन जिलों में प्रभारी प्राचार्य अग्रणी महाविद्यालय में पदस्थ है वे है बस्तर संभाग के सभी जिले , रायपुर, जांजगीर ,रायगढ़ ,बलरामपुर और ,कोरिया।

जबकि उच्च शिक्षा विभाग को इस मामले में संज्ञान लेते हुए सीनियर को सीनियर की जगह और जुनियर को जुनियर की जगह पदस्थापना करनी चाहिए । ताकि महाविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था के साथ ही पढ़ाई में भी कसावट आ सके । उच्च शिक्षा विभाग की साईट में जो आंकड़े दिए गए है उसके अनुसार प्रदेश में 58 स्नातकोत्तर प्राचार्य के पद है जिसमें से मात्र 23 पदों पर स्नातकोत्तर प्राचार्य है जबकि 35 में ये पद रिक्त हैं ।

प्रदेश में 27 ऐसे स्नातकोत्तर महाविद्यालय हैं जहां स्नातकोत्तर प्राचार्य नहीं बल्कि स्नातक महाविद्यालय के प्राचार्य पदस्थ हैं । और ऐसा नहीं है कि स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पदस्थापना की योग्यता वाले प्राचार्य अपने यहां ना हों । लेकिन खेल तो यही है । और इस खेल से किसे क्या फायदा होता होगा ये आप खुद समझ लिजिए ।

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